मनीषा शर्मा, अजमेर। अजमेर में जिला न्यायालय के नए भवन में शिफ्टिंग को लेकर वकीलों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। बुधवार को जब राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति एस. पी. शर्मा नए भवन के शुभारंभ के लिए पहुंचे, तो वकील बाहर गेट पर नारेबाजी करते नजर आए। वकीलों का कहना है कि जयपुर रोड स्थित सहयोगिता नगर में बने इस जी प्लस-2 मंजिला भवन में केवल 78 वकील चैंबर बनाए गए हैं, जबकि यहां लगभग 1500 से अधिक वकील प्रैक्टिस कर रहे हैं। ऐसे में इतने सीमित चैंबर में सैकड़ों वकीलों के बैठने की व्यवस्था संभव नहीं है।
वकीलों ने काली पट्टी बांधकर जताया विरोध
सुबह से ही वकीलों में विरोध की लहर दिखी। उन्होंने काली पट्टी बांधकर नए भवन के मुख्य द्वार पर लगे टेंट को तोड़कर आग लगा दी। कुछ समय के लिए जयपुर रोड पर यातायात भी बाधित रहा। वकीलों ने यह प्रदर्शन इसलिए किया क्योंकि उनकी बार-बार की मांगों और सुझावों को अनदेखा किया जा रहा है। वकीलों का कहना है कि जब तक नए भवन में पर्याप्त संख्या में चैंबर और सुविधाएं नहीं दी जातीं, तब तक कोर्ट को वहां शिफ्ट नहीं किया जाना चाहिए।
78 चैंबर में 400 वकील भी नहीं बैठ सकते
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रावत ने बताया कि नए कोर्ट परिसर के लिए कुल 22 बीघा भूमि में भवन का निर्माण किया गया है। शुरुआत में भवन के नक्शे में 356 वकील चैंबर प्रस्तावित थे, लेकिन बजट की कमी के चलते केवल 78 चैंबर ही बनाए गए। रावत ने कहा कि “वर्तमान में जिला बार में करीब 1500 वकील प्रैक्टिस कर रहे हैं। यदि एक चैंबर में 5 वकील भी बैठें, तो भी 400 वकीलों के लिए ही जगह बनेगी। ऐसे में बाकी वकील कहां बैठेंगे?” उन्होंने यह भी कहा कि नए भवन में वकीलों के चैंबर के साथ पार्किंग, लाइब्रेरी और अन्य सुविधाओं की भी भारी कमी है।
वकीलों की मांग: पहले सुविधाएं पूरी करें, फिर शिफ्टिंग करें
बार एसोसिएशन के सदस्यों ने जिला जज से मुलाकात कर अपनी मांगों को दोहराया। उन्होंने कहा कि नए भवन में शिफ्टिंग से पहले वकीलों के लिए पर्याप्त चैंबर, सुव्यवस्थित पार्किंग, लिटिगेशन रूम और मीटिंग हॉल जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। वकीलों का कहना है कि मौजूदा कोर्ट परिसर में भले ही जगह सीमित है, लेकिन वहां उनकी कार्यप्रणाली सुव्यवस्थित है। अगर बिना तैयारी के नया भवन शुरू किया गया तो न केवल वकीलों को दिक्कत होगी बल्कि आम जनता और न्यायिक कार्यवाही पर भी असर पड़ेगा।
नया भवन आधुनिक लेकिन सुविधाएं अधूरी
जयपुर रोड स्थित नया जिला न्यायालय भवन आधुनिक सुविधाओं से लैस बताया जा रहा है। यह भवन बेसमेंट और जी प्लस-2 मंजिला संरचना में बनाया गया है। भवन में दो लिफ्ट, कैंटीन, लाइब्रेरी, मीटिंग हॉल, बार काउंसिल हॉल, डिस्पेंसरी, पोस्ट ऑफिस, और बैंक शाखा जैसी सुविधाएं शामिल हैं। बेसमेंट में वकीलों और अधिकारियों के लिए पार्किंग बनाई गई है, जबकि विजिटर्स के लिए पार्किंग परिसर के बाहरी हिस्से में रखी गई है। बावजूद इसके, वकीलों का कहना है कि इन सुविधाओं का व्यावहारिक उपयोग तब तक संभव नहीं जब तक पर्याप्त चैंबर और कार्यक्षेत्र उपलब्ध न हो।
138 करोड़ की लागत से बना नया भवन
जानकारी के अनुसार, अजमेर जिला न्यायालय भवन का निर्माण कार्य 23 मार्च 2018 को शुरू हुआ था। इसे 21 सितंबर 2019 तक पूरा किया जाना था, लेकिन कोविड-19 महामारी और फंड की देरी के कारण काम में बार-बार रुकावट आई। निर्माण कार्य की समयसीमा को कई बार बढ़ाया गया — पहले अक्टूबर 2024 तक, फिर दिसंबर तक, और अंततः यह भवन मार्च 2025 में पूरा हुआ। इस भवन के निर्माण पर कुल 138 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था। 19 अप्रैल 2025 को इसका उद्घाटन किया गया, लेकिन अब जब कोर्ट को यहां स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो वकीलों ने विरोध शुरू कर दिया।
अधूरी परियोजना और बजट की कमी पर सवाल
वकीलों का कहना है कि सरकार ने निर्माण के लिए बड़ा बजट तो स्वीकृत किया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि चैंबर जैसी मूलभूत जरूरतें क्यों अधूरी रह गईं। बार एसोसिएशन ने बताया कि भवन की योजना में शुरू से ही वकीलों के लिए 356 चैंबर बनाए जाने थे, जिनमें से केवल 78 पूरे हुए हैं और बाकी के लिए कोई ठोस योजना नहीं बताई गई। वकीलों का आरोप है कि यह भवन आधा-अधूरा तैयार किया गया है और इसे जल्दबाजी में उद्घाटित कर दिया गया ताकि परियोजना को समय पर पूरा दिखाया जा सके।
मुख्य न्यायाधिपति के आगमन के बीच भी विरोध जारी
जब राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति एस. पी. शर्मा नए भवन के शुभारंभ के लिए पहुंचे, तो गेट के बाहर वकीलों ने नारेबाजी की। वकीलों ने बैनर और तख्तियां लेकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई थी, लेकिन वकीलों के आक्रोश के चलते उद्घाटन समारोह के दौरान भी माहौल तनावपूर्ण रहा।
भवन का डिज़ाइन और सुविधाएं आकर्षक, पर जरूरत अधूरी
नए न्यायालय भवन का डिज़ाइन आधुनिक वास्तुकला के अनुरूप है। इसकी दीवारों और छतों में साउंडप्रूफिंग की गई है ताकि अदालतों में शांति बनी रहे। भवन के अंदर प्रकाश और वेंटिलेशन की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। इसके बावजूद, वकीलों का तर्क है कि किसी भी कोर्ट परिसर की आत्मा वहां काम करने वाले वकील ही होते हैं। यदि उनके लिए पर्याप्त स्थान और संसाधन नहीं हैं, तो भवन की आधुनिकता का कोई अर्थ नहीं रह जाता।
वकीलों ने दिया चेतावनी – मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन तेज करेंगे
जिला बार एसोसिएशन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन और सरकार ने उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया, तो वे अनिश्चितकालीन धरना और कार्य बहिष्कार जैसे कदम उठाने पर मजबूर होंगे। अध्यक्ष अशोक रावत ने कहा कि, “हम नए भवन का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि अधूरी तैयारियों का विरोध कर रहे हैं। अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती, तो न्यायिक कार्य बाधित होने की पूरी संभावना है।”


