शोभना शर्मा। डीग जिले के कुम्हेर स्थित महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय ने अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और नोबेल पुरस्कार विजेता रिचर्ड रॉबर्ट्स को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में आयोजित अकादमिक परिषद और प्रबंधन मंडल की बैठक में इस बात पर विचार-विमर्श करके दोनों प्रतिष्ठित हस्तियों को डॉक्टर ऑफ साइंस मानक उपाधि देने का प्रस्ताव पारित किया। अभी इस प्रस्ताव को राजभवन से अनुमति मिलने का इंतजार है। अनुमति प्राप्त होते ही विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षांत समारोह की तैयारियां शुरू कर दी जाएँगी, और इस समारोह का आयोजन अप्रैल महीने में किया जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
सुनीता विलियम्स, जिनका नाम अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय व्यतीत करने वाली महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में जाना जाता है, ने कई स्पेस मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमेरिका नौसेना की अधिकारी के रूप में कार्यरत रह चुकी सुनीता ने फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मास्टर साइंस की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने चार अंतरिक्ष यात्राओं में भाग लेकर अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने के लिए सैकड़ों प्रयोग और शोध पूरे किए हैं। उनकी उपलब्धियाँ न केवल वैज्ञानिक दुनिया में, बल्कि आम जनता में भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश चंद्रा ने बताया कि सुनीता विलियम्स का पारिवारिक संबंध गुजरात के मेहसाणा से है, जहाँ उनके पिता दीपक पांड्या रहते थे। इस प्रकार, उनके सफलता की कहानी में पारिवारिक जड़ें भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
दूसरी ओर, प्रसिद्ध ब्रिटिश जीव रसायन और मॉलिक्यूलर जीव विज्ञानी रिचर्ड जे. रॉबर्ट्स को 1993 में फिजियोलॉजी और मेडिसन में नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्होंने DNA के गूढ़ रहस्यों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे जीव विज्ञान के क्षेत्र में अनेक नई खोजों और अनुसंधान में सहूलियत हुई है। रिचर्ड रॉबर्ट्स के शोध कार्य से वैज्ञानिक समुदाय को जीनोमिक्स और बायोटेक्नोलॉजी में नई दिशा मिली है। इस सम्मान के माध्यम से विश्वविद्यालय उन उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक के रूप में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मानक उपाधि प्रदान कर, उनके अध्ययन एवं समाज में योगदान की सराहना करता है।
इस अवसर पर महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय ने यह संदेश भी दिया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसे सम्मान से प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ियाँ अपने-अपने क्षेत्रों में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा दे सकेंगी।