शोभना शर्मा। जैसलमेर आज एक ऐतिहासिक रैली का गवाह बनेगा। यहां ओरण और गोचर भूमि की सुरक्षा को लेकर गड़ीसर तालाब से कलेक्ट्रेट तक विशाल जनाक्रोश रैली निकाली जाएगी। इस रैली में साधु-संतों, किसानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और हजारों ग्रामीणों की भागीदारी तय मानी जा रही है। ग्रामीण समाज का मानना है कि ओरण और गोचर केवल खेती और पशुपालन के लिए उपयोगी जमीन नहीं है, बल्कि यह उनकी संस्कृति और पीढ़ियों से चली आ रही धरोहर है।
रैली का उद्देश्य
इस रैली का प्रमुख उद्देश्य ओरण और गोचर भूमि को बचाने का संदेश सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना है। ग्रामीण समाज का कहना है कि जिस जमीन पर पीढ़ियों से उनके पशु चरते आए हैं, वहीं आज अतिक्रमण और व्यावसायिक दोहन की कोशिशें तेज हो रही हैं। इसे रोकना बेहद जरूरी है। साधु-संतों और ग्रामीणों का यह भी मानना है कि ओरण केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि उनकी आस्था और संस्कृति का प्रतीक है।
रैली का मार्ग और समय
जनाक्रोश रैली आज सुबह 11 बजे गड़ीसर तालाब से शुरू होगी और कलेक्ट्रेट कार्यालय तक पहुंचेगी। प्रशासन को पहले से इस बात की जानकारी थी कि रैली में हजारों लोग शामिल होंगे, इसलिए शहर में विशेष ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
जैसलमेर पुलिस ने रैली को देखते हुए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। प्रमुख मार्गों पर बैरिकेडिंग की गई है और भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। प्रशासन की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी हुए हैं कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस सतर्क रहे। रैली के दौरान भारी वाहनों और बसों का शहर में प्रवेश पूरी तरह से बंद रहेगा।
ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए विजय स्तंभ सर्किल से गीता आश्रम सर्किल और ऑफिसर सर्किल से हनुमान सर्किल तक वाहनों का आवागमन रोका गया है। इसके अलावा, शहर के बाहरी इलाकों में आने वाले वाहनों के लिए विशेष पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
वाहनों की पार्किंग व्यवस्था
सम और रामगढ़ क्षेत्र से आने वाले वाहनों को जोधपुर रोड स्थित रोडवेज डिपो और बाड़मेर रोड वन विभाग के पास पार्क करने का निर्देश दिया गया है। वहीं नाचना, पोकरण, लाठी, चांधन और मोहनगढ़ मार्ग से आने वाले वाहनों को जोधपुर रोड पर गिरधर पेट्रोल और रोडवेज डिपो के बीच पार्क कराया जाएगा। सभी प्रतिभागियों को वहां से पैदल ही रैली स्थल तक पहुंचना होगा।
साधु-संतों की भागीदारी
रैली में साधु-संतों की भागीदारी भी अहम मानी जा रही है। जिलेभर के आश्रमों और मठों से संत इस रैली में शामिल होंगे। साधु-संतों का कहना है कि ओरण केवल भूमि नहीं है, बल्कि यह उनकी श्रद्धा और परंपरा का प्रतीक है। यह पीढ़ियों से सुरक्षित चली आ रही धरोहर है, जिसे किसी भी कीमत पर बचाना आवश्यक है। उनका मानना है कि ओरण और गोचर भूमि के संरक्षण से न केवल पशुपालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान होगा।
राजनीतिक भागीदारी
रैली में शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी शामिल होंगे। उनके नेतृत्व में ग्रामीण समाज अपनी मांगों को प्रशासन और सरकार तक पहुंचाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी भूमि पर अतिक्रमण जारी रहा तो आने वाली पीढ़ियों को चरागाह की कमी से जूझना पड़ेगा।
ओरण और गोचर भूमि का महत्व
ओरण और गोचर भूमि राजस्थान के ग्रामीण जीवन का अहम हिस्सा है। यह भूमि सदियों से पशुओं के लिए चारे का प्रमुख स्रोत रही है। ग्रामीण समाज इसे अपनी जीवनरेखा मानता है, क्योंकि बिना गोचर भूमि के पशुपालन असंभव है और पशुपालन के बिना ग्रामीण अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़ सकता है।
साधु-संतों ने यह भी स्पष्ट किया कि ओरण की भूमि धार्मिक आस्था से जुड़ी होती है। यहां विशेष अवसरों पर धार्मिक अनुष्ठान होते हैं और समाज इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में देखता है। ऐसे में इस भूमि पर किसी भी तरह का अतिक्रमण या व्यावसायिक उपयोग समाज की आस्था पर सीधा आघात है।


