शोभना शर्मा, अजमेर। राजस्थान के वन विभाग ने 28 जनवरी से 2 फरवरी तक जिले के आनासागर सहित 12 जलाशयों पर प्रवासी पक्षियों की गणना करने का निर्णय लिया है। यह गणना उन जलीय पक्षियों की संख्या को निर्धारित करने के लिए की जाएगी, जो हर साल सर्दियों के मौसम में यहां आते हैं। इस गणना का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि किन प्रवासी पक्षियों की संख्या कम है और उन्हें यहां आने के लिए अनुकूल माहौल कैसे तैयार किया जा सकता है, ताकि वे बड़ी संख्या में यहां आ सकें और इससे स्थानीय टूरिज्म को भी बढ़ावा मिले।
उप वन संरक्षक सुगनाराम जाट ने बताया कि यह गणना शहर के आनासागर झील सहित जिले के 12 अधिसूचित वैटलैण्ड पर की जाएगी। गणना का कार्य रोजाना सुबह 7 से 10 बजे तक किया जाएगा। इस कार्य में शामिल वन कार्मिकों को दूरबीन उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे वे तालाब पर आने वाले प्रवासी पक्षियों की सही गणना कर सकें।
गणना टीम में उन वनकर्मियों को शामिल किया जाएगा, जिन्हें पक्षियों की पहचान करने का अनुभव है और जो तालाब या जलाशय तक आने-जाने के रास्तों को भलीभांति जानते हैं। इसके अलावा, पक्षी विशेषज्ञों को भी इस टीम में शामिल किया जाएगा, ताकि गणना के दौरान किसी भी प्रकार की त्रुटि न हो।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पीके उपाध्याय ने सभी जिला स्तरीय वनाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि गणना के दौरान प्रत्येक जलाशय का जीपीएस कोआर्डिनेट अनिवार्य रूप से लिया जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि गणना सटीक हो, प्रत्येक गणना टीम के साथ जीपीएस की व्यवस्था की जाएगी।
इस गणना के परिणामों के आधार पर, वन विभाग उन प्रवासी पक्षियों पर शोध करेगा, जो कम संख्या में कभी-कभार आते हैं। इसके साथ ही, विभाग यह भी प्रयास करेगा कि इन पक्षियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जा सके, जिससे वे यहां बड़ी संख्या में आ सकें।
प्रवासी पक्षियों की गणना न केवल जैव विविधता के संरक्षण में मदद करेगी, बल्कि यह स्थानीय टूरिज्म को भी बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम है। जब अधिक संख्या में पक्षी यहां आएंगे, तो यह पर्यटकों को आकर्षित करेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करेगा।
राजस्थान के वन विभाग की यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए भी लाभकारी साबित हो सकती है। प्रवासी पक्षियों की गणना के माध्यम से, विभाग यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि इन पक्षियों के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण उपलब्ध हो, जिससे वे हर साल यहां आ सकें और जैव विविधता को समृद्ध कर सकें।