शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर गौशालाओं को लेकर बवाल मच गया है। राज्य सरकार के मंत्री मदन दिलावर के एक बयान ने इस विवाद को जन्म दिया है, जो अब तेजी से सियासी रंग ले रहा है। मंत्री दिलावर का कथित बयान कि “मैं गौशालाओं के खिलाफ हूं”, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिस पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी को कठघरे में खड़ा कर दिया।
दिलावर का बयान और विवाद की शुरुआत
घटना पाली जिले के बर नेशनल हाईवे स्थित नंदी गौशाला के निरीक्षण के दौरान की है। इस दौरान कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर और उनके साथ मंत्री अविनाश गहलोत उपस्थित थे। जब अविनाश गहलोत ने गौशाला की जानकारी देना शुरू की, तभी दिलावर ने टिप्पणी की — “मैं गौशालाओं के खिलाफ हूं।”
इस वाक्यांश ने ही विवाद को जन्म दिया। वहां मौजूद ग्रामीणों और स्थानीय भाजपा नेता राजेश मेवाड़ा ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए मंत्री को बताया कि यह गौशाला “कागजों पर नहीं”, बल्कि वास्तविक सेवा कार्यों के लिए है। इस गौशाला को लंपी महामारी के दौरान गांववासियों ने स्वयं अस्पताल के रूप में शुरू किया था, जहां घायल गोवंश की देखभाल की जाती रही है।
दिलावर का स्पष्टीकरण और रुख में बदलाव
बयान की गंभीरता को समझते हुए मंत्री मदन दिलावर ने तुरंत स्पष्ट किया कि उनका विरोध “फर्जी गौशालाओं” के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि,
“मैं उन फर्जी गौशालाओं के खिलाफ हूं जो केवल कागजों पर चलती हैं। जैसलमेर में करोड़ों रुपये का भुगतान किया गया, जबकि वहां गोवंश था ही नहीं। ऐसे भ्रष्टाचार ने मेरा मन व्यथित कर दिया।”
जब उन्हें बताया गया कि यह गौशाला पिछले तीन वर्षों से बिना किसी सरकारी अनुदान के चल रही है और अब तक इसके नाम जमीन तक दर्ज नहीं हुई है, तब उन्होंने तुरंत इसे “बेहतरीन गौशाला” बताते हुए भामाशाहों की सराहना की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस गौशाला के लिए भूमि आवंटन और अनुदान की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए।
टीकाराम जूली का तीखा हमला
कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने इस मौके को भुनाते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर बीजेपी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने लिखा:
“गौमाता का अपमान, कब तक सहेगा राजस्थान?
गौमाता के नाम पर वोट और असलियत में गौशालाओं के विरोध में भाजपा, यही है भाजपाइयों का असली चेहरा।”टीकाराम जूली ने आगे कहा कि भाजपा केवल गौसेवा के नाम पर राजनीति करती है और यह अब खुद उनकी सरकार के मंत्री उजागर कर रहे हैं। उन्होंने तीन मंत्रियों—मदन दिलावर, अविनाश गहलोत और ओटाराम देवासी—का नाम लेते हुए आरोप लगाया कि भाजपा का सारा “गौसेवा अभियान” केवल चुनावी हथियार है, जिसमें न तो आस्था है और न ही संवेदनशीलता।
उनका कहना था कि जब भाजपा के मंत्री खुद ही गौशालाओं के खिलाफ बयानबाजी करते हैं, तो यह भाजपा की कथनी और करनी के फर्क को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि जनता सब कुछ देख रही है और आने वाले समय में इसका जवाब देगी।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
इस विवाद ने राजस्थान में भाजपा सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। जहां एक ओर मंत्री दिलावर के बयान को कांग्रेस ने भाजपा की “दोहरी नीति” करार दिया है, वहीं भाजपा के समर्थक मंत्री के स्पष्टीकरण के बाद इसे “फर्जी गौशालाओं के खिलाफ लड़ाई” बता रहे हैं।