मनीषा शर्मा। भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की क्रांति आने वाली है, क्योंकि Jio और Airtel की साझेदारी से Starlink की एंट्री का रास्ता साफ हो गया है। Elon Musk की स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा विकसित Starlink इंटरनेट सेवा को भारत में लाने के लिए लंबे समय से सरकार की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा था। अब, Jio और Airtel की भागीदारी से Starlink इंटरनेट को भारत में लॉन्च करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। यह कदम भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है, जहां अभी भी पारंपरिक ब्रॉडबैंड सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
Starlink भारत में क्यों है जरूरी?
भारत में लगभग 950 मिलियन इंटरनेट यूजर्स हैं, लेकिन 450 मिलियन लोग अभी भी ऑफलाइन हैं। कई ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी का भारी अभाव है। ऐसे में Starlink सैटेलाइट इंटरनेट उन क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं पहुंचाने का लक्ष्य रखता है, जहां फाइबर ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकते।
Starlink लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स के जरिए इंटरनेट सेवा प्रदान करता है, जिससे यह तेज और कम लेटेंसी वाली इंटरनेट स्पीड उपलब्ध कराता है। Jio और Airtel की साझेदारी के साथ, यह सेवा भारत में सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जा सकती है।
Starlink इंटरनेट की कीमत और प्लान्स
Starlink की सेवा विभिन्न देशों में अलग-अलग दरों पर दी जा रही है। भारत में इसकी कीमत Jio और Airtel की साझेदारी और सरकार की अप्रूवल पर निर्भर करेगी।
- Starlink की मौजूदा डाउनलोड स्पीड 50Mbps से 200Mbps तक हो सकती है।
- अपलोड स्पीड 10Mbps से 20Mbps के बीच हो सकती है।
- भारत में मासिक प्लान 7,500 से 10,000 रुपये तक हो सकता है।
- हार्डवेयर के लिए 599 से 2500 डॉलर (50,000 से 2 लाख रुपये) तक की वन-टाइम फीस हो सकती है।
- केन्या जैसे देशों में Starlink की मासिक कीमत मात्र 10 डॉलर (लगभग 800 रुपये) है।
हालांकि, Jio और Airtel की लोकल पार्टनरशिप से कीमतों में भारी गिरावट आने की संभावना है, जिससे यह सेवा अधिक लोगों के लिए सुलभ हो सकेगी।
Starlink क्या है और यह कैसे काम करता है?
Starlink स्पेसएक्स द्वारा विकसित एक सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवा है, जो पारंपरिक इंटरनेट सेवाओं से काफी अलग है। यह हजारों लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स के माध्यम से काम करता है, जो धरती से लगभग 300 मील की ऊंचाई पर चक्कर लगाते हैं।
पारंपरिक सैटेलाइट इंटरनेट 22,000 मील की ऊंचाई से संचालित होता है, जिससे लेटेंसी ज्यादा होती है और स्पीड कम हो जाती है।
Starlink के सैटेलाइट्स कम ऊंचाई पर होते हैं, जिससे 20-30 मिलीसेकंड की लेटेंसी मिलती है, जो कि फाइबर ब्रॉडबैंड जितनी तेज होती है।
यह लेजर-बेस्ड टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है, जिससे सैटेलाइट्स आपस में हाई-स्पीड डेटा ट्रांसफर कर सकते हैं।
इंटरनेट सेवा को एक्टिवेट करने के लिए यूजर को Starlink का डिश एंटीना और एक मॉडेम लगाना होता है, जो सीधे सैटेलाइट्स से कनेक्ट होता है।
Starlink भारत में कैसे गेम चेंजर बनेगा?
ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट:
भारत के सुदूर गांवों और पहाड़ी इलाकों में इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए यह सेवा बेहद महत्वपूर्ण होगी।कमर्शियल और एंटरप्राइज उपयोग:
बड़े बिजनेस और कंपनियां, जो दूरस्थ क्षेत्रों में काम कर रही हैं, वे इस सेवा का उपयोग कर सकती हैं।आपदा प्रबंधन और सैन्य उपयोग:
Starlink प्राकृतिक आपदाओं के दौरान संचार बनाए रखने के लिए एक बेहतरीन समाधान हो सकता है।शिक्षा और हेल्थकेयर सेक्टर को मिलेगा फायदा:
ऑनलाइन शिक्षा और टेलीमेडिसिन जैसी सेवाओं को ग्रामीण इलाकों में पहुंचाने में यह सेवा मददगार होगी।जियो और एयरटेल की साझेदारी से सस्ता इंटरनेट:
Starlink भारत में Jio और Airtel की इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट और बिजनेस पार्टनरशिप के कारण सस्ती दरों पर उपलब्ध हो सकता है।
भविष्य में Starlink इंटरनेट की संभावनाएं
SpaceX लगातार Starlink नेटवर्क को विकसित कर रहा है और आने वाले समय में इसकी स्पीड 1Gbps से 10Gbps तक बढ़ाई जा सकती है। भारत सरकार से मंजूरी मिलने के बाद, Jio और Airtel की साझेदारी से Starlink के सस्ते प्लान्स लॉन्च किए जा सकते हैं, जिससे देशभर में डिजिटल क्रांति को बढ़ावा मिलेगा।