मनीषा शर्मा। जयपुर-दिल्ली नेशनल हाईवे (एनएच-48) पर लगातार बढ़ते सड़क हादसों ने प्रशासन को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। इसी कड़ी में चंदवाजी से शाहजहांपुर तक 125 किलोमीटर के हिस्से में 6 सितंबर से लेन सिस्टम लागू किया जा रहा है। यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जिसके तहत वाहनों को निर्धारित लेन में चलाना अनिवार्य होगा।
यह कदम सड़क सुरक्षा बढ़ाने और बेतरतीब वाहन चालकों पर नियंत्रण करने के लिए उठाया गया है। हाईवे पर नियम तोड़ने वालों पर अब नकेल कसी जाएगी।
10 दिन तक चला जागरूकता अभियान
पायलट प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए पिछले 10 दिनों से लगातार जागरूकता अभियान चलाया गया। इसमें जयपुर ग्रामीण और कोटपूतली-बहरोड़ पुलिस अधीक्षकों की अगुवाई में होटल, ढाबों और हाईवे के अन्य ठहराव स्थलों पर वाहन चालकों को लेन सिस्टम की जानकारी दी गई।
इस अभियान के दौरान पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 100 से अधिक अवैध कट बंद कराए, ताकि गलत दिशा से आने-जाने वाले वाहनों की गतिविधियों पर रोक लग सके।
ऐसे होगी हाईवे पर निगरानी
नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए पुलिस ने हाईवे पर खास रणनीति बनाई है।
पुलिस टीमें हाईवे पर वाहनों की वीडियो रिकॉर्डिंग करेंगी।
ये वीडियो विशेष ग्रुप पर अपलोड किए जाएंगे।
टोल नाकों और पांच स्थानों पर तैनात टीमें इन्हीं वीडियोज़ के आधार पर चालान जारी करेंगी।
इस तरह नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों पर रियल टाइम एक्शन लिया जाएगा।
नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई
लेन सिस्टम लागू होने के बाद यदि कोई वाहन चालक इसे तोड़ता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
लेन सिस्टम तोड़ने पर 2000 रुपए का चालान होगा।
मोटर व्हीकल एक्ट के तहत अन्य नियमों का उल्लंघन करने पर अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा।
गाड़ी के दस्तावेज नहीं होने पर वाहन जब्त कर लिया जाएगा।
इस सख्ती का मुख्य उद्देश्य है कि लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करें और सड़क हादसों में कमी आए।
क्यों जरूरी था लेन सिस्टम?
जयपुर-दिल्ली हाईवे पर तेज रफ्तार और बेतरतीब वाहन चालकों की वजह से लगातार हादसों की संख्या बढ़ रही थी। भारी वाहन अक्सर लेन बदलते रहते थे, जिससे कार और बाइक चालकों की जान पर खतरा मंडराता था।
अवैध कटों और गलत दिशा से आने वाले वाहनों की वजह से भी कई हादसे हो चुके हैं। ऐसे में लेन सिस्टम लागू होने से सड़क पर अनुशासन और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होंगे।
क्या मिलेगा इस व्यवस्था से लाभ?
सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सड़क हादसों में कमी आएगी।
हाईवे पर यातायात अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित होगा।
चालकों में नियम पालन की आदत बढ़ेगी।
ट्रैफिक पुलिस को निगरानी और कार्रवाई करने में आसानी होगी।
लंबे समय में यह कदम हाईवे पर सुरक्षा संस्कृति (Safety Culture) को मजबूत करेगा।