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तुर्कि से मार्बल आयात पर रोक लगाएगा किशनगढ़

तुर्कि से मार्बल आयात पर रोक लगाएगा किशनगढ़

शोभना शर्मा। भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे कूटनीतिक तनाव के बीच तुर्कि के पाकिस्तान समर्थक रुख ने भारतीय उद्योग जगत में भी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है। खासकर राजस्थान के किशनगढ़ मार्बल बाजार ने तुर्कि के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। अब किशनगढ़, जो कि एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडियों में से एक है, ने तुर्कि से मार्बल आयात पर रोक लगाने और वहां आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय मार्बल फेयर का बहिष्कार करने की घोषणा की है।

यह निर्णय किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन द्वारा लघु उद्योग भारती किशनगढ़ के आग्रह पर लिया गया है। मार्बल एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि यह कदम तुर्कि द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों, विशेष रूप से पाकिस्तान के समर्थन में दिए गए बयानों और रुख के विरोध में उठाया गया है।

प्रत्येक माह 21 करोड़ रुपये का व्यापार होगा प्रभावित

तुर्कि से मार्बल आयात पर रोक लगाने का सीधा असर किशनगढ़ के पत्थर कारोबार पर पड़ेगा। किशनगढ़ की मार्बल मंडी में प्रतिदिन औसतन 8 करोड़ रुपये का तुर्कि से आयातित मार्बल आता है, जिससे प्रतिमाह लगभग 21 करोड़ रुपये का व्यापार होता है। इस आयात को रोकने का अर्थ है इस व्यापार पर अस्थायी विराम। हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और जब कोई देश भारत के विरुद्ध खड़ा होता है, तो उससे व्यापारिक संबंध बनाए रखना उचित नहीं है।

जून में आयोजित तुर्किए मार्बल फेयर का बहिष्कार

तुर्कि के अफ्यों (Afyon) शहर में 18 से 21 जून के बीच आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय मार्बल फेयर में हर साल भारत के कई मार्बल व्यापारी हिस्सा लेते हैं। इस बार किशनगढ़ के व्यापारी इस फेयर का पूर्ण बहिष्कार करेंगे। यह निर्णय भी देशहित के तहत लिया गया है। किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर जैन और महासचिव शशिकांत पाटोदिया ने संयुक्त रूप से यह ऐलान किया।

सुधीर जैन का बयान

एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर जैन ने बताया कि, “तुर्कि ने हाल ही में पाकिस्तान के समर्थन में भारत विरोधी गतिविधियों का समर्थन किया है। इस देश की नीतियां भारत के लिए खतरा बन सकती हैं। ऐसे में हमारी एसोसिएशन ने सामूहिक रूप से तुर्कि से किसी भी प्रकार का मार्बल आयात न करने का निर्णय लिया है। यह फैसला लंबे मंथन के बाद, सभी सदस्यों की सहमति से लिया गया है। साथ ही तुर्कि में होने वाले फेयर का बहिष्कार कर, एक स्पष्ट संदेश भी दिया जा रहा है।”

विकल्प के रूप में अन्य देशों से आयात पर विचार

महासचिव शशिकांत पाटोदिया ने बताया कि मार्बल उद्योग पूरी तरह से तुर्कि पर निर्भर नहीं है। वियतनाम, इटली, ईरान, ओमान, स्पेन और ग्रीस जैसे देशों से भी उच्च गुणवत्ता वाला मार्बल आयात किया जा सकता है। तुर्कि के स्थान पर ये देश अब प्रमुख आपूर्ति स्रोत हो सकते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि तुर्किए से आयात पर रोक लगाने से जो अस्थायी आपूर्ति संकट उत्पन्न होगा, उसे इन विकल्पों से हल किया जाएगा। यह निर्णय देश के गौरव और स्वाभिमान को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से लिया गया है।

किशनगढ़: भारत की मार्बल राजधानी

किशनगढ़ को भारत की मार्बल राजधानी कहा जाता है। यहां मार्बल और ग्रेनाइट के हजारों कारोबारी सक्रिय हैं और यह मंडी हनुमानगढ़ मेगा हाईवे के किनारे परबतसर तक फैली हुई है। करीब 150 से अधिक गोदामों में प्रतिदिन लाखों रुपये का व्यापार होता है। किशनगढ़ का मार्बल केवल देशभर में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।

राजस्थान के अन्य शहरों में भी तुर्किए से आयात पर रोक

किशनगढ़ से पहले राजसमंद और भीलवाड़ा जैसे मार्बल केंद्रों में भी तुर्कि से आयात पर आपत्ति जताई गई थी। अब किशनगढ़ ने जब तुर्कि के खिलाफ ठोस कदम उठाया है, तो यह संभावना है कि अन्य शहरों में भी व्यापारी इसी दिशा में आगे बढ़ेंगे।

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