शोभना शर्मा। भारतीय बॉक्सिंग की शान और ओलंपिक पदक विजेता मैरी कॉम ने मंगलवार को राजस्थान के अजमेर स्थित विश्वविख्यात सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह शरीफ में हाजिरी दी। उन्होंने दरगाह पर चादर चढ़ाकर देश में शांति, सौहार्द और खुशहाली की दुआ मांगी। इस दौरान दरगाह के खादिमों ने उन्हें जियारत करवाई और दरगाह का तबर्रुक भेंट किया।
मैरी कॉम ने दरगाह के अंदर लगभग एक घंटे तक समय बिताया। उन्होंने ख्वाजा साहब की दरगाह की सादगी और आध्यात्मिक माहौल की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस पवित्र स्थल पर आकर उन्हें आत्मिक सुकून की अनुभूति हुई है। यहां की फिजा में जो शांति और अपनापन है, वह दिल को छू जाता है। मैरी कॉम ने कहा कि यह दरगाह सिर्फ किसी एक धर्म का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह सभी धर्मों को जोड़ने वाला आध्यात्मिक केंद्र है।
दरगाह में अपनी हाजिरी के बाद मीडिया से बातचीत में मैरी कॉम ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई दर्दनाक घटना पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि इस घटना ने उन्हें बेहद आहत किया है। उन्होंने बताया कि दरगाह में दुआ करते समय उन्होंने देश में अमन, भाईचारा और स्थायी शांति की प्रार्थना की है।
मैरी कॉम ने कहा, “हमारा देश विविधताओं में एकता का प्रतीक है। ऐसे हादसे हमारे सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए हमें नफरत और हिंसा से दूर रहकर, एक-दूसरे को समझते हुए साथ चलना होगा।” उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे शांति और एकता के मार्ग को अपनाएं।
उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक स्थलों पर जाकर केवल आस्था ही नहीं, बल्कि शांति और परस्पर प्रेम का भी अनुभव होता है। ख्वाजा साहब जैसे सूफी संतों की शिक्षाएं आज के समय में और अधिक प्रासंगिक हैं, क्योंकि उन्होंने हमेशा मानवता, करुणा और सेवा का संदेश दिया।
इस आध्यात्मिक यात्रा के दौरान दरगाह के खादिमों ने उन्हें ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के जीवन, शिक्षाओं और दरगाह के इतिहास की जानकारी दी। मैरी कॉम ने दरगाह परिसर की सादगी और श्रद्धा-भाव से सराबोर वातावरण को सराहा और कहा कि उन्हें यहां आकर एक अलग ही मानसिक शांति का अनुभव हुआ है।
स्थानीय लोगों और दरगाह से जुड़े खादिमों ने मैरी कॉम की उपस्थिति को सम्मान की दृष्टि से देखा और उनके संदेश की सराहना की। दरगाह के खादिमों ने कहा कि देश की नामचीन खिलाड़ी द्वारा इस सूफी स्थल पर आकर शांति और एकता का संदेश देना आज के समय की बड़ी जरूरत है।