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क्या है बजरंग दल, किसने, कब और क्यों की थी इसकी शुरूआत, जानिए

क्या है बजरंग दल, किसने, कब और क्यों की थी इसकी शुरूआत, जानिए

भारत में बजरंग दल ( bajrang dal ) को लेकर लोगों की अलग अलग राय है। जहां कुछ लोग इस हिंदुत्ववादी संगठन को भारतीय संस्कृति के झंडाबरदारों में से एक मानते हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसे एक आतंकी संगठन की संज्ञा देते हैं, लेकिन असल में बजरंग दल क्या है और इसकी स्थापना किसने और क्यों की थी चलिए आज आपको हम बताते है।

बजरंग दल की शुरुआत 1 अक्टूबर 1984 में सबसे पहले भारत के उत्तर प्रदेश में शोभायात्रा के रूप में हुई थी। इस शोभा यात्रा को राम जानकी रथयात्रा के नाम से जाना जाता था जिसका मकसद केवल लोगों को हिंदुत्व के बारे में बताना था। धीरे-धीरे इस यात्रा से युवा और साधु-संत जुड़ गये और ये गुट बजरंग दल में तब्दील हो गया। इसके बाद इस दल का विस्तार पूरे भारत में हो गया। इस दल का मुख्य एजेंडा देश में हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार करता है। बजरंग दल का सूत्रवाक्य “सेवा, सुरक्षा और संस्कृति” है। बजरंग दल इन दिनों अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर मुखर हुआ है। इसी कारण बजरंग दल की छवि समाज में हिंदू समर्थक के रूप में हो गई है। इस दल के कुछ लोगों का उग्र रूप भी इस छवि को मजबूत करताा है और इसी कारण इस दल के साथ बहुत सारी कंट्रोवर्सी भी जुड़ गई हैं।

बजरंग दल का राष्ट्रीय संयोजक विनय कटियार को बनाया गया। युवाओं को लगातार इस नए संगठन से जोड़ा गया। बजरंग दल का सूत्रवाक्य सेवा, सुरक्षा और संस्कृति है। हिंदू युवा शक्ति को समाज के प्रति संस्कारयुक्त और सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना बजरंग दल का मुख्य कार्य है।

बजरंग दल हर साल देश के विभिन स्थानों पर अपने कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने के लिए शौर्य प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन करता है…बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनका हर काम राष्ट्र और धर्म के लिए होता है जिसमें विवाद का कोई विषय नही है।

बजरंग दल ( bajrang dal ) के मुताबिक भारत से लव जिहाद, गौ हत्या, और धर्मांतरण जैसी गतिविधियों को पूरी तरह खत्म कर भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना उनका लक्ष्य है। बजरंग दल अपने काम का विस्तार करने के लिए देशभर के मंदिरों में साप्ताहिक मिलन के कार्यक्रम के आयोजन भी करता है।

युवाओं से संपर्क साधने के लिए बजरंग दल खेल प्रतियोगिता और अखाड़े भी संचालित करता है जिसमें वो युवाओं को शारीरिक रूप से मजबूत करने का काम करता है। देश की हिन्दी पट्टी के राज्यों के साथ ही दक्षिण के राज्यों में भी बजरंग दल के कार्यकर्ता मौजूद हैं। इस हिंदुत्ववादी संगठन के बारे में दिलचस्प बात ये है कि बजरंग दल अपने किसी भी कार्यकर्ता या पदाधिकारी को किसी भी तरह का पहचान पत्र मुहैया नहीं करवाता। बजरंग दल अपने 27 लाख सदस्यों और करीब 22 लाख कार्यकर्ता होने का दावा करता है।

 

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