latest-newsजोधपुरराजस्थान

जोधपुर कोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी के कमाने के बावजूद मिलेगी गुजारा भत्ता

जोधपुर कोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी के कमाने के बावजूद मिलेगी गुजारा भत्ता

शोभना शर्मा।  जोधपुर फैमिली कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि अगर पत्नी कमाती भी है, तब भी वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। कोर्ट ने पति की आर्थिक स्थिति और स्टेटस को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय सुनाया है। यह केस एक सरकारी टीचर पत्नी और एक्यूप्रेशर हेल्थ केयर सिस्टम बिजनेस करने वाले पति के बीच का है। कोर्ट के इस फैसले के तहत बिजनेसमैन पति को हर महीने अपनी पत्नी और दो बेटों के लिए कुल 2 लाख रुपए का भरण-पोषण देना होगा।

कैसे शुरू हुआ यह मामला?

सरकारी टीचर की ओर से 2019 में जोधपुर फैमिली कोर्ट में यह मामला दायर किया गया था। महिला ने अपनी याचिका में बताया कि उसकी शादी 18 फरवरी 1999 को बिजनेसमैन पति के साथ हुई थी। विवाह के बाद से ही महिला को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। पति के व्यवहार में घरेलू हिंसा और गैर जिम्मेदाराना रवैया शामिल था।  टीचर ने परिवार को बचाने की कोशिश की और सबकुछ सहन किया। इसी दौरान दोनों के दो बेटे हुए, जिनमें एक की उम्र 17 साल और दूसरे की उम्र 12 साल है। लेकिन पति का व्यवहार दिन-ब-दिन बिगड़ता चला गया।

बेटे ने पिता के खिलाफ दिया बयान

इस मामले की अहम बात यह रही कि महिला के एक बेटे ने कोर्ट में पिता के खिलाफ बयान दिया। उसने बताया कि उसके पिता का अन्य महिलाओं के साथ संबंध था। बेटे ने खुद अपने पिता को एक महिला के साथ देखा था। यह बयान कोर्ट में महत्वपूर्ण सबूत बना, जिससे महिला का पक्ष मजबूत हुआ।

बिजनेस और आय पर कोर्ट में बहस

महिला के वकील नागराज गोस्वामी ने बताया कि पति का एक्यूप्रेशर हेल्थ केयर सिस्टम के नाम से बिजनेस है। यह बिजनेस देश के कई प्रमुख शहरों जैसे जोधपुर, जयपुर, दिल्ली, कोलकाता, प्रयागराज, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई आदि में फैला हुआ है। पति के हेल्थ केयर सेंटर इन शहरों में चल रहे हैं।

महिला की ओर से कोर्ट में यह तर्क रखा गया कि पति की मासिक आय 7 लाख रुपए से अधिक है। वहीं, पति की ओर से पैरवी कर रहे वकील एआर चौधरी ने दावा किया कि उनके मुवक्किल के पास कोई बड़ा बिजनेस नहीं है। उन्होंने कहा कि पति सिर्फ लकड़ी के एक्यूप्रेशर उपकरण घर-घर जाकर बेचता है

कोर्ट ने क्या कहा?

जोधपुर फैमिली कोर्ट के जज दलपत सिंह राजपुरोहित ने मामले की सुनवाई के बाद यह स्पष्ट किया कि पत्नी भले ही कामकाजी है, लेकिन अगर पति की आय उससे कई गुना अधिक है तो पत्नी गुजारा भत्ता लेने की हकदार है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया। जज ने पति को आदेश दिया कि वह अपनी पत्नी को हर महीने 1 लाख रुपए और दोनों बच्चों के बालिग होने तक 50-50 हजार रुपए का भरण-पोषण देगा।

गुजारा भत्ता का कानूनी आधार

गुजारा भत्ता का प्रावधान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (धारा 144) और हिंदू विवाह अधिनियम (धारा 24) के तहत आता है।

  1. धारा 144: माता-पिता, संतान और पत्नी को मासिक भरण-पोषण का अधिकार देता है।

  2. धारा 24: पत्नी, पति से तलाक या अन्य पारिवारिक विवादों के दौरान मासिक गुजारा भत्ता मांग सकती है।

यदि पत्नी के पास आय का साधन नहीं है या उसकी आय पति के मुकाबले बहुत कम है, तो कोर्ट पति की आर्थिक स्थिति के अनुसार गुजारा भत्ता तय करता है।

महिला की परिस्थिति और पति का स्टेटस

इस केस में महिला एक ग्रेड थर्ड सरकारी टीचर है, जबकि पति का बिजनेस बड़े स्तर पर चल रहा है। कोर्ट ने पति की आर्थिक स्थिति, जीवनशैली और आय को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया। यह निर्णय महिलाओं के लिए एक मिसाल है, जिसमें यह स्पष्ट होता है कि पत्नी के कामकाजी होने के बावजूद वह भरण-पोषण का हक रखती है।

गुजारा भत्ता क्यों जरूरी है?

गुजारा भत्ता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पारिवारिक विवाद या तलाक की स्थिति में महिला को आर्थिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े। यदि पति की आय और जीवन स्तर ऊंचा है, तो पत्नी को भी उसी स्तर के अनुरूप जीवन जीने का अधिकार है।

फैसले का महत्व

यह फैसला महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करता है। कई बार महिलाएं खुद कमाती हैं, लेकिन उनकी आय पति की तुलना में बहुत कम होती है। ऐसे में यह जरूरी है कि पति अपनी जिम्मेदारियों से पीछे न हटे और पत्नी और बच्चों का उचित भरण-पोषण करे।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading