शोभना शर्मा। राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं, लेकिन राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के औचक निरीक्षण ने सरकारी स्कूलों की हकीकत को सामने ला दिया। टीचर्स डे से ठीक एक दिन पहले यानी 4 सितंबर की सुबह जब शिक्षा मंत्री जयपुर के द्वारकापुरी स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अचानक पहुंचे, तो वहां की स्थिति देखकर वे दंग रह गए।
मोबाइल में व्यस्त शिक्षक
मंत्री ने सबसे पहले शिक्षकों की उपस्थिति और उनके कामकाज पर नजर डाली। निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि कई शिक्षक पढ़ाने के बजाय अपने मोबाइल फोन में व्यस्त थे। कक्षा में छात्रों के बीच पढ़ाई का माहौल न के बराबर था। मंत्री ने इस लापरवाही को गंभीरता से लिया और शिक्षकों को सख्त फटकार लगाई।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर शिक्षक खुद ही पढ़ाई में उदासीन रहेंगे तो छात्रों से अच्छे परिणाम की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
छात्रों की कमजोर बुनियाद
शिक्षा मंत्री ने इसके बाद छात्रों से बातचीत शुरू की। सबसे पहले उन्होंने कक्षा 9वीं के छात्रों से प्रार्थना सुनाने को कहा, लेकिन कोई भी छात्र प्रार्थना नहीं सुना पाया। यह देखकर मंत्री बेहद नाराज हुए।
इसके बाद उन्होंने बच्चों से सामान्य ज्ञान और हिंदी व्याकरण से जुड़े प्रश्न पूछे। पूरी कक्षा में सिर्फ दो छात्राएं ऐसी थीं जिन्हें संज्ञा की परिभाषा आती थी। लेकिन जब आकाश का पर्यायवाची पूछा गया तो पूरी कक्षा में कोई जवाब नहीं दे सका।
प्रधानमंत्री और राज्यपाल का नाम नहीं पता
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब मंत्री ने छात्रों से देश और राज्य से जुड़े सामान्य सवाल पूछे। उन्होंने सबसे पहले भारत के पहले प्रधानमंत्री का नाम पूछा, जिस पर छात्रों ने जवाहरलाल नेहरू का उत्तर दिया। लेकिन जब वर्तमान प्रधानमंत्री का नाम पूछा गया तो छात्र चुप हो गए। यही हाल गृहमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल के नाम के सवाल पर भी रहा।
छात्रों की इस अज्ञानता पर मंत्री हैरान रह गए। उन्होंने सीधे शिक्षकों से सवाल किया कि आखिर छात्र इतनी बुनियादी जानकारी से भी वंचित क्यों हैं।
गंदगी और अव्यवस्था का आलम
निरीक्षण के दौरान मंत्री ने केवल पढ़ाई-लिखाई ही नहीं, बल्कि स्कूल की साफ-सफाई की स्थिति पर भी नजर डाली। कक्षाओं में जगह-जगह गुटखे के पाउच और चिप्स के खाली पैकेट पड़े मिले। मंत्री ने खुद एक चिप्स का पैकेट उठाकर शिक्षक को दिखाया और सवाल किया—“क्या यही है आपकी सफाई व्यवस्था?”
इसके अलावा उन्होंने कई छात्रों के बढ़े हुए बाल और नाखून देखकर भी नाराजगी जताई। उन्होंने स्कूल प्रशासन को सख्त निर्देश दिए कि छात्रों की साफ-सफाई और अनुशासन पर तुरंत ध्यान दिया जाए।
शिक्षक-छात्रों को मिली फटकार
निरीक्षण के बाद मंत्री ने शिक्षकों और स्कूल प्रशासन को फटकारते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर लगातार गिर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जिम्मेदार शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक का काम केवल तनख्वाह लेना नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य को संवारना है। अगर शिक्षक अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे तो बच्चों का भविष्य अंधकारमय होगा।
शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
शिक्षा मंत्री के इस औचक निरीक्षण ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर सरकार शिक्षा के बजट में हर साल बड़ा हिस्सा खर्च करती है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों में छात्रों की बुनियादी जानकारी और अनुशासन की यह स्थिति चिंता पैदा करती है।
सरकार की प्राथमिकता शिक्षा सुधार
निरीक्षण के बाद मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार शिक्षा व्यवस्था में सुधार को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आने वाले समय में नियमित निरीक्षण किए जाएंगे और जहां भी लापरवाही पाई जाएगी, वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों को सिर्फ किताबों की जानकारी ही न दें, बल्कि उन्हें अनुशासन, नैतिक शिक्षा और देशभक्ति की भावना से भी जोड़ें। यही शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है।