शोभना शर्मा। राजस्थान के जैसलमेर जिले में हुए खेत सिंह हत्याकांड का मामला अब एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले चुका है। गुरुवार सुबह डांगरी गांव में सर्व समाज के हजारों लोग एकजुट होकर धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर शाम 4 बजे तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
खेत सिंह हत्याकांड के बाद बढ़ता आक्रोश, डांगरी बना आंदोलन का केंद्र
यह आंदोलन अब केवल खेत सिंह के परिवार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे समाज का गुस्सा बन गया है। धरना स्थल पर हालात की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की है। अधिकारी लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं ताकि स्थिति बिगड़ने से रोकी जा सके।
धरना स्थल पर पूर्व विधायक सांग सिंह, भाजपा नेता और राजपरिवार के सदस्य विक्रम सिंह नाचना, खेत सिंह के परिजन भैरो सिंह और हाथी सिंह मुलाना मौजूद हैं। इन नेताओं की मौजूदगी से आंदोलन को और मजबूती मिली है।
बाड़मेर से भी पहुंचे समर्थक
धरने को समर्थन देने के लिए बाड़मेर से भी भाजपा नेता स्वरूप सिंह खारा अपने काफिले के साथ पहुंचे। इससे साफ है कि यह मामला अब राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। स्थानीय नेताओं की भागीदारी से प्रशासन पर दबाव और बढ़ गया है।
शाम 4 बजे तक का अल्टीमेटम
धरने पर बैठे लोगों और नेताओं ने प्रशासन को साफ शब्दों में अल्टीमेटम दिया है। उनका कहना है कि शाम 4 बजे तक सभी आरोपियों और साजिशकर्ताओं की गिरफ्तारी होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो आंदोलन अगले चरण में जाएगा।
प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें
धरना केवल गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदर्शनकारियों ने कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं:
आरोपियों की गिरफ्तारी: प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शाम 4 बजे तक सभी आरोपियों और इस हत्याकांड से जुड़े साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार किया जाए।
अवैध अतिक्रमण हटाना: आरोपियों द्वारा किए गए अवैध कब्जों को तुरंत हटाने की मांग भी उठाई गई है।
शहीद का दर्जा: सबसे बड़ी और भावनात्मक मांग है कि खेत सिंह को शहीद का दर्जा दिया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने हिरण का शिकार रोककर अपनी जान देकर बहादुरी दिखाई, जिसके लिए उन्हें यह सम्मान मिलना चाहिए।
प्रशासन पर बढ़ता दबाव
धरना स्थल पर ग्रामीणों का कहना है कि जब तक प्रशासन से उनकी सभी मांगों पर ठोस सहमति नहीं बनती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। परिजन और जनप्रतिनिधि स्पष्ट कर चुके हैं कि वे केवल आश्वासन नहीं चाहते, बल्कि लिखित और ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।