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जीएसटी बदलाव पर अशोक गहलोत के बयान पर मदन राठौड़ का पलटवार

जीएसटी बदलाव पर अशोक गहलोत  के बयान पर मदन राठौड़ का पलटवार

मनीषा शर्मा।  राजस्थान की राजनीति में GST और वैट को लेकर नई बहस छिड़ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कटौती के फैसले पर सवाल उठाए और कहा कि यह फैसला बहुत देर से लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि 2016 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसी तरह की बात कही थी, लेकिन मोदी सरकार ने उसे नौ साल बाद लागू किया।

गहलोत के इस बयान पर प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कड़ा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक सत्ता संभाली लेकिन गरीबी हटाने का केवल नारा दिया। असलियत में गरीबों को राहत देने के लिए कुछ नहीं किया।

“गहलोत ने केवल शब्दों की लीपापोती की”

मदन राठौड़ ने पूर्व मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि अशोक गहलोत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे और केन्द्र सरकार में मंत्री भी बने। इसके बावजूद उन्होंने कभी भी आमजन को राहत देने का प्रयास नहीं किया।

राठौड़ ने आरोप लगाया कि गहलोत के कार्यकाल में वैट 33 से 36 प्रतिशत तक पहुंच गया था। उन्होंने कहा,
“गहलोत जी ने केवल शब्दों की लीपापोती की, जनता को भ्रमित किया और खुद लाभ लेने का प्रयास किया। असल में गरीब और मध्यम वर्ग के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।”

बीजेपी का दावा – आमजन के हित में फैसले

प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने कहा कि सत्ता में आने के बाद बीजेपी की सरकार ने गरीब, मध्यम वर्ग और कमजोर वर्ग की चिंता की। जीएसटी में कटौती को इसी दिशा में बड़ा कदम बताया गया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी व्यवस्था दी जिससे लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए और टैक्स देने की स्थिति में पहुंचे। इससे सरकार का राजस्व बढ़ा और फिर जीएसटी स्लैब घटाने जैसा निर्णय संभव हो सका।

राठौड़ ने तर्क दिया कि सरकार के पास पहले संसाधन नहीं थे।
“हमारी जेब में देने के लिए सामान ही नहीं था। पहले आय बढ़ाई, फिर राजस्व बढ़ाया और उसके बाद ही राहत देने का काम हुआ। इसमें समय इसलिए लगा क्योंकि हमें विकास, महंगाई नियंत्रण और जीडीपी वृद्धि – तीनों को साथ लेकर चलना था।”

गहलोत का सवाल – इतना विलंब क्यों?

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 2016 में राहुल गांधी ने जो सुझाव दिया था, उसे यदि पहले ही मान लिया जाता तो आमजन को राहत मिलती और अर्थव्यवस्था को भी फायदा होता। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिरकार मोदी सरकार ने इस फैसले में नौ साल का विलंब क्यों किया?

गहलोत का आरोप है कि अब जब फैसला आया है तो केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी इसकी वाहवाही लूटना चाहते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि जनता ने इन सालों में महंगाई का गहरा असर झेला है।

राजनीति में नए सिरे से बहस

जीएसटी और वैट को लेकर यह बहस राजस्थान ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी नए सिरे से चर्चा का कारण बन गई है। जहां बीजेपी यह दावा कर रही है कि उसने गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देने का काम किया, वहीं कांग्रेस लगातार यह मुद्दा उठाकर जनता को यह संदेश देना चाहती है कि मोदी सरकार ने फैसले में अनावश्यक देरी की।

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