मनीषा शर्मा । राजस्थान सरकार जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौती से निपटने के लिए रणनीतिक स्तर पर योजनाएं बना रही है। इस दिशा में कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की अध्यक्षता में शासन सचिवालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में राज्य जलवायु विकास एवं नेतृत्व पर गहन चर्चा हुई और जलवायु परिवर्तन के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया गया।
मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने बैठक में बताया कि राजस्थान की जलवायु विशेष रूप से शुष्क से लेकर मानसूनी प्रकृति की है। राज्य के पश्चिमी भागों में अत्यधिक शुष्क और मरुस्थलीय वातावरण है, जबकि पूर्वी भागों में अपेक्षाकृत अधिक वर्षा और उप-आर्द्र जलवायु पाई जाती है। गर्मी और सर्दी दोनों में ही तापमान चरम स्तर पर पहुंचता है। वर्षा में भी अत्यधिक अनियमितता देखने को मिलती है, जो किसानों, पशुपालकों और आमजन के लिए चिंता का विषय बन चुकी है।
जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहे हैं मौसम के पैटर्न
मंत्री मीणा ने कहा कि राजस्थान में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसमी अनिश्चितता बढ़ रही है, और इसका सीधा असर राज्य की जलवायु, खेती, जल स्रोतों और मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। तापमान में निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है, जिससे कई जिलों में अत्यधिक गर्मी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार विभिन्न नीतिगत और संरचनात्मक उपायों पर काम कर रही है। जलवायु परिवर्तन की रोकथाम और इसके दुष्प्रभावों को कम करने के लिए राज्यस्तरीय कार्य योजना पर अमल किया जा रहा है, जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
नीति के प्रमुख फोकस क्षेत्र
राज्य सरकार की जलवायु नीति में कई रणनीतिक क्षेत्र शामिल किए गए हैं। इनमें मानव स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन, सौर ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और जलवायु अनुकूलन प्रमुख हैं। जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने, वर्षा जल संचयन और अक्षय ऊर्जा संसाधनों के बेहतर उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।सरकार की नीति राष्ट्रीय जलवायु प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाई गई है। इसका उद्देश्य राज्य के समग्र विकास को पर्यावरणीय संतुलन के साथ आगे बढ़ाना है। सभी योजनाओं को समयबद्ध, चरणबद्ध और परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है।
राजस्थान – जलवायु के प्रति अत्यंत संवेदनशील राज्य
मंत्री ने बताया कि राजस्थान को देश के चार सबसे अधिक जलवायु परिवर्तन संवेदनशील राज्यों में से एक के रूप में चिन्हित किया गया है। राज्य की भौगोलिक और पर्यावरणीय संरचना इसे जलवायु संकट के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है। इसीलिए यहां प्रभावी जलवायु नीति की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सरकार इस बात को भलीभांति समझती है और उसी के अनुरूप नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केवल सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि जनभागीदारी और स्थानीय स्तर पर जागरूकता भी जरूरी है। सरकार इस दिशा में सार्वजनिक प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रमों के जरिए समाज को भी जोड़ने की योजना पर काम कर रही है।