शोभना शर्मा। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (एमडीएस यूनिवर्सिटी) में शनिवार को 12वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और महिला एवं बाल विकास मंत्री प्रो. मंजू बाघमार ने भाग लिया।
राज्यपाल बागडे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। केवल डिग्री लेना पर्याप्त नहीं है, बल्कि बौद्धिक क्षमता का विकास भी जरूरी है।
40 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल, 60 को पीएचडी डिग्री
इस समारोह में 40 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और 60 विद्यार्थियों को पीएचडी डिग्री प्रदान की गई।
राज्यपाल बागडे ने दी छात्रों को नई दिशा
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि अजमेर का पुराना नाम ‘अजमेरु’ था, जिसे एक अजय नामक राजा ने बसाया था। उन्होंने कहा कि शिक्षा जीवन को संपूर्ण बनाने की एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें हमेशा कुछ नया सीखने की जरूरत होती है।
बौद्धिक क्षमता जरूरी, केवल डिग्री पर्याप्त नहीं
राज्यपाल ने कहा कि –
विद्यार्थी केवल डिग्री लेकर बैठने वाले नहीं, बल्कि बौद्धिक रूप से सक्षम बनने वाले होने चाहिए।
नौकरी मांगने के बजाय, नौकरी देने वाले बनें।
पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहें, अन्य किताबें भी पढ़ें ताकि सोचने-समझने की क्षमता बढ़े।
जिनके पास कौशल होगा, वे कभी बेरोजगार नहीं रहेंगे।
उन्होंने प्राध्यापकों और प्राचार्यों से भी नई किताबें पढ़ने और विद्यार्थियों को नई जानकारियों से अवगत कराने की अपील की।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का संबोधन
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि –
विद्यार्थियों को नौकरी मांगने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनना चाहिए।
भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने की जिम्मेदारी नए पीढ़ी के छात्रों पर है।
उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभावों पर चिंता जताई और कहा कि इससे बचने के लिए युवाओं को जागरूक करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा कभी संपूर्ण नहीं होती, यह जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है।
छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान और महाराणा सांगा जैसे महापुरुषों की गाथाओं को पढ़कर उनसे प्रेरणा लेने की बात कही।
महिला बाल विकास मंत्री प्रो. मंजू बाघमार का संदेश
महिला एवं बाल विकास मंत्री प्रो. मंजू बाघमार ने कहा कि –
प्रदेश में नई यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों की संख्या बढ़ी है, जिससे छात्राओं की शिक्षा में भागीदारी बढ़ रही है।
शिक्षा के क्षेत्र में लगातार नए प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे राजस्थान में शिक्षा की स्थिति मजबूत हो रही है।
दीक्षांत समारोह अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है।
छात्रों को सीखने की ललक कभी खत्म नहीं करनी चाहिए और सतत विकास की ओर बढ़ना चाहिए।
दीक्षांत समारोह की मुख्य बातें
40 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल
60 विद्यार्थियों को पीएचडी डिग्री
राज्यपाल ने शिक्षा को सतत प्रक्रिया बताया
छात्रों से केवल डिग्री तक सीमित न रहने की अपील
नौकरी मांगने के बजाय, नौकरी देने की मानसिकता अपनाने पर जोर