मनीषा शर्मा। जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) द्वारा पटेल नगर आवासीय योजना के तहत भूखंड आवंटन के लिए निकाली गई लॉटरी विवादों में घिर गई। आवेदकों ने लॉटरी प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया और डमी लॉटरी निकालने की मांग की। विरोध कर रहे लोगों का आरोप था कि लॉटरी में हेराफेरी करके मनचाहे लोगों को भूखंड आवंटित किए जाते हैं।
जेडीए सचिव निशांत जैन और अन्य अधिकारियों ने आवेदकों को आश्वस्त किया कि लॉटरी पूरी पारदर्शिता के साथ निकाली जा रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगर किसी को शंका होगी, तो लॉटरी के बाद डमी लॉटरी निकालकर संदेह दूर किया जाएगा। इस आश्वासन के बाद आवेदक शांत हुए और लॉटरी प्रक्रिया पूरी की गई।
कैसे शुरू हुआ हंगामा?
जैसे ही आवासीय योजना की लॉटरी प्रक्रिया शुरू हुई, वहां मौजूद कुछ आवेदकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि पहले भी ऐसी लॉटरी में गड़बड़ी सामने आ चुकी हैं, इसलिए इस बार भी पारदर्शिता को लेकर संदेह है। आवेदकों ने लॉटरी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही डमी लॉटरी निकालने की मांग रखी, ताकि कोई छेड़छाड़ न हो।
कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि भूखंडों का आवंटन तयशुदा लोगों को किया जाता है, और मनचाहे उम्मीदवारों के नाम लॉटरी में शामिल किए जाते हैं। इन आरोपों के चलते माहौल गर्मा गया और आवेदकों ने लॉटरी प्रक्रिया का विरोध करना शुरू कर दिया।
अधिकारियों की सफाई और समाधान
स्थिति बिगड़ती देख जेडीए सचिव निशांत जैन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और आवेदकों से बातचीत की। उन्होंने आश्वासन दिया कि पूरी लॉटरी प्रक्रिया पारदर्शी है और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की गई है।
सचिव ने आवेदकों को भरोसा दिलाया कि अगर किसी को लॉटरी के परिणामों पर संदेह होगा, तो बाद में डमी लॉटरी निकाली जाएगी ताकि यह साबित किया जा सके कि लॉटरी निष्पक्ष थी। इस आश्वासन के बाद विरोध कर रहे लोग शांत हुए और लॉटरी प्रक्रिया पूरी की गई।
पटेल नगर आवासीय योजना: 270 भूखंडों के लिए 52,000 आवेदन
जेडीए ने पटेल नगर आवासीय योजना के तहत आगरा रोड, बगराना के पास 270 भूखंडों का आवंटन करने के लिए 14 जनवरी से 13 फरवरी 2025 तक आवेदन मांगे थे।
- इस योजना में 52,305 आवेदन पत्र प्राप्त हुए।
- 189 आवेदन पत्र तकनीकी कारणों से निरस्त कर दिए गए।
- शेष 52,116 आवेदन पत्रों की लॉटरी प्रक्रिया संपन्न हुई।
आवेदकों की भारी संख्या और पारदर्शिता को लेकर चिंताओं के चलते लॉटरी प्रक्रिया विवादों में आ गई।
पहले भी हो चुकी हैं लॉटरी में गड़बड़ी की घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान में आवासीय योजनाओं की लॉटरी पर सवाल उठे हैं। इससे पहले भी कई बार लॉटरी प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं।
1. हाउसिंग बोर्ड घोटाला (2012)
साल 2012 में राजस्थान हाउसिंग बोर्ड की लॉटरी में गड़बड़ी का मामला सामने आया था।
- इस मामले में ACB (Anti Corruption Bureau) ने कार्रवाई करते हुए तत्कालीन तकनीकी सलाहकार को गिरफ्तार किया था।
- जांच में सामने आया था कि लॉटरी सॉफ्टवेयर में हेरफेर करके चहेतों के नाम शामिल किए गए थे।
2. मुख्यमंत्री जन आवास योजना में शिकायतें
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत EWS (Economically Weaker Section) और LIG (Low Income Group) के लिए 5% आरक्षित आवासों की लॉटरी को लेकर भी पिछले कुछ वर्षों में कई शिकायतें आई हैं।
डेवलपर अपने ऑफिस में जेडीए अधिकारियों की मौजूदगी में लॉटरी निकालते हैं।
इस प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप लगातार सामने आते रहे हैं।
जेडीए में इसको लेकर कई शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
क्या लॉटरी प्रणाली में सुधार की जरूरत?
बार-बार सामने आ रहे आरोपों को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि आवासीय योजनाओं की लॉटरी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की जरूरत है।
लाइव स्ट्रीमिंग: लॉटरी प्रक्रिया को ऑनलाइन लाइव स्ट्रीम किया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति इसे देख सके।
स्वतंत्र ऑडिट: लॉटरी के बाद स्वतंत्र एजेंसी द्वारा ऑडिट किया जाए ताकि कोई छेड़छाड़ न हो।
ब्लॉकचेन तकनीक: कुछ विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जाए
ताकि लॉटरी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो सके।