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आंखों में मोतियाबिंद बनने के जानें शुरुआती 5 प्रमुख संकेत

आंखों में मोतियाबिंद बनने के जानें शुरुआती 5 प्रमुख संकेत

शोभना शर्मा। मोतियाबिंद (Cataract) आंख के लेंस पर बनने वाली एक धुंधली परत या धब्बा होता है। सामान्य स्थिति में आंख का लेंस पारदर्शी होता है, जो प्रकाश को गुजरने देता है और हमें स्पष्ट देखने में मदद करता है। जब इस लेंस में धुंधलापन आने लगता है, तो प्रकाश सही ढंग से नहीं गुजर पाता और दृष्टि धीरे-धीरे धुंधली हो जाती है। समय रहते इलाज न कराने पर यह स्थिति गंभीर हो सकती है और व्यक्ति को देखने में काफी कठिनाई होती है।

मोतियाबिंद एक या दोनों आंखों में विकसित हो सकता है, लेकिन एक आंख में एक से अधिक मोतियाबिंद नहीं बनते। इसकी शुरुआत धीरे-धीरे होती है, इसलिए प्रारंभिक चरण में व्यक्ति को लक्षणों का पता नहीं चल पाता।

मोतियाबिंद के प्रमुख कारण

मोतियाबिंद बनने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  1. उम्र बढ़ना:
    उम्र के साथ आंखों के लेंस में प्राकृतिक बदलाव आने लगते हैं, जिससे लेंस अपनी पारदर्शिता खो देता है।

  2. डायबिटीज (मधुमेह):
    लंबे समय तक शुगर का स्तर बढ़ा रहने पर आंख के लेंस की संरचना प्रभावित होती है, जिससे मोतियाबिंद जल्दी बनने लगता है।

  3. आंख की चोट:
    आंख पर लगी चोट या सर्जरी भी लेंस को नुकसान पहुंचा सकती है, जो आगे चलकर मोतियाबिंद में बदल जाती है।

  4. दवाओं का प्रभाव:
    कुछ दवाएं जैसे स्टेरॉइड्स या मानसिक रोगों के इलाज में दी जाने वाली दवाएं (जैसे Phenothiazines) लेंस की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकती हैं।

  5. अत्यधिक धूप और UV किरणें:
    सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें लेंस के प्रोटीन को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ता है।

  6. रेडिएशन या कैंसर ट्रीटमेंट:
    रेडिएशन थेरेपी भी आंखों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है और मोतियाबिंद बनने की प्रक्रिया को तेज कर सकती है।

मोतियाबिंद के 5 शुरुआती लक्षण

यदि निम्न लक्षण दिखाई दें, तो यह मोतियाबिंद की शुरुआत का संकेत हो सकता है:

  1. धुंधली या कोहरे जैसी दृष्टि:
    चीजें साफ दिखाई नहीं देतीं, जैसे आंखों के सामने धुंध या कोहरा हो।

  2. रंगों की चमक कम होना:
    पहले जो रंग जीवंत और स्पष्ट दिखाई देते थे, वे फीके या धूमिल लगने लगते हैं।

  3. तेज रोशनी में चकाचौंध:
    धूप, हेडलाइट्स या तेज लैम्प की रोशनी आंखों में चुभने लगती है और देखने में परेशानी होती है।

  4. रात में देखने में कठिनाई:
    रात के समय गाड़ी चलाना या कम रोशनी में वस्तुओं को पहचानना मुश्किल हो जाता है।

  5. चश्मे का नंबर बार-बार बदलना:
    व्यक्ति को बार-बार नया चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस बदलना पड़ता है, क्योंकि दृष्टि में बार-बार बदलाव आता है।

इसके अलावा, कभी-कभी एक आंख से डबल विजन या चीज़ों की कई परछाइयां भी दिख सकती हैं।

मोतियाबिंद का निदान कैसे होता है

मोतियाबिंद का पता नेत्र विशेषज्ञ (Ophthalmologist) द्वारा की जाने वाली आंखों की जांच से लगाया जा सकता है। डॉक्टर स्लिट लैंप, रेटिना स्कैन और विज़न टेस्ट के जरिए आंखों की स्थिति का आकलन करते हैं। यह जांच यह बताती है कि लेंस में धुंधलापन कहां और किस स्तर का है।

यदि आपकी उम्र 40 वर्ष या उससे अधिक है, तो हर दो वर्ष में एक बार आंखों की जांच करवाना आवश्यक है, चाहे आपको कोई समस्या महसूस न हो। इससे मोतियाबिंद सहित अन्य आंखों की बीमारियों का समय रहते पता लगाया जा सकता है।

मोतियाबिंद का उपचार

मोतियाबिंद का एकमात्र स्थायी उपचार सर्जरी है।
इस सर्जरी में धुंधले लेंस को निकालकर उसकी जगह कृत्रिम पारदर्शी लेंस (Intraocular Lens – IOL) लगाया जाता है। यह सर्जरी आमतौर पर 15-20 मिनट की होती है और मरीज को उसी दिन घर भेज दिया जाता है। सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक आंखों को धूल, धूप और संक्रमण से बचाना जरूरी होता है।

प्रारंभिक अवस्था में यदि लक्षण हल्के हैं, तो डॉक्टर कुछ समय तक चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से दृष्टि सुधारने की सलाह दे सकते हैं। लेकिन जब धुंधलापन बढ़ने लगे और दैनिक कार्य प्रभावित होने लगें, तब सर्जरी ही एकमात्र विकल्प रह जाती है।

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