मनीषा शर्मा। राजस्थान में पिछली गहलोत सरकार द्वारा गठित 17 नए जिलों की समीक्षा के लिए बनाई गई कैबिनेट सब-कमेटी में एक बड़ा बदलाव किया गया है। उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को कमेटी के संयोजक पद से हटा दिया गया है, और उनकी जगह कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर को इस कमेटी का नया संयोजक नियुक्त किया गया है। इस फैसले के बाद दूदू को लेकर चर्चा तेज हो गई है, जो 17 नए जिलों में सबसे छोटे क्षेत्रफल वाला जिला है।
दूदू जिले की स्थिति पर संदेह
गौरतलब है कि दूदू को जिला बनाए जाने के साथ ही इसका विरोध शुरू हो गया था। दूदू विधानसभा से उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा विधायक हैं, और अगर उनके संयोजक रहते हुए दूदू के भविष्य पर कोई फैसला लिया जाता, तो इसे राजनीतिक नजरिए से जनता में गलत संदेश भेजने वाला माना जा सकता था। यही वजह हो सकती है कि सरकार ने इस पद पर बदलाव करने का फैसला किया। बैरवा के हटाए जाने से दूदू का जिला दर्जा बरकरार रहेगा या नहीं, इस पर अभी अटकलें लगाई जा रही हैं।
कैबिनेट सब-कमेटी की समीक्षा बैठक
मंगलवार को सचिवालय में कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में कैबिनेट सब-कमेटी की पहली बैठक हुई। इस बैठक में पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर गहन चर्चा की गई। दिलावर ने कहा कि वे पंवार कमेटी की रिपोर्ट को बारीकी से देख और समझ रहे हैं। नए जिले बनाने में जो मापदंड तय किए गए थे, उनके साथ कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। हालांकि, अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा गया है, और कुछ बिंदुओं पर पंवार कमेटी से राय मांगी गई है।
पंवार कमेटी की रिपोर्ट
गहलोत सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ललित पंवार की अध्यक्षता में एक हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था, जिसने 30 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में 17 नए जिलों की संरचना, क्षेत्रफल, आबादी और प्रशासनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुझाव दिए गए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने गहलोत सरकार के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकार बने 9 महीने हो चुके हैं, और अब तक इस रिव्यू को पूरा नहीं किया गया है। जूली ने व्यंग्य करते हुए कहा कि 9 महीने में तो बच्चा भी जन्म ले लेता है, लेकिन सरकार का रिव्यू खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
भविष्य की उम्मीदें
कैबिनेट सब-कमेटी द्वारा की जा रही समीक्षा के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि 17 नए जिलों में किस तरह के बदलाव होते हैं और किन जिलों का दर्जा बरकरार रहेगा। विशेषकर दूदू के मामले में होने वाले फैसले पर सबकी नजरें टिकी होंगी, क्योंकि इस पर राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों नजरिए से महत्वपूर्ण असर पड़ सकता है।