शोभना शर्मा। राजधानी जयपुर के लिए एक बड़े प्रशासनिक और विकासात्मक फैसले में जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने जयपुर जिले के आसपास के 632 गांवों को अपने विकास क्षेत्र में शामिल कर दिया है। इन गांवों में डेवलपमेंट प्रमोशन एंड कंट्रोल रेगुलेशन (DPRC) लागू किया गया है, जिसकी मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को अधिक सुव्यवस्थित, नियंत्रित और योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा। सरकार का दावा है कि यह बदलाव भविष्य में प्रदेश की राजधानी को एक संतुलित महानगर के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
DPRC लागू होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की रफ्तार बढ़ेगी
JDA के दायरे में आने वाले इन 632 गांवों में DPRC के नियम अब अनिवार्य रूप से लागू होंगे। DPRC का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में अनियोजित निर्माण, अवैध कॉलोनियों और सड़क किनारे अव्यवस्थित मार्केट को रोकना है। नया नियमन सुरक्षा, सुगमता और विकास नियंत्रण पर आधारित है, जिससे इन इलाकों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद मिलेगी। JDA अधिकारियों का कहना है कि अब किसी भी निर्माण कार्य, व्यापारिक गतिविधि या भूमि उपयोग में बदलाव DPRC के मानकों के अनुरूप ही संभव होगा। इससे गांवों के आसपास अवैध निर्माणों पर रोक लगेगी और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में एकरूपता आएगी।
हाईवे डेवलपमेंट कंट्रोल जोन: 500 मीटर तक सख्त नियम
DPRC के तहत राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के दोनों ओर 500 मीटर तक के क्षेत्र को हाईवे डेवलपमेंट कंट्रोल जोन घोषित किया गया है। इस जोन में किसी भी निर्माण के लिए सख्त तकनीकी और सुरक्षा मानकों का पालन आवश्यक होगा। इस कदम का उद्देश्य सड़कों पर बढ़ रही अव्यवस्था को रोकना और दुर्घटनाओं की संभावना को कम करना है। हाईवे के आसपास अनियोजित दुकानों, होटल, ढाबों और अवैध पार्किंग के कारण अक्सर यातायात बाधित होता था। नए नियमों के लागू होने से सड़क सुरक्षा, चौड़ाई और यातायात सुव्यवस्थित बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही DPRC में सड़क की न्यूनतम चौड़ाई, प्लॉट के आकार, कस्बों के विकास और भवन निर्माण के मानकों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इन नियमों से भविष्य का विकास संतुलित और नियोजित बनेगा।
मास्टर प्लान 2047 का विस्तार: पांच नए निकाय JDA में शामिल
राज्य सरकार ने मास्टर प्लान 2025 की अवधि पूरी होने के बाद अब मास्टर प्लान 2047 लागू कर दिया है। नए मास्टर प्लान के तहत फागी, चाकसू, जोबनेर, शाहपुरा और दूदू सहित पांच शहरी निकायों को JDA के विस्तार क्षेत्र में शामिल किया गया है। मास्टर प्लान 2047 का लक्ष्य है—
जयपुर के आसपास के शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों को योजनाबद्ध तरीके से विकसित करना
पानी, बिजली, सड़क, सीवरेज और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना
तेजी से बढ़ते शहरीकरण को नियंत्रित दिशा देना
सरकार के अनुसार, इस विस्तार से विकास में समानता आएगी और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ेगी। लंबे समय में यह पूरी राजधानी क्षेत्र की जीवन गुणवत्ता में सुधार लाएगा।
ग्रामीणों की मिली-जुली प्रतिक्रिया: उम्मीदें भी, आशंकाएं भी
JDA के इस फैसले का ग्रामीणों में मिश्रित प्रभाव देखने को मिला। पंचायत समिति क्षेत्र के बास बावड़ी गांव में ग्रामीणों से बातचीत के दौरान कई लोगों ने इसे विकास का नया अवसर बताया। उनका मानना है कि JDA के दायरे में आने से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, सड़कें और सुविधाएं सुधरेंगी तथा जमीनों का मूल्य बढ़ेगा। हालांकि कुछ ग्रामीणों ने चिंता भी जताई। छोटे किसान और स्थानीय दुकानदारों को आशंका है कि कड़े नियमों के कारण निर्माण अनुमति, व्यापार संचालन और भूमि उपयोग में दिक्कतें बढ़ सकती हैं। एक ग्रामीण ने कहा— “बदलाव अच्छा है, लेकिन इसमें हमें शामिल किया जाए ताकि हमारी जरूरतों और समस्याओं को भी ध्यान में रखा जा सके।” ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि नियम लागू किए जा रहे हैं तो सरकार को साथ ही जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को प्रक्रिया और लाभ समझाने चाहिए।
जयपुर का भविष्य: ग्रामीण-शहरी अंतर घटाने की दिशा में बड़ा कदम
JDA का यह निर्णय जयपुर को एक आधुनिक और संतुलित महानगर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। 632 गांवों के समावेश से विकास का दायरा बड़ा होगा और ग्रामीण-शहरी अंतर कम करने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार का मानना है कि योजनाबद्ध विकास न केवल राजधानी के विस्तार को नियंत्रित करेगा बल्कि आने वाले वर्षों में पूरे क्षेत्र की जीवनशैली में बड़ा बदलाव लाएगा।


