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आनासागर झील में प्रमुख समस्या जलकुंभी: कारण और समाधान

आनासागर झील में प्रमुख समस्या जलकुंभी: कारण और समाधान

शोभना शर्मा।  अजमेर स्थित ऐतिहासिक आनासागर झील वर्तमान में एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या का सामना कर रही है। झील में जलकुंभी (वाटर हायसिंथ) का तेजी से फैलाव न केवल इसकी सुंदरता को बिगाड़ रहा है, बल्कि इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जलकुंभी का प्रमुख कारण झील में नालों और नालियों के गंदे पानी का सीधे प्रवेश करना है।

प्रमुख निष्कर्ष: जलकुंभी के फैलाव के कारण

सोफिया कॉलेज, अजमेर की प्रो. मोनिका कनन के नेतृत्व में हुए शोध में जलकुंभी के विस्तार के कई कारण उजागर हुए। जनवरी से मई तक चले इस शोध में पानी की गुणवत्ता, तापमान, वायुदाब और आद्रता की जांच की गई। इसके निष्कर्ष बताते हैं कि:

  1. गंदा पानी: सीवेज और रसायनिक अपशिष्ट का सही तरीके से फिल्टर न होना।
  2. रासायनिक खाद और कीटनाशक: कृषि में इनका अत्यधिक उपयोग झील में पोषक तत्व बढ़ा रहा है।
  3. अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियां: झील का पानी जलकुंभी के लिए उपयुक्त पीएच स्तर (8 से अधिक), टर्बिडिटी (8), और लवणता (1286 मिग्रा/लीटर) दर्शा रहा है।

आनासागर झील पर जलकुंभी का प्रभाव

  1. जलीय जीवन पर खतरा:
    झील में ऑक्सीजन की कमी (जनवरी में 6 mg/L से मई में 3 mg/L) के कारण मछलियों और अन्य जलीय जीवों की मृत्यु हो रही है।
  2. पर्यटन में गिरावट:
    प्रवासी पक्षियों ने झील का रुख करना बंद कर दिया है, जिससे पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  3. झील की प्राकृतिक प्रक्रिया में बाधा:
    जलकुंभी की मोटी परत सूर्य के प्रकाश को पानी तक पहुंचने से रोकती है, जिससे वाष्पीकरण प्रक्रिया बाधित हो रही है।

जलकुंभी के फैलाव का समाधान: प्रभावी उपाय

  1. यांत्रिक निष्कासन:
    • अजमेर नगर निगम को खरपतवार हटाने वाली मशीनों का नियमित उपयोग करना चाहिए।
    • जहां मशीनें न पहुंच सकें, वहां श्रमिकों की सहायता से इसे मैन्युअल रूप से हटाया जाए।
  2. जैविक नियंत्रण:
    • जलकुंभी खाने वाले प्राकृतिक शिकारी जैसे नियोचेटिना ईचोर्निया और नियोचेटिना ब्रूची का उपयोग किया जाए।
    • यह विधि पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाए बिना जलकुंभी की वृद्धि रोक सकती है।
  3. रासायनिक उपचार:
    • पर्यावरण-अनुकूल शाकनाशियों (जैसे ग्लाइफोसेट) का नियंत्रित उपयोग किया जाए।
    • इसका ध्यानपूर्वक उपयोग सुनिश्चित किया जाए ताकि अन्य जलीय जीवों को नुकसान न हो।
  4. पोषक तत्वों का नियंत्रण:
    • गंदे पानी और कृषि अपवाह को झील में जाने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
    • झील के आसपास कृत्रिम वेटलैंड बफर्स का निर्माण किया जाए।
  5. जनजागरूकता अभियान:
    • स्थानीय समुदाय को जलकुंभी के पर्यावरणीय नुकसान के बारे में शिक्षित किया जाए।
    • सफाई अभियानों में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

झील संरक्षण के लिए अगला कदम

आनासागर झील अजमेर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है। इसे जलकुंभी की समस्या से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।

  • सरकारी स्तर पर बेहतर नीतियां और क्रियान्वयन।
  • शोधकर्ताओं और पर्यावरणविदों के साथ सामंजस्य।
  • स्थानीय निवासियों और पर्यटकों का सहयोग।

आनासागर झील का संरक्षण न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह अजमेर की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन उद्योग के लिए भी महत्वपूर्ण है। उचित उपायों को लागू कर इस झील को फिर से एक स्वच्छ और सुंदर स्थल में बदला जा सकता है।

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