शोभना शर्मा। जयपुर एयरपोर्ट से दुबई के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट IX-195 सोमवार सुबह उस वक्त रद्द करनी पड़ी जब टेक ऑफ से ठीक पहले कॉकपिट में तकनीकी खराबी आ गई। इस फ्लाइट में सवार 130 यात्रियों को करीब 5 घंटे तक विमान के अंदर बैठा कर रखा गया, लेकिन मरम्मत की कोशिशें विफल रहीं। अंततः एयरलाइन को उड़ान रद्द करने का फैसला लेना पड़ा।
टेक ऑफ से पहले सामने आई तकनीकी खराबी
एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट संख्या IX-195 को सोमवार सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर दुबई के लिए रवाना होना था। निर्धारित समय से करीब 30 मिनट की देरी के बाद फ्लाइट सुबह 6 बजे एप्रन से टैक्सी-वे की ओर रवाना हुई। लगभग 6 बजकर 5 मिनट पर, जब विमान रनवे के पास पहुंचा, तभी पायलट को कॉकपिट में तकनीकी समस्या का संकेत मिला। पायलट ने तुरंत एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को इस बारे में सूचित किया और सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए विमान को वापस एप्रन एरिया में ले आया।
130 यात्री घंटों तक विमान में फंसे रहे
फ्लाइट को वापस एप्रन पर लाने के बाद तकनीकी टीमों ने विमान की जांच और मरम्मत का काम शुरू किया। इस दौरान सभी 130 यात्रियों को विमान के अंदर ही बैठा रहने के लिए कहा गया। यह प्रक्रिया करीब 5 घंटे तक चली, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकल सका।
सुबह लगभग 11 बजकर 15 मिनट पर, विमान को तकनीकी रूप से असुरक्षित मानते हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस ने इस उड़ान को रद्द करने का आधिकारिक निर्णय ले लिया। यात्रियों को इस निर्णय की सूचना तब दी गई जब वे पहले ही लंबा इंतजार कर चुके थे।
एयरलाइन करेगी रिफंड, यात्रियों में नाराजगी
एयर इंडिया एक्सप्रेस ने सभी यात्रियों को पूर्ण रिफंड देने की घोषणा की है। इसके साथ ही एयरलाइन की ओर से वैकल्पिक उड़ानों की व्यवस्था करने के लिए भी प्रयास किए गए हैं। हालांकि यात्रियों में लंबे इंतजार और असुविधा को लेकर नाराजगी देखने को मिली।
कई यात्रियों ने एयरलाइन पर समुचित सूचना और सुविधा ना देने का आरोप लगाया। एक यात्री ने बताया कि विमान में एयर कंडीशनिंग भी प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही थी, जिससे गर्मी और बेचैनी का माहौल बना रहा।
सुरक्षा को दी गई प्राथमिकता
एयर इंडिया एक्सप्रेस के अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए लिया गया। कॉकपिट में तकनीकी सिग्नल मिलने के बाद रनवे पर टेक ऑफ को रोकना एक अनिवार्य और सतर्क कदम था।
विमानन सुरक्षा विशेषज्ञों का भी मानना है कि टेक ऑफ से पहले आई तकनीकी समस्या को नजरअंदाज करना किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता था। ऐसे में पायलट द्वारा लिया गया निर्णय सही और समयोचित था।
विमानन उद्योग में लगातार सामने आ रही तकनीकी चुनौतियां
बीते कुछ वर्षों में देश और विदेश में उड़ानों के दौरान तकनीकी गड़बड़ियों की घटनाएं बढ़ी हैं। विशेष रूप से लो-कॉस्ट और मिड-रेंज अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स में पुराने विमानों का इस्तेमाल और रखरखाव संबंधी लापरवाहियों के कारण ऐसी समस्याएं अधिक सामने आती हैं।
हाल के महीनों में इंजन फेलियर, हाइड्रोलिक सिस्टम फॉल्ट, फ्यूल लीकेज जैसी कई घटनाएं एयरलाइंस के लिए बड़ी चुनौतियां बनकर उभरी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते हवाई यातायात के दबाव के साथ-साथ तकनीकी संसाधनों और मरम्मत प्रबंधन को भी अपग्रेड किया जाना बेहद जरूरी हो गया है।