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जे एल एन अस्पताल , लापरवाही का दूसरा बड़ा नाम

जे एल एन अस्पताल , लापरवाही का दूसरा बड़ा नाम

मनीषा शर्मा , अजमेर। भले ही प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री, आम जन को पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के जितना मर्जी निर्देश दे दें, लेकिन हमारे जवाहर लाल नेहरू अस्पताल पर इन निर्देशों का कोई असर नहीं होगा। हाल ही में अजमेर के जेएलएन अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां एक्सीडेंट में घायल मासूम बच्चों के इलाज में न केवल लापरवाही बढ़ती गई, बल्कि ढंग से उपचार भी मुहैया नहीं करवाया गया। अस्पताल में भर्ती करने के बजाय उन्हें बाहर इमरजेंसी के पोर्च में सुला दिया।

जानकारी मिलने के बाद अस्पताल अधीक्षक के निर्देश पर  उन्हें उपचार मुहैया करवाया गया। वहीं अस्पताल अधीक्षक ने इस मामले में लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बात कही है।

दरअसल, देर रात दौसा से अजमेर दरगाह जियारत करने आ रहे परिवार का एक्सीडेंट हो गया। किशनगढ़ बांदरसिंदरी पुलिया पर तेज रफ्तार पिकअप ने बोलेरो जीप को टक्कर मार दी। हादसे में मासूम बच्चों सहित 18 लोग घायल हो गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने सभी घायलों को किशनगढ़ अस्पताल भिजवाया। यहां से उन्हें प्राथमिक उपचार देने के बाद अजमेर रेफर कर दिया।

मरीज ने आरोप लगाया के किशनगढ़ में भी उनके साथ सही बर्ताव नहीं किया गया। उन्हें बस पट्टी करने के बाद रेफर कर दिया। बाद में जेएलएन हॉस्पिटल में सिर्फ बड़े लोगों को इलाज दिया गया। बाकी 7 मासूम बच्चों को जांच के बाद बिना इलाज दिए इमरजेंसी के पोर्च में सुला दिया। किसी भी बच्चों को अंदर इमरजेंसी में घुसने नहीं दिया गया

घायल मासूम बच्चों को पोर्च में सुलाने की सूचना पर अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर अरविंद खरे हरकत में आ गए। वह तुरंत इमरजेंसी के पोर्च में पहुंचे और सभी स्टाफ को इकट्ठा किया गया। इसके बाद अधीक्षक ने बच्चों को वीआईपी रूम में शिफ्ट करवाया और सभी स्टाफ को बच्चों को इलाज मुहैया करवाने के निर्देश दिए।

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