मनीषा शर्मा। उदयपुर के प्रतिष्ठित मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ (Mahendra Singh Mewar) का रविवार को 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। राजसी पृष्ठभूमि के बावजूद उन्होंने सादगी भरा जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया। अपनी सरल जीवनशैली और बेबाक व्यक्तित्व के कारण वे लोगों के दिलों में एक खास जगह रखते थे। उनसे मिलने वाले लोग उनकी सादगी, सच्चाई और सरलता के कायल हो जाते थे, जो आज के समय में बहुत दुर्लभ है।
फिल्म ‘पद्मावत’ के विरोध में महेंद्र सिंह मेवाड़
महेंद्र सिंह मेवाड़ का नाम उस समय सुर्खियों में आया जब उन्होंने 2018 में संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ का खुलकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि फिल्म में जो घटनाएँ दिखाई गईं हैं, उनका ऐतिहासिक तथ्यों से कोई संबंध नहीं है और यह मलिक मोहम्मद जायसी की ‘पद्मावत’ से भी मेल नहीं खाती। उन्होंने फिल्म निर्माताओं के साथ-साथ सेंसर बोर्ड पर भी सवाल उठाए थे और आग्रह किया कि इतिहास का सम्मान करना चाहिए, न कि उसे तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना चाहिए।
महेंद्र सिंह मेवाड़ की राजनीति में यात्रा
पंजाब के राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया ने साझा किया कि 1989 में उन्होंने महेंद्र सिंह मेवाड़ को राजनीति में शामिल करने का प्रयास किया। दोनों ने 13 सितंबर 1989 को एकलिंगजी मंदिर से उदयपुर शहर तक 17 किलोमीटर की पैदल यात्रा की थी, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल हुए थे। इसके बाद, महेंद्र सिंह मेवाड़ ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। कटारिया ने उनके साथ काम करने के अवसर को सम्मान की दृष्टि से देखा और बताया कि मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य होने के बावजूद महेंद्र सिंह ने राजसी ठाट-बाट से दूर रहते हुए सेवा का रास्ता चुना।
धर्म, संस्कृति और शिष्टाचार
महेंद्र सिंह मेवाड़ का जीवन धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण था। 2007 में उदयपुर में आचार्य महाप्रज्ञ के चातुर्मास के दौरान उन्होंने उनका आशीर्वाद लिया और भारतीय संस्कृति में उनका गहरा सम्मान झलका।
उनकी भाषा पर गहरी पकड़ थी, खासकर मेवाड़ी और अंग्रेजी भाषा में। मेवाड़ जन उदयपुर संस्था के संयोजक कंवर प्रताप सिंह झाला ने बताया कि महेंद्र सिंह मेवाड़ ने लोक मर्यादाओं और अनुशासन का हमेशा पालन किया और अपने विचारों को सम्मानपूर्वक प्रस्तुत करने का तरीका अपनाया।
लेखन में रुचि और पुस्तकों के प्रति प्रेम
महेंद्र सिंह मेवाड़ ने ‘एकलिंगजी’ पर एक पुस्तक लिखने का सुझाव दिया और इस पुस्तक के विमोचन की योजना भी बनाई। इतिहासकार डॉ. जी.एल. मेनारिया के अनुसार, पुस्तक का विमोचन महेंद्र सिंह मेवाड़ से कराना था, लेकिन उनकी तबीयत खराब होने के कारण यह संभव नहीं हो पाया।
एक सरल जीवन का प्रतीक
राजस्थान के साहित्यकार डॉ. महेंद्र भानावत ने साझा किया कि एक बार जब वे उनका इंटरव्यू लेने गए थे, तो उन्होंने महेंद्र सिंह मेवाड़ को साधारण सफेद हाफ-पैंट और टी-शर्ट में देखा। उनकी इस सादगी को देखकर भानावत अत्यंत प्रभावित हुए। यह घटना महेंद्र सिंह मेवाड़ के सादगीपूर्ण जीवन का प्रतीक है, जो उन्होंने राजसी वातावरण के बावजूद हमेशा अपनाया।
उदयपुर के प्रति योगदान
उदयपुर के पूर्व पार्षद विजय प्रकाश विप्लवी ने महेंद्र सिंह मेवाड़ की सह्रदयता को साझा किया। विप्लवी ने बताया कि मेवाड़ ने कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज की। एक बार जब धर्मनारायण जोशी की रैली देर से पहुंची थी, तब महेंद्र सिंह मेवाड़ ने धैर्यपूर्वक इंतजार किया और समारोह की अध्यक्षता की।
महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन: मेवाड़ के लिए क्षति
महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन उदयपुर और मेवाड़ क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके व्यक्तित्व में सादगी, ईमानदारी, और साहस झलकता था। महेंद्र सिंह मेवाड़ की मृत्यु ने उनके चाहने वालों को दुखी कर दिया है और उनके विचारों और जीवनशैली को हमेशा याद रखा जाएगा।