latest-newsअलवरउदयपुरजयपुरझुंझुनूदौसाराजस्थानसीकर

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल: जावेद अख्तर के तीखे व्यंग्य और हास्य

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल: जावेद अख्तर के तीखे व्यंग्य और हास्य

शोभना शर्मा। राजस्थान की राजधानी जयपुर में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) 2025 का भव्य आगाज हो चुका है। साहित्य, कला, संस्कृति और विचारों के इस महाकुंभ में देश-विदेश के नामी लेखक, कवि और विचारक हिस्सा ले रहे हैं। इस साल जेएलएफ का 18वां संस्करण आयोजित हो रहा है, जो 3 फरवरी तक चलेगा। फेस्टिवल के पहले दिन का सबसे खास आकर्षण रहे प्रसिद्ध गीतकार, लेखक और कवि जावेद अख्तर, जिन्होंने अपनी नई किताब “सीपियां” का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने भाषा, कविता, हिंदू-मुस्लिम एकता और समाज में बढ़ती दूरियों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए, जो न सिर्फ गहरे थे, बल्कि उनमें हास्य और व्यंग्य का भी तड़का था।

हिंदू-मुस्लिम पर जावेद अख्तर का व्यंग्य, हंसी से गूंज उठा जेएलएफ

कार्यक्रम के दौरान जब जावेद अख्तर ज्ञान सीपियां सेशन में शिरकत कर रहे थे, तब हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका गीतांजलि श्री ने राम रहीम दास के एक प्रसिद्ध दोहे का जिक्र किया:

“रहिमन मुश्किल आ पड़ी, टेढ़े दोऊ काम…
सीधे से जग न मिले, उलटे मिले न राम।”

इस पर उनके मित्र और अभिनेता अतुल तिवारी ने हंसते हुए कहा, “देखिए, राम की बात एक मुस्लिम कवि कर रहा है। यह कितनी बड़ी बात है!”

इस पर जावेद अख्तर ने मज़ाकिया लहज़े में जवाब दिया, “भाई, कवि तो कवि होता है… बेचारे जो शायरी नहीं कर पाते, वे लोग होते हैं हिंदू-मुसलमान!”

उनके इस व्यंग्य से पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। जावेद अख्तर ने कहा कि “कविता प्यार की भाषा होती है, इसमें कोई धर्म नहीं होता।” उन्होंने बताया कि साहित्य और कविता हमेशा प्रेम और शांति का संदेश देते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से समाज में लोग इसे धर्म और जाति के चश्मे से देखने लगते हैं।

“खुद पर ऐतबार नहीं तो दूसरे की तारीफ मुश्किल” – जावेद अख्तर

फेस्टिवल में अकबर और रहमान जैसे ऐतिहासिक कवियों पर चर्चा हो रही थी, तब बातचीत के दौरान एक विषय उठा कि कई बार कवि एक-दूसरे की प्रशंसा करने से कतराते हैं। इस पर जावेद अख्तर ने एक गहरी बात कही:

“जिसको अपने ही होने पर शक है, वो दूसरे की क्या तारीफ करेगा?”

उन्होंने कहा कि सच्ची तारीफ वही कर सकता है, जो अंदर से संतुष्ट हो, जिसे खुद पर विश्वास हो। जिन लोगों को अपने अस्तित्व पर ही संदेह रहता है, वे किसी और की सराहना करने में असहज महसूस करते हैं। उनकी यह बात न केवल कविता के संदर्भ में बल्कि सामाजिक जीवन पर भी लागू होती है।

मातृभाषा से जुड़े रहना जरूरी – जावेद अख्तर

अपने भाषण में जावेद अख्तर ने मातृभाषा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को अंग्रेजी जरूर सीखनी चाहिए, लेकिन अपनी मातृभाषा से भी जुड़ा रहना चाहिए। उन्होंने इसे एक सुंदर उपमा देते हुए कहा:

“अगर आप अपनी मातृभाषा से जुड़े नहीं हैं, तो मान लीजिए कि आपने एक पेड़ को तना और शाखाएं तो दे दीं, लेकिन उसकी जड़ों को काट दिया।”

उनका कहना था कि भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह हमारी संस्कृति, विचारधारा और भावनाओं की अभिव्यक्ति भी होती है।

साहित्यिक मंच पर ‘सीपियां’ का विमोचन

इस कार्यक्रम के दौरान जावेद अख्तर की नई किताब “सीपियां” का विमोचन भी किया गया। यह किताब दोहों पर आधारित है और इसे प्रतिष्ठित लेखिका सुधा मूर्ति ने लॉन्च किया। यह किताब हिंदी साहित्य और दोहों के प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन कृति मानी जा रही है।

जेएलएफ 2025 में 600 से अधिक स्पीकर्स होंगे शामिल

इस साल जेएलएफ में 600 से अधिक वक्ता हिस्सा ले रहे हैं, जो विभिन्न विषयों पर अपनी राय रखेंगे। इस मंच पर न सिर्फ चर्चित साहित्यकारों की किताबें लॉन्च की जा रही हैं, बल्कि विचारों का आदान-प्रदान भी हो रहा है।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल हमेशा से ही साहित्य और समाज के बीच सेतु का काम करता आया है, और इस बार भी जावेद अख्तर जैसे साहित्यकारों ने अपने विचारों से इस मंच को और भी समृद्ध बना दिया। उनके व्यंग्य और हास्य ने यह स्पष्ट कर दिया कि “साहित्य और कला की कोई सीमा या धर्म नहीं होता।”

 

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading