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राजस्थान की नर्मदा नहर परियोजना में बड़ा भ्रष्टाचार: बिना कार्य भुगतान

राजस्थान की नर्मदा नहर परियोजना में बड़ा भ्रष्टाचार: बिना कार्य भुगतान

शोभना शर्मा।  राजस्थान के जालोर जिले में संचालित नर्मदा नहर परियोजना एक बार फिर भ्रष्टाचार के कारण सुर्खियों में है। यह परियोजना जो किसानों के लिए जीवनदायिनी बननी थी, अब घोटालों और फर्जी भुगतान की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। वर्ष 2023 में इस परियोजना के अंतर्गत बिना कोई काम किए ठेकेदारों को भारी भरकम राशि का भुगतान कर दिया गया। मामले की जांच के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति ने स्पष्ट रूप से अधिकारियों को दोषी पाया, फिर भी दो साल बीत जाने के बाद भी किसी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

अब इस मामले को दबाने और दोषियों को बचाने के लिए एक नई जांच समिति बना दी गई है, जिससे शिकायतकर्ताओं और किसानों में गहरा आक्रोश है।

2019 में बनी योजना, 2023 में खुला भ्रष्टाचार का पर्दाफाश

मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत नर्मदा नहर परियोजना का विस्तार किया गया, जिससे सांचौर क्षेत्र के किसानों को रबी की फसल के लिए पर्याप्त पानी मिल सके। लेकिन 2023 में जब जमीन पर काम का मूल्यांकन किया गया, तो पाया गया कि कई स्थानों पर बिना किसी निर्माण या मरम्मत कार्य के ही भुगतान कर दिया गया था।

राज्य स्तरीय समिति ने 20 अक्टूबर 2023 को पांच स्थानों की जांच की, जहां सभी स्थानों पर मौके पर कोई काम नहीं मिला। ठेकेदारों को फिर भी भुगतान हो चुका था। अधिकारियों से जब सवाल किया गया, तो वे कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।

नई जांच समिति पर उठे सवाल

इस मामले में 21 मई 2025 को एक नई जांच समिति गठित की गई, जिसमें पाली जोन के अतिरिक्त मुख्य अभियंता मनीष परिहार, निर्वाण जल संसाधन विभाग जयपुर के अधिकारी और जोधपुर जोन कार्यालय के मुख्य लेखाकार को शामिल किया गया।

लेकिन शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि यह समिति उन्हीं स्थानों पर नहीं गई, जो माप पुस्तिका में दर्ज हैं। इसकी बजाय गलत स्थानों को दिखाकर जांच की गई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह प्रक्रिया केवल औपचारिकता भर है और दोषी अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

पहली जांच में ही सिद्ध हो चुका था भ्रष्टाचार

शिकायतकर्ताओं का कहना है कि जब पहली समिति ने ही भ्रष्टाचार की पुष्टि कर दी थी, तो दूसरी जांच की कोई आवश्यकता नहीं थी। इससे साफ है कि जल संसाधन विभाग इस मामले को बार-बार जांच के नाम पर लटकाकर दोषी अधिकारियों को समय देना चाहता है।

इसके अलावा, यह भी सामने आया है कि जोधपुर जोन में बैठे कुछ अधिकारी जांच को प्रभावित कर रहे हैं। शिकायतकर्ताओं की मांग है कि निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इन अधिकारियों को हटाकर मोबाइल लोकेशन की जांच की जाए।

दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं, रिपोर्ट दबाई गई

राज्य स्तरीय समिति की रिपोर्ट में जिन अधिकारियों को दोषी ठहराया गया, उनके खिलाफ न तो विभागीय कार्रवाई की गई और न ही उनका नाम उच्च अधिकारियों को भेजा गया।

इस मामले के प्रमुख अभियंता राज भंवरायत पर पहले से ही कई भ्रष्टाचार के आरोप हैं। 14 जनवरी 2025 को एक ठेकेदार ने 17 करोड़ रुपये के घोटाले की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें 16 सीसी नोटिस भी जारी किए गए थे, लेकिन प्रभावशाली संरक्षण के चलते यह प्रक्रिया भी ठंडी पड़ गई।

शिकायतकर्ताओं पर दबाव और धमकी

इस गंभीर मामले में सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं हो रहा, बल्कि सच उजागर करने वालों पर दबाव भी डाला जा रहा है।

11 और 12 अप्रैल 2025 को राज भंवरायत और दो अन्य कर्मचारियों ने शिकायतकर्ताओं के घर जाकर उन्हें शिकायत वापस लेने की धमकी दी। शिकायतकर्ताओं ने इस बात के सबूत भी दिए हैं और मांग की है कि इन अधिकारियों की मोबाइल लोकेशन की जांच की जाए ताकि इनकी भूमिका उजागर हो सके।

किसानों में आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी

संयुक्त किसान मोर्चा ने कई बार ज्ञापन सौंपे और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन सरकार और विभाग दोनों ने इस मामले को नजरअंदाज किया।

17 अक्टूबर 2023 को किसानों ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना देने की चेतावनी दी थी, लेकिन फर्जी आश्वासनों से उन्हें शांत कर दिया गया। नर्मदा नहर परियोजना सांचौर के किसानों के लिए जीवन रेखा है, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण किसानों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा, जिससे रबी की फसलें प्रभावित हो रही हैं।

भ्रष्टाचार का तरीका: कागजों पर काम, धरातल पर शून्य

जांच में पाया गया कि कई स्थानों पर सिर्फ माप पुस्तिका में कार्य दर्ज किया गया, जबकि वास्तविकता में वहां कुछ भी नहीं किया गया।

  • डीडावा ए माइनर (किमी 0.800 से 1.500) पर 1500 मीटर सीमेंट कंक्रीट डॉवेल दिखाया गया, जबकि मौके पर एक भी ईंट नहीं रखी गई।

  • इसी नहर के किमी 4.00 से 5.00 के बीच 45000 क्यूबिक मीटर मिट्टी हटाने का दावा किया गया, लेकिन वास्तविकता में टिब्बा जस का तस पड़ा रहा।

  • पांडरवाली ए माइनर (किमी 5.00 से 6.30) पर पत्थर की पिचिंग और डॉवेल दिखाया गया, पर मौके पर कुछ भी नजर नहीं आया।

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