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खाटूश्यामजी मंदिर 43 घंटे रहेगा बंद, इत्र पर प्रतिबंध

खाटूश्यामजी मंदिर 43 घंटे रहेगा बंद, इत्र पर प्रतिबंध

मनीषा शर्मा। सीकर जिले के प्रसिद्ध बाबा खाटूश्यामजी मंदिर में इस वीकेंड श्रद्धालुओं को बड़ी निराशा झेलनी पड़ेगी। मंदिर प्रबंधन ने घोषणा की है कि 6 सितंबर की रात 10 बजे से लेकर 8 सितंबर की शाम 5 बजे तक मंदिर पूरी तरह बंद रहेगा। इस दौरान किसी भी श्रद्धालु को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।

मंदिर कमेटी के मंत्री मानवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि यह निर्णय धार्मिक अनुष्ठानों और विशेष खगोलीय परिस्थितियों को देखते हुए लिया गया है।

स्नान और तिलक के साथ चंद्रग्रहण का मेल

आमतौर पर हर अमावस्या के बाद बाबा खाटूश्यामजी का स्नान और तिलक कार्यक्रम आयोजित होता है। इस वजह से मंदिर लगभग 18 से 19 घंटे के लिए बंद रहता है। लेकिन इस बार संयोग ऐसा बना है कि स्नान और तिलक के साथ-साथ चंद्रग्रहण भी पड़ रहा है। यही कारण है कि मंदिर को लगातार 43 घंटे तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है।

इत्र और कांटेदार गुलाब पर रोक

श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने मंदिर में नया प्रतिबंध लागू किया है। अब बाबा खाटूश्यामजी को इत्र की शीशियां और कांटेदार गुलाब चढ़ाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

दरअसल, भक्त अक्सर लाइन से ही मूर्ति की ओर छोटी-छोटी इत्र की बोतलें और कांटेदार गुलाब फेंक देते थे। इससे कई बार मंदिर में मौजूद कर्मचारी और श्रद्धालु घायल हो जाते थे। हाल ही में एक युवती के पैर में कांच का टुकड़ा लगने से उसका पैर गंभीर रूप से घायल हो गया था।

दुकानदारों पर होगी सख्त कार्रवाई

हालांकि पहले से ही कांच की शीशियों में इत्र बेचने पर रोक थी, लेकिन कई दुकानदार नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। बुधवार को सीकर जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा और पुलिस अधीक्षक प्रवीण नायक ने मंदिर का दौरा किया और हालात का जायजा लिया।

इस दौरान उन्होंने साफ निर्देश दिए कि जो भी दुकानदार कांच की इत्र की शीशियां या कांटेदार गुलाब बेचते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सुरक्षा प्रशासन की पहली प्राथमिकता

खाटूश्यामजी मंदिर में हर साल करोड़ों श्रद्धालु देशभर से दर्शन करने आते हैं। एकादशी, द्वादशी और वीकेंड पर यहां भीड़ का स्तर कई गुना बढ़ जाता है। इस स्थिति में सुरक्षा प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

सीकर कलेक्टर ने उपखंड अधिकारी, तहसीलदार और नगर पालिका प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि मंदिर परिसर और आसपास नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए। श्रद्धालुओं की सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं होगा।

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