शोभना शर्मा। हर साल लाखों टैक्सपेयर्स समय पर अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR Filing) भरते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में लोगों को रिफंड मिलता है, क्योंकि उन्होंने टैक्स ज्यादा जमा किया होता है। टैक्सपेयर्स के लिए यह रिफंड एक तरह से उनकी मेहनत की कमाई की वापसी होती है। लेकिन कई बार यह रकम समय पर नहीं मिलती और टैक्सपेयर्स चिंता में पड़ जाते हैं कि आखिर उनका रिफंड अटक क्यों गया।
आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि आपका रिफंड फेल हो गया है या आपके खाते में जमा नहीं हुआ है, तो आप आसानी से ITR Refund Reissue Request ऑनलाइन डाल सकते हैं। इस सुविधा से आप अपने रिफंड को दोबारा जारी कराने के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं और समस्या का समाधान पा सकते हैं।
रिफंड फेल क्यों होता है?
रिफंड फेल होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह हमेशा टैक्सपेयर्स की गलती नहीं होती, बल्कि तकनीकी या बैंकिंग कारण भी इसमें शामिल हो सकते हैं। सामान्य कारण इस प्रकार हैं:
बैंक अकाउंट नंबर गलत दर्ज होना
IFSC कोड में गड़बड़ी
बैंक अकाउंट वैलिडेट न होना
पैन और बैंक अकाउंट में नाम का मैच न होना
पैन और आधार का लिंक न होना
रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन पूरा न होना
इनमें से किसी भी कारण से आपका रिफंड आपके खाते तक नहीं पहुंच पाता और रिफंड फेल दिखाता है।
ITR Refund Reissue Request कैसे करें?
अगर आपका रिफंड अटक गया है तो घबराने की जरूरत नहीं है। आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाकर आप आसानी से रिफंड रीइश्यू रिक्वेस्ट डाल सकते हैं। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:
सबसे पहले इनकम टैक्स ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें।
Services टैब पर जाएं और Refund Reissue विकल्प चुनें।
अब Create Refund Reissue Request पर क्लिक करें।
उस रिकॉर्ड को चुनें, जिसके लिए आप रिक्वेस्ट डालना चाहते हैं।
उस बैंक अकाउंट को सेलेक्ट करें, जिसमें आप रिफंड चाहते हैं।
अगर बैंक अकाउंट पहले से वैलिडेट नहीं है, तो उसे वैलिडेट करें।
अब Proceed to Verification पर क्लिक करें।
ई-वेरिफिकेशन के लिए आधार ओटीपी, ईवीसी या डीएससी का इस्तेमाल करें।
अंत में Continue पर क्लिक करें और आपकी रिक्वेस्ट सबमिट हो जाएगी।
रिफंड आने में कितना समय लगता है?
आयकर विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, रिफंड आने में आमतौर पर 4 से 5 हफ्तों का समय लग सकता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपने सिर्फ ITR फाइल ही नहीं किया हो, बल्कि उसे ई-वेरिफाई भी किया हो। बिना ई-वेरिफिकेशन के आपका रिफंड जारी नहीं किया जाएगा।
ई-वेरिफिकेशन की अहमियत
आईटीआर फाइल करने के बाद उसका ई-वेरिफिकेशन करना बेहद जरूरी है। बिना इसके आपका रिटर्न अधूरा माना जाता है और रिफंड जारी नहीं किया जाता। आप ई-वेरिफिकेशन कई तरीकों से कर सकते हैं:
आधार कार्ड से ओटीपी
नेटबैंकिंग के जरिए
इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC)
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC)
अगर आपने अभी तक ई-वेरिफिकेशन नहीं किया है, तो जल्द से जल्द इसे पूरा करें, वरना आपका रिफंड अटक सकता है।
बैंक अकाउंट वैलिडेशन क्यों जरूरी है?
रिफंड प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि जिस बैंक अकाउंट में आप रिफंड चाहते हैं, वह ई-फाइलिंग पोर्टल पर वैलिडेटेड हो। यदि बैंक अकाउंट वैलिडेट नहीं है, तो आयकर विभाग उस खाते में पैसे नहीं भेज पाएगा। इसलिए हर टैक्सपेयर को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका बैंक अकाउंट सही और पोर्टल पर अपडेटेड हो।
पैन-आधार लिंकिंग का महत्व
पिछले कुछ सालों में आयकर विभाग ने पैन और आधार को लिंक करना अनिवार्य कर दिया है। अगर आपका पैन और आधार लिंक नहीं है, तो आपका रिफंड भी अटक सकता है। इसलिए रिफंड रीइश्यू रिक्वेस्ट डालने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपका पैन-आधार सही ढंग से लिंक है।
टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी सावधानियां
रिफंड स्टेटस समय-समय पर चेक करते रहें।
बैंक अकाउंट और IFSC कोड सही दर्ज करें।
ई-वेरिफिकेशन समय पर पूरा करें।
पैन और आधार को लिंक रखें।
अगर रिफंड फेल हो, तो तुरंत रीइश्यू रिक्वेस्ट डालें।
इनकम टैक्स रिफंड का अटकना टैक्सपेयर्स के लिए चिंता का कारण बन सकता है, लेकिन यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। आयकर विभाग ने ऑनलाइन ITR Refund Reissue Request की सुविधा देकर इसे बेहद आसान बना दिया है। सही प्रक्रिया अपनाकर और जरूरी दस्तावेज अपडेट करके आप अपना रिफंड समय पर प्राप्त कर सकते हैं।
ई-वेरिफिकेशन, बैंक अकाउंट वैलिडेशन और पैन-आधार लिंकिंग जैसी बुनियादी शर्तों को पूरा करने से आपका रिफंड बिना किसी रुकावट के खाते में जमा हो जाएगा। अधिकांश मामलों में, रीइश्यू रिक्वेस्ट डालने के बाद समस्या जल्दी सुलझ जाती है और आपका रिफंड आपके बैंक अकाउंट तक पहुंच जाता है।