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राजस्थान के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी महाराणा प्रताप और शिवाजी की गाथा

राजस्थान के स्कूलों  में पढ़ाई जाएगी महाराणा प्रताप और शिवाजी की गाथा

शोभना शर्मा। राजस्थान की भजनलाल सरकार ने राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत अब कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को भारतीय इतिहास, संस्कृति और वीर योद्धाओं की गाथाएं पढ़ाई जाएंगी। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि आगामी 1 जुलाई से यह नया सिलेबस राज्य के स्कूलों में लागू कर दिया जाएगा।

नई शिक्षा नीति के तहत होगा बदलाव

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जानकारी दी कि यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (NCF 2023) के तहत किया जा रहा है। इस बदलाव का उद्देश्य बच्चों को प्रारंभिक स्तर से ही भारतीय इतिहास, संस्कृति और देश की मिट्टी से जुड़ाव कराना है। उन्होंने बताया कि अब स्कूली शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि व्यवहारिक और सांस्कृतिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ेगी।

कौन-कौन से महापुरुष होंगे पाठ्यक्रम में शामिल?

राज्य सरकार की ओर से कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए नए पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है। इसके अंतर्गत छात्रों को भारत के इतिहास में योगदान देने वाले योद्धाओं, संतों और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन चरित्र से परिचित कराया जाएगा।
विशेष रूप से जिन महापुरुषों को शामिल किया गया है, उनमें प्रमुख हैं:

  • महाराणा प्रताप

  • छत्रपति शिवाजी महाराज

  • वीर दुर्गादास राठौड़

  • स्वामी दयानंद सरस्वती

  • सुभाष चंद्र बोस

  • सरदार वल्लभभाई पटेल

  • खेजड़ी के पेड़ की रक्षा में अपने प्राण देने वाले विश्नोई समाज के बलिदानी

इन सभी महापुरुषों और ऐतिहासिक प्रसंगों को हिंदी, अंग्रेजी और ईवीएस की किताबों में समाहित किया गया है।

लोकल भाषा और बोलियों को मिलेगा स्थान

मदन दिलावर ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अनुसार कक्षा 1 से 3 तक की शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा में देने का प्रावधान है। इसके लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों की बोलियों पर आधारित शब्दकोश तैयार किए गए हैं। इन शब्दकोशों को आधार बनाकर ही किताबों का लेखन किया गया है ताकि छात्रों को भाषा की समझ और पकड़ बचपन से ही मजबूत हो सके।

कौन कर रहा है कोर्स तैयार?

इस पूरे कोर्स को तैयार करने का कार्य आरएससीईआरटी (RSCERT), उदयपुर द्वारा किया गया है। विभाग की टीम ने शिक्षाविदों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर राज्य की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम तैयार किया है। यही पाठ्यक्रम जुलाई 2025 से कक्षा 1 से 5 तक लागू किया जाएगा।

बड़ी कक्षाओं में भी होंगे बदलाव

शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि कक्षा 6 से 9 और 11वीं के छात्रों के लिए भी पाठ्यक्रम पर कार्य किया जा रहा है। यह सिलेबस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, एनसीईआरटी और एनसीएफ 2023 की गाइडलाइन के अनुसार तैयार किया जाएगा। इसे शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू किया जाएगा।
वहीं, कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए नया सिलेबस सत्र 2027-28 में लागू किया जाएगा। इसके लिए एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।

उद्देश्य: जड़ों से जुड़े भारत के भविष्य निर्माण की पहल

राज्य सरकार का मानना है कि प्रारंभिक शिक्षा ही छात्रों के व्यक्तित्व का आधार होती है। यदि बच्चों को बचपन से ही भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक विविधताओं की जानकारी दी जाए तो वे अपने देश, समाज और इतिहास से गहरा जुड़ाव महसूस करेंगे।

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