मनीषा शर्मा। राजस्थान के उदयपुर की बेटी आत्मिका गुप्ता ने एक बार फिर मेवाड़ का नाम रोशन किया है। अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी से अपनी पहचान बनाने वाली आत्मिका अब भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन चुकी हैं। चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में 11 महीने की कठिन ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने वर्दी पहनी। यह मुकाम उनके कठिन परिश्रम, अनुशासन और माता-पिता के समर्पण का नतीजा है।
CDS परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल की
आत्मिका ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज (CDS) परीक्षा में ऑल इंडिया 9वां स्थान हासिल किया था। उनकी इस उपलब्धि के बाद उनका चयन भारतीय सेना के लिए हुआ। इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ ही उन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए निरंतर मेहनत की।
ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से बनी लेफ्टिनेंट
चेन्नई स्थित OTA में आयोजित पासिंग आउट परेड आत्मिका के लिए ऐतिहासिक पल साबित हुई। इस परेड की समीक्षा वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने की। परेड में 130 पुरुष, 25 महिला और 21 मित्र देशों के कैडेट्स शामिल हुए और भारतीय सेना के अधिकारी बने। इस अवसर पर हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर सभी सैन्य अधिकारियों का सम्मान किया गया। आत्मिका को औपचारिक रूप से भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद प्रदान किया गया।
पढ़ाई, निशानेबाजी और ट्रेनिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन
आत्मिका ने न केवल पढ़ाई में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी हमेशा उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। 9वीं कक्षा से ही उन्होंने निशानेबाजी (Shooting) की शुरुआत की और धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। ट्रेनिंग के दौरान भी वे अपनी कंपनी की सार्जेंट रहीं।
उन्हें शूटिंग में मार्क्समैन बैज और तैराकी में मेरिट प्रमाण पत्र भी मिला। इस उपलब्धि ने साबित किया कि वे सिर्फ अकादमिक ही नहीं बल्कि खेल और शारीरिक प्रशिक्षण में भी अव्वल हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीते पदक
आत्मिका एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज भी हैं। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो रजत पदक अपने नाम किए। यह उपलब्धियां उनकी मेहनत, लगन और खेल के प्रति समर्पण को दर्शाती हैं।
परिवार का साथ और प्रेरणा
आत्मिका की सफलता में उनके परिवार का भी बड़ा योगदान रहा। उनके पिता अचल गुप्ता अभियंता हैं और माता शिखा गुप्ता गृहिणी हैं। बड़े भाई अर्णव गुप्ता एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं। परिवार के सहयोग और प्रेरणा ने आत्मिका को हर मोड़ पर संबल दिया।
उदयपुर में हुआ भव्य स्वागत
लेफ्टिनेंट बनने के बाद जब आत्मिका उदयपुर लौटीं, तो उनका भव्य स्वागत किया गया। उनके शूटिंग कोच डॉ. जितेंद्र सिंह चुंडावत और तीर्थपाल राठौड़ सहित कई निशानेबाजों और मोहल्ले के लोगों ने उन्हें बधाई दी। पूरे शहर ने उनकी इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त किया।
प्रेरणा बनीं आत्मिका गुप्ता
आत्मिका गुप्ता का यह सफर न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे मेवाड़ और राजस्थान के लिए गौरव का विषय है। निशानेबाजी से लेकर भारतीय सेना तक का उनका सफर हजारों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि कठिन परिश्रम, अनुशासन और निरंतर प्रयास से हर सपना साकार किया जा सकता है।