शोभना शर्मा। राजस्थान के झुंझुनूं जिले के मेहरादासी गांव का बेटा, वायुसेना में तैनात मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट सुरेंद्र कुमार पाकिस्तान के हालिया हवाई हमले में वीरगति को प्राप्त हो गए। जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में स्थित 39 विंग एयरफोर्स बेस पर शुक्रवार रात हुए अटैक के दौरान वे ड्यूटी पर तैनात थे। इस हमले में देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सुरेंद्र कुमार की शहादत की सूचना जब उनके परिजनों तक पहुंची, तो पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी पत्नी सीमा इस दुःखद समाचार को सहन नहीं कर सकीं और उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें नवलगढ़ स्थित जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
सुरेंद्र कुमार पिछले 14 वर्षों से भारतीय वायुसेना में सेवारत थे और मेडिकल विंग में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनके पारिवारिक सदस्यों के अनुसार, वे हाल ही में छुट्टी मनाकर 15 अप्रैल को ही अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। साथ ही अपने परिवार को भी उधमपुर ले गए थे। झुंझुनूं के मेहरादासी गांव में उनका नया घर भी हाल ही में तैयार हुआ था, जिसका गृह प्रवेश उन्होंने छुट्टी के दौरान ही किया था।
सुरेंद्र कुमार अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उनके पिता शिशुपाल सिंह सीआरपीएफ से रिटायर्ड थे और उनका निधन हो चुका है। शहीद सुरेंद्र कुमार की पत्नी सीमा और उनके दो छोटे बच्चे—एक 8 वर्षीय बेटी और 5 वर्षीय बेटा—इस दुखद क्षति से पूरी तरह टूट चुके हैं। उनकी पत्नी, अपने दादा के निधन के कारण, बच्चों के साथ 10 दिन पहले ही नवलगढ़ स्थित मायके आई थीं। यहीं पर उन्हें पति की शहादत की सूचना मिली, जिसके बाद वे गहरे सदमे में चली गईं और तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
जिला कलेक्टर राम अवतार मीणा और एसपी शरद चौधरी स्वयं अस्पताल पहुंचे और वीरांगना सीमा की सेहत की जानकारी ली। उन्होंने चिकित्सकों को निर्देश दिया कि उनकी सेहत का विशेष ध्यान रखा जाए। इसके पश्चात दोनों अधिकारी शहीद के गांव मेहरादासी पहुंचे और शहीद की मां से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी।
शहीद सुरेंद्र कुमार का स्वभाव अत्यंत मिलनसार और देशभक्ति से परिपूर्ण था। उनके चाचा सुभाष मोगा ने बताया कि वे गांव के युवाओं को भी फौज में भर्ती के लिए प्रेरित करते थे और उन्हें तैयारी के टिप्स देते थे। उनकी यह प्रेरणा गांव के कई युवाओं के लिए मिसाल बनी हुई है।
उधमपुर हमले के पीछे पाकिस्तान की ओर से लगातार बढ़ते हमलावर रुख को जिम्मेदार माना जा रहा है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमावर्ती इलाकों में तनाव चरम पर है और आए दिन ड्रोन और मिसाइल हमले किए जा रहे हैं। सुरेंद्र कुमार जैसे वीर जवानों की शहादत भारत की रक्षा में दिए गए महान बलिदानों की श्रृंखला का एक और उदाहरण बन गई है।
देशवासी इस बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे और सुरेंद्र कुमार की वीरगति को सदैव नमन करेंगे। अब पूरे झुंझुनूं जिले में शोक और गर्व की मिश्रित भावना का माहौल है। गांव के लोग उनके पार्थिव शरीर की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके।