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मेहरानगढ़ का किला: इतिहास और रोमांच का अनूठा संगम

मेहरानगढ़ का किला: इतिहास और रोमांच का अनूठा संगम

जोधपुर (Jodhpur) का महरानगढ़ का किला (Maharangarh Fort) जिसे महरान का किला भी कहा जाता है, अपनी शानदार वस्तुकाला और विविध इतिहास के लिए जोधपुर सहित पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है। यह किला 5 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और जोधपुर शहर के बाहरी इलाके में 125 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना है। आइए आज जानते हैं  महरानगढ़ के किले से जुड़ी कुछ खास बाते –

मेहरानगढ़ किले का इतिहास
मेहरानगढ़ किले का निर्माण वर्ष 1459 मे जोधपुर की स्थापना के समय 15वें राठौर शासक राव जोधा ने करवाया था। उस समय राव जोधा ने मंडोर से शहर पर शासन किया लेकिन अपनी राजधानी को नवनिर्मित शहर जोधपुर स्थानांतरित कर दिया। इस किले का नाम मेहरानगढ़ किला इसलिए रखा गया क्योंकि राठौरों के मुख्य देवता सूर्य थे और ‘मेहरान’ का अर्थ सूर्य होता है।

रोचक कथाएं
ऐसा माना जाता है कि राव जोधा एक महत्वाकांक्षी राजा हुआ करते थे,और मेहरानगढ़ उनका स्वप्न महल था। उन्होंने मेहरानगढ़ किले की स्थापना के लिए ‘भोर चिड़ियाटूंक’ पहाड़ी पर रहने वाले लोगों को वहाँ से स्थाननांतरित कर दिया था । उस समय एक बुजुर्ग संत ने अपना स्थान नहीं छोड़ा ओर बार बार राज आदेशों से परेशान हो कर राज्य को श्राप दिया की महल के निर्माण के बाद राज्य मे बार बार सुख पड़ेगा । भयंकर श्राप सुन कर राजा हैरान हुए ओर उन्होंने संत से माफी मांगी जिसके बाद संत ने श्राप को बेअसर करने के लिए एक बताया कि राज्य के किसी व्यक्ति को स्वेच्छा जिंदा दफन होकर अपनी जान देनी होगी।तब राजाराम मेघवाल जनहित के लिए अपना बलिदान देने के लिए सामने आए। उनके इस महान बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए किले स्थल पर उनकी कब्र के ऊपर बलुआ पत्थर का एक स्मारक बनाया गया था। आगंतुकों को इस महत्वपूर्ण घटना से परिचित कराने के लिए दफन पत्थर पर उनका नाम, दफनाने की तारीख और अन्य प्रासंगिक विवरण उकेरे गए हैं।

वास्तुकला
मेहरानगढ़ किले में 5वीं शताब्दी के मध्य की मूल स्थापत्य शैली के साथ-साथ 20वीं सदी की वास्तुकला की विशेषताओं को देख सकता है। किले की 68 फीट चौड़ी और 117 फीट लंबी दीवारें हैं झ से आस पास के क्षेत्रों को देखा जा सकता था । इसमें सात द्वार हैं, जो अलग अलग शासकों द्वारा बनवाए गए है। किले की वास्तुकला 500 वर्षों की अवधि में कई विकासों से गुजरी, महाराजा अजीत सिंह के शासन के दौरान, किले की कई इमारतों का निर्माण मुगल डिजाइन में किया गया था। मेहरानगढ़ मे मोती महल , फूल महल , दौलत खाना, शीश महल (दर्पण महल) और सिलेह खान जैसे कई शानदार ढंग से तैयार किए गए कमरे हैं। मोती महल महल के निर्माण में प्रयुक्त बलुआ पत्थर में जोधपुरी कारीगरों की शानदार शिल्पकला देखी जा सकती है। किले के परिसर में चामुंडा देवी का मंदिर भी मौजूद है, स्थानीय लोगों का मानना है कि इसी किले से देवी पूरे शहर की रक्षा करती हैं।

पर्यटन और सिनेमा के लिए है खास
मेहरानगढ़ का किला जहां अपनी वास्तुकला और इतिहास से पर्यटकों को आकर्षित करता है वही इस शानदार महल में कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों की शूटिंग भी हुई। हॉलीवुड की मशहूर फिल्म ‘द डार्क नाइट राइजेज’ के कुछ मेन सीन यहीं शूट किए गए हैं। बॉलीवुड भी वैसे इसमें पीछे नहीं है! “आवारापन”, “हम साथ साथ हैं”, “शुद्ध देसी रोमांस” और “हॉलिडे- ए सोल्जर इज नेवर ऑफ ड्यूटी” जैसी फिल्में बॉलीवुड की उन कुछ फिल्मों में से हैं, जिन्हें मेहरानगढ़ किले में शूट किया गया है। इस किले मे हर साल लाखों देशी विदेशी पर्यटक आते है।

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