मनीषा शर्मा। 2025 की शुरुआत से ही सोने और चांदी की कीमतों में जबरदस्त उथल-पुथल देखने को मिली है। कभी रिकॉर्ड तो कभी अचानक गिरावट। इस पूरे घटनाक्रम ने निवेशकों, सर्राफा बाजार और आम लोगों के बीच काफी हलचल मचा दी है। जानिए इस पूरे साल अब तक सोने-चांदी की कीमतों का ट्रेंड, इसके पीछे की वजहें और आने वाले महीनों का प्राइस प्रोजेक्शन।
2025 की शुरुआत में सोने का सफर
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, 1 जनवरी 2025 को 24 कैरेट सोने की कीमत ₹76,162 प्रति 10 ग्राम थी। लेकिन इसके बाद सोना लगातार चढ़ता चला गया। शुरुआती 94 दिनों में ₹14,852 बढ़कर ₹91,014 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया।
फिर अप्रत्याशित रूप से 5 और 6 अप्रैल को बाजार बंद रहने के बाद, 7 अप्रैल को बाजार खुलते ही सोने की कीमत में करीब ₹2000 की गिरावट आ गई। अगले दिन यानी 8 अप्रैल को यह गिरावट और गहरी हो गई और सोना ₹88,550 प्रति 10 ग्राम तक लुढ़क गया। दो कारोबारी दिनों में ₹2464 की गिरावट निवेशकों के लिए बड़ा झटका थी।
गिरावट की वजह
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार, इस गिरावट की बड़ी वजह अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बना दी थी। इससे ग्लोबल मार्केट में दबाव बढ़ा और डॉलर की मजबूती ने भी सोने पर असर डाला। शेयर बाजार में भी भारी गिरावट आई, जिससे निवेशक सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड की जगह शेयर्स में पैसा लगाने लगे। वहीं डॉलर के मजबूत होने से इम्पोर्ट कॉस्ट भी कम हुआ, जिससे घरेलू बाजार में कीमतें गिरीं।
फिर बढ़त का दौर
9 अप्रैल से सोने ने एक बार फिर वापसी की। इस दिन ₹1611 की तेजी के साथ 24 कैरेट सोना ₹90,161 प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा। इसके दो प्रमुख कारण रहे—
अमेरिका की टैरिफ नीति से ट्रेड वॉर का खतरा
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का कमजोर होना
दुनियाभर में मंदी की आशंका से निवेशकों ने सोने में पैसा लगाना शुरू कर दिया। 11 अप्रैल को सोने ने ₹93,353 प्रति 10 ग्राम का ऑल टाइम हाई बना लिया।
क्या ग्लोबल मार्केट में भी यही हाल?
जी हां। सोने की कीमतें सिर्फ भारत में ही नहीं, इंटरनेशनल मार्केट में भी तेजी से चढ़ रही हैं। लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) के मुताबिक, जनवरी 2025 में सोने की कीमत 2633 डॉलर प्रति औंस थी, जो अप्रैल तक बढ़कर 3230 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई। इस दौरान फरवरी में सोना 2936 डॉलर प्रति औंस तक गया था, और मार्च में 2880 डॉलर तक गिरने के बाद फिर संभला।
तेजी के 4 बड़े कारण
डॉलर की गिरावट
डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों से अमेरिकी डॉलर कमजोर हुआ। 12 अप्रैल को डॉलर इंडेक्स में 9% की गिरावट से यह 99.50 अंक पर आ गया। इससे सोने की कीमतों में भारी तेजी आई।
ट्रेड वॉर और ग्लोबल अस्थिरता
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर और रूस-यूक्रेन युद्ध ने ग्लोबल इकॉनमी को डगमगाया। आर्थिक अस्थिरता में सोना निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता है।
जियोपॉलिटिकल टेंशन
ट्रम्प की टैरिफ पॉलिसी और मिडल ईस्ट में युद्ध जैसी स्थितियों ने भी सोने की कीमतों को ऊपर पहुंचाया।
भारतीय बाजार में रिटेल डिमांड
शादियों और त्योहारों में सोना खरीदने की परंपरा भारत में सबसे मजबूत है। इस सीजन में रिटेल डिमांड बढ़ने से भी दाम में तेजी आई।
💎 चांदी की कीमतों का ट्रेंड
2025 में चांदी ने भी जोरदार छलांग लगाई। साल की शुरुआत में चांदी ₹86,017 प्रति किलो थी, जो 12 अप्रैल तक ₹92,929 प्रति किलो पर पहुंच गई। 28 मार्च को चांदी ₹1,00,934 का ऑल टाइम हाई बना चुकी है। सोने और चांदी का रेश्यो 2025 के पहले महीनों में 89.3% रहा। अजय केडिया के अनुसार, आने वाले महीनों में रेश्यो घटेगा और चांदी की कीमतें ₹1,30,000 प्रति किलो तक जा सकती हैं।
🔮 2025 का प्राइस प्रोजेक्शन
सोना:
2025 में सोने की कीमतें ₹99,000 प्रति 10 ग्राम के पार जा सकती हैं।
प्रमुख वजहें:
केंद्रीय बैंकों की थोक में खरीद
फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती
ग्लोबल अस्थिरता और टैरिफ वॉर
चांदी:
अजय केडिया के मुताबिक, चांदी इस साल ₹1,30,000 प्रति किलो तक जा सकती है।
निवेश सलाह
एक्सपर्ट्स का मानना है कि गोल्ड-सिल्वर में निवेश भले सुरक्षित माना जाता है, लेकिन बाजार की अस्थिरता के दौर में बड़ा निवेश जोखिम भरा हो सकता है। डॉ. फिलिप फ्लायर्स के अनुसार, जब ग्लोबल मार्केट स्थिर होगा तो सोने की कीमतें भी सामान्य हो जाएंगी। इसलिए निवेश लंबी अवधि के नजरिए से करें।