आज की व्यस्त और तेज़ रफ्तार जीवनशैली में नींद संबंधी समस्याएँ लगातार बढ़ रही हैं। 7-8 घंटे की नींद को स्वस्थ जीवन का आधार माना जाता है, लेकिन तनाव, स्क्रीन टाइम, अनियमित दिनचर्या और खराब जीवनशैली ने लोगों की नींद की गुणवत्ता को काफी प्रभावित किया है। कई लोग स्लीप मास्क, हर्बल चाय, व्हाइट नॉइज मशीन और डिजिटल डिटॉक्स जैसे उपायों का सहारा लेते हैं, लेकिन हर प्रयास सभी के लिए कामयाब नहीं होता।
इसी चुनौती के बीच एक तकनीक फिर से चर्चा में है, जिसे मिलिट्री स्लीप तकनीक या Military Sleep Method कहा जाता है। यह तरीका दावा करता है कि यह केवल दो मिनट में आपको नींद की अवस्था में पहुंचा सकता है।
क्या है मिलिट्री स्लीप मैथड
मिलिट्री स्लीप मैथड एक विशेष प्रकार की रिलैक्सेशन और रेस्पिरेटरी तकनीक है, जिसे अमेरिकी सेना के सैनिकों के लिए विकसित किया गया था। कठोर परिस्थितियों में भी जल्दी और गहरी नींद लाना इसकी प्राथमिक आवश्यकता थी, इसलिए यह तकनीक सटीक वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। इसे पहली बार 1981 में प्रकाशित पुस्तक Relax and Win: Championship Performance में विस्तार से बताया गया था।
योग निद्रा जैसी तकनीक
दिलचस्प बात यह है कि यह तकनीक काफी हद तक प्राचीन भारतीय पद्धति योग निद्रा जैसी दिखाई देती है। योग निद्रा में भी शरीर को क्रमवार तरीके से शिथिल कर मन को जागरूक विश्राम की अवस्था में ले जाया जाता है। दोनों ही तकनीकों का उद्देश्य शरीर और दिमाग को इतना शांत कर देना है कि नींद स्वाभाविक और सहज रूप से आने लगे।
दो मिनट में नींद का दावा कैसे काम करता है
मिलिट्री स्लीप तकनीक की सबसे बड़ी खासियत इसकी सरलता है। यह शरीर और दिमाग को चरणबद्ध तरीके से रिलैक्स करती है, जिससे तनाव कम होता है और शरीर खुद ब खुद नींद की तैयारी करने लगता है। लगातार अभ्यास करने पर यह विधि अनिद्रा, थकान और ओवरथिंकिंग की समस्या को काफी हद तक कम कर सकती है।
पहला चरण: गहरी सांसें और शरीर को शांत करना
इस प्रक्रिया की शुरुआत आराम से लेटने और आंखें बंद करके धीमी, गहरी सांसें लेने से होती है। सांसों पर ध्यान केंद्रित करना शरीर की नसों को शांत करता है और दिमाग को एक्टिव मोड से बाहर निकालता है। इसके बाद चेहरे की मांसपेशियों को ढीला छोड़ना महत्वपूर्ण है। माथे, आंखों, गालों, जबड़े और जीभ की मांसपेशियों को रिलैक्स करने से तनाव का बड़ा हिस्सा खत्म होने लगता है।
दूसरा चरण: कंधे और हाथों को ढील देना
इसके बाद कंधों को नीचे धंसने देना होता है। यह कदम खास महत्व रखता है क्योंकि अधिकांश तनाव कंधों और गर्दन में जमा होता है। कंधों के बाद धीरे-धीरे बाजुओं, हाथों और उंगलियों को ढीला छोड़ा जाता है। यह महसूस करना जरूरी है कि शरीर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह बिस्तर में समा गया हो।
तीसरा चरण: छाती, पेट और पैरों को रिलैक्स करना
अब ध्यान छाती और पेट पर ले जाया जाता है। सांस छोड़ते समय इन हिस्सों को शिथिल करने से शरीर एक गहरे आराम की अवस्था में जाता है। अंतिम चरण में पैरों को जांघों से लेकर पैरों की उंगलियों तक ढील देना होता है। इससे पूरा शरीर लगभग शून्य तनाव की स्थिति में आ जाता है।
चौथा चरण: मन को शांत करने के लिए दृश्य की कल्पना
जब शरीर पूरी तरह रिलैक्स हो जाए, तब मन को शांत करना होता है। इसके लिए एक शांतिपूर्ण दृश्य की कल्पना करने की सलाह दी जाती है, जैसे समंदर का किनारा, शांत पर्वतीय दृश्य या झील के किनारे बैठना। यह कल्पना मन को भटकने से रोकती है और उसे गहरी नींद की तरफ ले जाती है।
नींद की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक
विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक कुछ दिनों के अभ्यास के बाद बेहद प्रभावी हो सकती है। यह तनाव और अनिद्रा से जूझ रहे लोगों के लिए एक सरल, प्राकृतिक और दवा-रहित समाधान है। इसका नियमित अभ्यास न केवल नींद लाने में मदद करता है, बल्कि नींद की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाता है।


