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काल भैरव E2A2: भारत का स्वदेशी कॉम्बैट एयरक्राफ्ट

काल भैरव E2A2: भारत का स्वदेशी कॉम्बैट एयरक्राफ्ट

मनीषा शर्मा।  भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में डिफेंस स्टार्टअप फ्लाइंग वेज डिफेंस एंड एयरोस्पेस (FWDA) ने भारत का पहला स्वदेशी कॉम्बैट एयरक्राफ्ट काल भैरव E2A2 पेश किया। कंपनी का दावा है कि यह विमान पूरी तरह से भारतीय तकनीक पर आधारित है और इसके निर्माण, डिजाइन और डेवलपमेंट में विदेशी निर्भरता न के बराबर है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह 80% भारतीय नियंत्रण (Sovereign Control) में काम करता है। यानी भारत को अब किसी विदेशी सप्लाई चेन, OEM कंट्रोल या टेक्नोलॉजी ब्लॉकेज का सामना नहीं करना पड़ेगा।

काल भैरव E2A2 की मुख्य खूबियां

इस कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को Economic & Efficient Autonomous Aircraft (E2A2) कहा जा रहा है। इसे आधुनिक युद्ध की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।

  • विंगस्पैन: 6.5 मीटर

  • पेलोड क्षमता: 91 किलो (EOIR, मिसाइल, लेजर गाइडेड रॉकेट + फ्यूल)

  • एंड्योरेंस (ISR मिशन): 30 घंटे (MSL), 25 घंटे (15,000 फीट)

  • एंड्योरेंस (एयर स्ट्राइक): 11 घंटे (MSL), 9 घंटे (15,000 फीट)

  • रेंज: 3,000 किलोमीटर (सैटकॉम आधारित)

  • क्रूज़ स्पीड: 42 m/s (MSL), 52 m/s (15,000 फीट)

  • अधिकतम स्पीड: 80 m/s

  • सीलिंग हाइट: 20,000 फीट

  • टेकऑफ/लैंडिंग: शॉर्ट रनवे पर भी संभव (STOL)

  • प्रोपल्शन सिस्टम: इंजन आधारित तकनीक

इन खूबियों से साफ है कि काल भैरव E2A2 केवल निगरानी (Surveillance) ही नहीं बल्कि आक्रमण (Strike) मिशन को भी बखूबी अंजाम दे सकता है।

अमेरिकी प्रीडेटर से 10 गुना सस्ता

अमेरिका का MQ-9 Reaper प्रीडेटर ड्रोन दुनियाभर में सबसे चर्चित है, लेकिन इसकी कीमत लगभग 1000 करोड़ रुपये है। वहीं, FWDA का काल भैरव E2A2 केवल उसकी कीमत के 1/10 हिस्से में तैयार हो जाता है। इसका मतलब यह है कि एक प्रीडेटर की कीमत में भारत 10 काल भैरव E2A2 खरीद सकता है।
यह न केवल भारतीय वायुसेना को आर्थिक मजबूती देगा बल्कि रणनीतिक बढ़त भी दिलाएगा। छोटे और ज्यादा संख्या में UAVs दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भ्रमित कर सकते हैं। काल भैरव की कम लागत और आसान रिप्लेसमेंट क्षमता इसे भविष्य के युद्धों में और भी कारगर बनाती है।

विदेशी तकनीक पर निर्भरता खत्म

FWDA का दावा है कि काल भैरव पूरी तरह से भारतीय सप्लाई चेन से जुड़ा है। इसका सीधा अर्थ है कि अब भारत को किसी भी विदेशी देश के प्रतिबंध, OEM के लाइसेंस या टेक्नोलॉजी ब्लॉकेज की चिंता नहीं रहेगी। 80% स्वदेशी नियंत्रण का यह मॉडल भारत को पूरी तरह Atmanirbhar Bharat के लक्ष्य की ओर ले जाता है।

पहले दिन ही मिला एक्सपोर्ट ऑर्डर

लॉन्चिंग के दिन ही FWDA ने बड़ी सफलता हासिल की। कंपनी ने बताया कि एक दक्षिण एशियाई देश ने काल भैरव E2A2 के लिए 25 मिलियन डॉलर (करीब 210 करोड़ रुपये) का ऑर्डर दिया है। यह कुल 30 मिलियन डॉलर की रणनीतिक डील का हिस्सा है।

इससे साफ है कि भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी पर विदेशी देशों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है। आने वाले समय में भारत न केवल आत्मनिर्भर होगा बल्कि हथियार निर्यातक देशों की सूची में भी मजबूत पहचान बनाएगा।

क्यों है काल भैरव भविष्य का हथियार?

  1. स्वॉर्म टेक्नोलॉजी का लाभ – आने वाले युद्धों में एक बड़े महंगे UAV की जगह कई छोटे UAVs ज्यादा कारगर होंगे।

  2. कम लागत, ज्यादा संख्या – काल भैरव जैसे UAVs बड़ी संख्या में तैनात किए जा सकते हैं, जिससे दुश्मन के डिफेंस सिस्टम पर दबाव बढ़ेगा।

  3. तेजी से रिपेयर और स्पेयर पार्ट्स उपलब्धता – युद्धकाल में भारतीय सप्लाई चेन से तत्काल पुर्जे मिल सकते हैं।

  4. इंपोर्ट पर निर्भरता खत्म – भारत को अब विदेशी कंपनियों और अरबों रुपये के महंगे सौदों की जरूरत नहीं रहेगी।

FWDA की यात्रा

फ्लाइंग वेज डिफेंस एंड एयरोस्पेस की शुरुआत 2022 में सुहास तेजसकंदा ने की थी।

  • कंपनी पहले ही भारत का पहला DGCA सर्टिफाइड UAV लॉन्च कर चुकी है।

  • 2024 में इसने FWD-200B अनमैन्ड बॉम्बर एयरक्राफ्ट का सफल परीक्षण किया।

  • अब काल भैरव E2A2 के जरिए FWDA ने भारत को विश्वस्तरीय UAV क्षमता दिलाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाया है।

भारत का रक्षा क्षेत्र अब तेज़ी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। काल भैरव E2A2 इसका बेहतरीन उदाहरण है। कम लागत, उच्च क्षमता और पूरी तरह से भारतीय तकनीक पर आधारित यह एयरक्राफ्ट न केवल भारतीय वायुसेना को मजबूती देगा बल्कि आने वाले समय में भारत को वैश्विक हथियार निर्यातक देशों की सूची में भी शीर्ष पर पहुंचा सकता है। यह भारत की उस नई सोच और क्षमता का प्रतीक है जो दिखाता है कि आने वाला भविष्य स्वदेशी तकनीक के ही हाथों सुरक्षित होगा।

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