शोभना शर्मा। राजस्थान सरकार ने प्रशासनिक ढांचे में सुधार की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के. पंवार को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। राज्य सरकार ने पंवार को राजस्व इकाइयों के पुनर्गठन से संबंधित कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह कमेटी राज्य की राजस्व व्यवस्था में सुधार के लिए नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन या पुनर्गठन से जुड़ी सिफारिशें तैयार कर सरकार को सौंपेगी। राजस्व विभाग के अधीन गठित इस समिति में अन्य प्रमुख सदस्य के रूप में राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव, राजस्व मंडल के निबंधक और पूर्व आरएएस अधिकारी राजनारायण शर्मा को शामिल किया गया है। समिति का कार्यकाल छह माह का रखा गया है, जिसमें यह राज्यभर की मौजूदा राजस्व इकाइयों की स्थिति का अध्ययन कर पुनर्गठन से जुड़ी संभावनाओं पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
गहलोत सरकार के समय बने जिले हुए थे निरस्त
यह वही ललित के. पंवार हैं जिनके नेतृत्व में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए 17 नए जिलों और 3 संभागों की समीक्षा की गई थी। दिसंबर 2023 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने नए जिलों के गठन के फैसले की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की थी, जिसकी अध्यक्षता पंवार को दी गई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने 9 जिलों और 3 संभागों को निरस्त करने की सिफारिश की थी, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया था। इस फैसले के बाद कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने जानबूझकर अपने राजनीतिक सदस्य को कमेटी का अध्यक्ष बनाकर पहले ही तय नतीजे की रिपोर्ट तैयार करवाई और जनता की भावनाओं को नजरअंदाज किया।
भाजपा में शामिल हो चुके हैं पंवार
ललित के. पंवार भारतीय प्रशासनिक सेवा के वर्ष 1979 बैच के अधिकारी रहे हैं और उन्होंने अपने लंबे प्रशासनिक कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वे राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मूलतः बाड़मेर के निवासी पंवार ने अप्रैल 2024 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। पंवार की भाजपा में सक्रियता और सरकार के प्रति उनकी नीतिगत नजदीकियों को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि जब कमेटी का अध्यक्ष भाजपा का सदस्य होगा, तो निष्पक्ष रिपोर्ट की उम्मीद नहीं की जा सकती। हालांकि, सरकार का पक्ष यह रहा है कि पंवार एक अनुभवी और योग्य प्रशासक हैं, और उन्होंने पूरी पारदर्शिता से रिपोर्ट तैयार की है।
भविष्य के प्रशासनिक ढांचे की नींव रखेगी यह कमेटी
अब सरकार ने उन्हें फिर से एक बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी है, जिससे यह साफ हो गया है कि मौजूदा शासन व्यवस्था उनके अनुभव और निष्पक्षता पर भरोसा करता है। यह कमेटी राजस्थान में प्रशासनिक इकाइयों की प्रभावशीलता, संसाधनों की उपयुक्तता और जनसेवाओं की दक्षता को बेहतर बनाने की दिशा में एक खाका तैयार करेगी। रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार आने वाले समय में नए जिले बनाने, पुराने जिले हटाने या सीमाओं के पुनः निर्धारण जैसे अहम फैसले ले सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर 2025 के अंत तक राज्य के प्रशासनिक मानचित्र में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।