शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में भ्रष्टाचार को लेकर अब तक के सबसे बड़े मामलों में से एक सामने आया है, जिसने पूरे राज्य की सियासत को झकझोर दिया है। बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा विधानसभा सीट से भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक जयकृष्ण पटेल और उनके करीबी सहयोगी विजय कुमार पटेल को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने जयपुर में 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
इस सनसनीखेज गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें एक वर्तमान विधायक को खुलेआम घूस लेते हुए पकड़ा गया हो।
ACB ने गुप्त निगरानी और पुख्ता सबूतों के बाद की कार्रवाई
ACB की टीम ने इस कार्रवाई को गोपनीय तरीके से अंजाम दिया। शिकायतकर्ता रविन्द्र कुमार मीना ने ACB को सूचना दी थी कि विधायक जयकृष्ण पटेल और उनके दलाल अवैध खनन के मामलों में दबाव बनाकर भारी रिश्वत की मांग कर रहे हैं। आरोप के मुताबिक, विधायक पटेल विधानसभा में अवैध खनन से जुड़े प्रश्न उठाकर संबंधित लोगों पर दबाव डाल रहे थे और इसके बदले 2 करोड़ रुपये की रिश्वत मांग रहे थे।
ACB ने शिकायत की सत्यता की पुष्टि के बाद जयपुर में एक योजना बनाकर विधायक और उनके दलाल को 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते समय ट्रैप किया। दोनों को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया और उनके ठिकानों पर भी तलाशी अभियान शुरू किया गया है।
‘आय से अधिक संपत्ति’ की भी होगी जांच
ACB ने स्पष्ट किया है कि यह मामला सिर्फ एक बार की रिश्वत तक सीमित नहीं है। अब जांच जयकृष्ण पटेल की आय से अधिक संपत्ति के मामलों की ओर भी बढ़ेगी। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा है कि विधायक और उनके दलाल के पास जो संपत्तियां हैं, वे उनकी घोषित आय से कहीं अधिक प्रतीत हो रही हैं।
तलाशी अभियान के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, लेनदेन की जानकारी, नकदी और संदिग्ध संपत्तियों के रिकॉर्ड भी जब्त किए गए हैं। यह मामला अब गंभीर आर्थिक अपराधों की श्रेणी में जांचा जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष का बयान- “नियमों के तहत होगी कार्रवाई”
इस पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने NDTV राजस्थान से कहा:
“यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई विधायक इस तरह पकड़ा गया है। अभी एसीबी ने कार्रवाई की है और जब उनके द्वारा डिटेल्स विधानसभा को भेजी जाएगी, तब संविधान और नियमों के अनुसार जो भी उचित कार्रवाई होगी, वह की जाएगी।”जब उनसे पूछा गया कि क्या विधायक को पद से निष्कासित किया जाएगा, तो देवनानी ने दो टूक कहा कि सारी प्रक्रिया संविधान में निर्धारित नियमों के तहत होगी।
राजनीति में गिरती नैतिकता और जनता का विश्वास
यह मामला न केवल राजनीतिक जगत के लिए शर्मनाक है, बल्कि जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच के भरोसे को भी गहरी चोट देता है। एक आदिवासी बहुल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक द्वारा इस तरह की रिश्वतखोरी और सत्ता का दुरुपयोग करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर भी प्रहार है।
विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि अगर ऐसे लोगों को उदाहरण नहीं बनाया गया तो भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना नामुमकिन होगा।
क्या विधायक की सदस्यता खत्म होगी?
वर्तमान में संविधान के अनुच्छेद 191 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत यह देखा जाएगा कि क्या विधायक जयकृष्ण पटेल को दोषी करार दिए जाने पर उनकी सदस्यता स्वतः समाप्त होती है या नहीं। अभी गिरफ्तारी हुई है, लेकिन सजा नहीं हुई, इसलिए विधानसभा की कार्रवाई आगे चलकर कानूनी सलाह और ACB की चार्जशीट पर निर्भर करेगी।