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RBSE 10वीं बोर्ड में 84.67% अंक लाने वाला ज़यान अब इस दुनिया में नहीं

RBSE 10वीं बोर्ड में 84.67% अंक लाने वाला ज़यान अब इस दुनिया में नहीं

शोभना शर्मा।   राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) ने 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया है। जहां प्रदेश भर में छात्रों और अभिभावकों में खुशी की लहर है, वहीं डीडवाना जिले के कुचामन सिटी से एक ऐसी खबर आई जिसने सभी को भावुक कर दिया। शबीक अहमद उस्मानी का 15 वर्षीय बेटा ज़यान अहमद उस्मानी उर्फ जैनू इस परीक्षा में 84.67% अंकों के साथ प्रथम श्रेणी में पास हुआ, लेकिन इस सफलता को देखने के लिए आज ज़यान इस दुनिया में मौजूद नहीं है।

बीमारी ने उजाड़ दिया भविष्य का सपना

ज़यान अहमद, अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। पढ़ाई में अव्वल, तकनीकी कौशल में माहिर और खेलों में सक्रिय ज़यान ने इस वर्ष कक्षा 10वीं की परीक्षा दी थी। लेकिन परीक्षा समाप्त होते ही उसे एक दुर्लभ बीमारी, विल्सन डिजीज ने घेर लिया। यह बीमारी शरीर में तांबे (कॉपर) के असामान्य जमाव के कारण होती है, जो कि बहुत ही दुर्लभ है और लाखों में किसी एक को होती है।

मात्र 15 दिनों में ज़िंदगी हार गई मौत से जंग

परीक्षा के बाद ज़यान छुट्टियों का आनंद ले रहा था, तभी बीमारी ने तेजी से असर दिखाना शुरू कर दिया। परिवार ने उसे नई दिल्ली के ILBS हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां 6 मई 2025 को उसका निधन हो गया। इस खबर ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया।

रिजल्ट के दिन गम में डूबा परिवार

जब 10वीं बोर्ड का रिजल्ट घोषित हुआ और परिवार ने देखा कि ज़यान ने 84.67% अंक प्राप्त किए हैं, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। यह खुशी की नहीं बल्कि गम की आंसू थे—क्योंकि उनका होनहार बेटा अब उस सफलता को देखने के लिए जीवित नहीं था।

ग्राफिक डिजाइनिंग और यूट्यूब का मास्टर था ज़यान

ज़यान महज पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि तकनीकी दुनिया में भी माहिर था। वह ग्राफिक डिजाइनिंग, वीडियो एडिटिंग, और कंप्यूटर गेम डिवेलपमेंट में माहिर था। उसने pizzadude नाम से यूट्यूब चैनल बनाया था, जिसके 37.6 हजार सब्सक्राइबर हैं। इसके अतिरिक्त ZAYAAN GAMER नाम का दूसरा यूट्यूब चैनल भी उसका था। वह स्कूल स्तर पर फुटबॉल और क्रिकेट में भी भाग लेता था।

दुबई यात्रा और अधूरे रह गए सपने

दिसंबर 2024 में ज़यान अपने माता-पिता के साथ दुबई भी गया था, जहां उसने कई सपनों को देखा और भविष्य के लिए योजनाएं बनाई थीं। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। उसके माता-पिता के सारे सपने अधूरे रह गए।

अब रह गई सिर्फ यादें और प्रेरणा

ज़यान की कहानी एक तरफ गम और दर्द से भरी है, लेकिन दूसरी तरफ यह लाखों छात्रों और अभिभावकों के लिए एक संदेश भी है कि जीवन अनिश्चित है और हर क्षण को महत्व देना चाहिए। उसका संघर्ष, लगन और प्रतिभा आज भी सभी को प्रेरणा दे रही है।

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