शोभना शर्मा । राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे ‘छोटी काशी’ भी कहा जाता है, इन दिनों एक भव्य धार्मिक आयोजन की साक्षी बन रही है। मध्यप्रदेश के ख्यातिप्राप्त कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा विद्याधर नगर स्टेडियम में आरंभ हो चुकी है, जो 1 मई से 7 मई तक प्रतिदिन आयोजित की जा रही है। इस आयोजन को लेकर शहर भर में श्रद्धा और उत्साह का माहौल बना हुआ है।
आयोजन की भव्य शुरुआत:
कथा आरंभ से एक दिन पूर्व 30 अप्रैल को एक विशाल कलश यात्रा निकाली गई, जिसने पूरे जयपुर को भक्तिमय कर दिया। यह यात्रा भवानी निकेतन से प्रारंभ होकर अलका सिनेमा होते हुए विद्याधर नगर स्टेडियम तक पहुंची। इस यात्रा में 21 हजार से अधिक महिलाएं सिर पर त्रिवेणी संगम का जल भरे कलश लेकर शामिल हुईं। महिलाएं पीली और गुलाबी साड़ियों में सज-धजकर एक अद्भुत आस्था की छवि प्रस्तुत कर रही थीं। यात्रा में 51 बग्गियां भी शामिल थीं, जिन पर साधु-संतों के प्रतीक रखे गए थे।
पं. प्रदीप मिश्रा का प्रथम जयपुर आगमन:
यह पहला अवसर है जब पंडित प्रदीप मिश्रा जयपुर में शिव महापुराण की कथा सुना रहे हैं। उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु जयपुर पहुंच रहे हैं। आयोजन समिति के अनुसार दोपहर 1 बजे से प्रतिदिन कथा आरंभ होती है, जो शाम तक चलती है। कथा के दौरान भगवान शिव की उत्पत्ति, माता पार्वती से विवाह, और अमर कथा के गूढ़ रहस्यों का वर्णन किया जा रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए विशाल व्यवस्था:
विद्याधर नगर स्टेडियम को इस आयोजन के लिए तीन विशाल डोम में बांटा गया है, जिसमें मुख्य डोम सात मंजिला इमारत जितनी ऊंचाई वाला वर्गाकार बना है ताकि उमस और गर्मी से राहत मिल सके। गर्मी और संभावित बारिश से बचाव के लिए पूरी तरह ढंकी और हवादार व्यवस्था की गई है।
कथा स्थल पर प्रतिदिन महामृत्युंजय रुद्र महायज्ञ का आयोजन भी किया जा रहा है। कथा शुरू होने से पहले अयोध्या से आए विद्वानों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ सम्पन्न होता है। यह आध्यात्मिक आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रतीक बन गया है।
भोजन और आवास की नि:शुल्क व्यवस्था:
देश के विभिन्न हिस्सों से आए भक्तों के लिए निशुल्क भोजन और आवास की समुचित व्यवस्था की गई है। आयोजन समिति के अनुसार करीब एक लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था रोजाना की जा रही है। स्टेडियम के पास ही अस्थायी आवास केंद्र बनाए गए हैं, जहां रात्रि विश्राम की सुविधा है।
2000 वॉलिंटियर्स सेवा में जुटे:
पूरे आयोजन को सुव्यवस्थित बनाने के लिए करीब 2000 वॉलिंटियर्स को नियुक्त किया गया है। ये वॉलिंटियर्स हर पल श्रद्धालुओं की सहायता के लिए उपलब्ध रहते हैं, चाहे वह पेयजल की उपलब्धता हो, मार्गदर्शन हो या स्वास्थ्य सेवाएं।
आस्था और श्रद्धा का महासंगम:
इस शिव महापुराण कथा ने जयपुर को एक बार फिर धर्म और संस्कृति के केंद्र में ला खड़ा किया है। श्रद्धालुओं के चेहरों पर भक्ति की आभा और वातावरण में गूंजते मंत्रों की स्वर-लहरियों ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया है। कथा के दौरान पंडित प्रदीप मिश्रा का शैलीबद्ध और भावनात्मक वाचन श्रद्धालुओं को गहराई तक प्रभावित कर रहा है।