मनीषा शर्मा। जयपुर का झालाना जंगल लेपर्ड सफारी के लिए देश-विदेश में मशहूर है। अब यहां सफारी का रोमांच और बढ़ने जा रहा है, क्योंकि वन विभाग ने जंगल में एक नया सफारी ट्रैक विकसित करने की योजना को मंजूरी दे दी है। यह ट्रैक पांच से छह किलोमीटर लंबा होगा और सीधे खान (माइंस) एरिया से पहाड़ी नीम गट्टा को जोड़ेगा। इस नए मार्ग से पर्यटकों को पैंथर (लेपर्ड) और अन्य वन्यजीवों को देखने का अवसर पहले से अधिक मिलेगा।
पैंथरों की अधिक मूवमेंट वाला क्षेत्र
वन विभाग के अनुसार नया ट्रैक ऐसे हिस्से से होकर गुजरेगा जहां पैंथरों की मूवमेंट काफी अधिक रहती है। अभी तक कई पर्यटक सफारी में आने के बावजूद पैंथर नहीं देख पाते, जिससे निराशा होती है। लेकिन नया मार्ग बनने से उनकी यह निराशा खुशी में बदल जाएगी। पर्यटक यहां घने जंगल, प्राकृतिक जल स्रोत और पगडंडियों का रोमांचक अनुभव भी ले सकेंगे।
चार सफारी ट्रैक से होगा अनुभव और समृद्ध
वर्तमान में झालाना जंगल सफारी के लिए तीन ट्रैक पर्यटकों के लिए खुले हैं। नया मार्ग जुड़ने के बाद कुल चार ट्रैक हो जाएंगे। इससे जंगल के कई नए हिस्से भी सैलानियों के लिए उपलब्ध होंगे, जो अभी तक बंद थे। नया सफारी मार्ग केवल वन्यजीव दर्शन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह आमागढ़ और झालाना जंगल के बीच कॉरिडोर के रूप में भी काम करेगा। इससे दोनों क्षेत्रों के बीच वन्यजीवों का आवागमन और सुरक्षित होगा।
नया अनुभव और एडवेंचर का मजा
पर्यटन विभाग और वन अधिकारियों का मानना है कि नया ट्रैक पर्यटकों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र बनेगा। लेपर्ड देखने की संभावना दोगुनी हो जाएगी और एडवेंचर का मजा भी बढ़ेगा। सफारी के दौरान प्राकृतिक नजारे और वन्यजीवों का जीवन पर्यटकों को अनूठा अनुभव देगा। इससे न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटक भी और अधिक संख्या में यहां आकर्षित होंगे।
झालाना लेपर्ड रिजर्व की विशेषता
झालाना जंगल को देश की सबसे प्रमुख लेपर्ड सफारी में गिना जाता है। यहां करीब 35 से अधिक पैंथर रहते हैं। शहर के बीचों-बीच इतनी बड़ी संख्या में पैंथरों का सुरक्षित रहना पर्यावरण संतुलन का बेहतरीन उदाहरण है। यही वजह है कि जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक झालाना सफारी को अपनी सूची में जरूर शामिल करते हैं।
प्रेय-बेस बढ़ाने की तैयारी
पैंथरों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवास को मजबूत करने के लिए वन विभाग लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में जंगल में प्रेय-बेस (भोजन श्रृंखला) बढ़ाने पर भी फोकस किया जा रहा है। इसके लिए दो हेक्टेयर क्षेत्र में एक बड़ा बाड़ा तैयार किया जाएगा, जिसमें चीतल और अन्य शाकाहारी वन्यजीव छोड़े जाएंगे। इसके अलावा चीतल की ब्रीडिंग भी करवाई जाएगी ताकि पैंथरों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो सके। इससे जंगल का पारिस्थितिक संतुलन बना रहेगा और पैंथरों का मूवमेंट भी नियंत्रित होगा।
पर्यटन और संरक्षण का संतुलन
झालाना सफारी ट्रैक न केवल पर्यटन को नई दिशा देगा, बल्कि वन्यजीव संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा। नया मार्ग बनने से जंगल के अलग-अलग हिस्से जुड़ जाएंगे, जिससे वन्यजीवों के प्राकृतिक मूवमेंट में आसानी होगी। साथ ही, पर्यटन से प्राप्त आय का उपयोग वन्यजीव संरक्षण और जंगल की सुरक्षा में किया जा सकेगा।


