मनीषा शर्मा। हाल ही में, डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद अमेरिका और इजरायल के बीच एक नई रणनीतिक स्थिति उत्पन्न हुई है। इस चुनाव परिणाम ने इजरायल के लिए चिंता को और बढ़ा दिया है, क्योंकि उसे ईरान द्वारा किसी प्रकार के हमले का डर सता रहा है। यह स्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि ट्रंप के पुनः चुनाव जीतने और पदभार ग्रहण करने के बीच का समय ईरान के लिए एक संवेदनशील काल हो सकता है। इस दौरान ईरान अपने सैन्य और परमाणु कार्यक्रमों को तेजी से आगे बढ़ा सकता है, जिससे इजरायल और क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
इजरायल का बढ़ा सुरक्षा प्रयास
इजरायल का मानना है कि ईरान ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बीच के इस समय का फायदा उठाकर किसी प्रकार का सैन्य हमला कर सकता है। इसके चलते इजरायल ने अपनी खुफिया और सुरक्षा गतिविधियों को बढ़ा दिया है। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि वे अमेरिका के साथ मिलकर संभावित खतरों का आकलन करने और उनसे निपटने के लिए समन्वित प्रयास कर रहे हैं।
इजरायल का मुख्य ध्यान ईरान की परमाणु और सैन्य गतिविधियों पर है। उनका मानना है कि ईरान ने पिछले कुछ वर्षों में अपने परमाणु कार्यक्रम को काफी मजबूत किया है, और अब वह परमाणु हथियारों के निर्माण के करीब पहुंच सकता है। हालांकि, इजरायली खुफिया सूत्रों के मुताबिक, ईरान अभी तक परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक तकनीकी उन्नति तक नहीं पहुंच सका है, लेकिन उसकी मिसाइल प्रणाली और सैन्य क्षमताएं बेहद चिंताजनक हैं।
ट्रंप की ईरान नीति
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले राष्ट्रपति कार्यकाल में ईरान के खिलाफ कड़े कदम उठाए थे। उन्होंने ईरान के साथ किए गए परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर कर दिया था और ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। उनका स्पष्ट बयान था कि अगर वह दोबारा चुनाव जीतते हैं, तो उनका मुख्य उद्देश्य यह होगा कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना। ट्रंप ने कहा था कि उनका लक्ष्य नया युद्ध शुरू करना नहीं, बल्कि संघर्ष को समाप्त करना है। हालांकि, उनका यह बयान कि “कोई नया युद्ध नहीं होगा” एक रहस्य बना हुआ है और इस पर स्पष्टता की कमी है।
इजरायल का मानना है कि ट्रंप की ईरान नीति को समझना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपनी सैन्य और राजनयिक रणनीतियों को सही दिशा में आकार दे सकें। इजरायली रक्षा अधिकारी इस समय ट्रंप की नीतियों और उनके द्वारा प्रस्तावित उपायों को ध्यान में रखते हुए अपनी सुरक्षा योजनाओं को संशोधित कर रहे हैं।
इजरायली हमले और ईरान की प्रतिक्रिया
हाल ही में इजरायल ने ईरान के कई महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु स्थलों को निशाना बनाकर हमला किया था। इजरायली वायु सेना ने इन हमलों में ईरान की प्रमुख रडार प्रणालियों और मिसाइल बैटरियों को नष्ट कर दिया, जिससे ईरान का सैन्य ढांचा कमजोर पड़ा है। इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) के अनुसार, कम से कम 14 रडार सिस्टम और 4 एस-300 मिसाइल बैटरियां नष्ट की गईं, साथ ही बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ा है।
इन हमलों के बाद, इजरायली अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन के साथ बेहतर समन्वय की वजह से इन ऑपरेशनों को बेहद सटीक और प्रभावी ढंग से अंजाम दिया गया। इजरायल के खुफिया सूत्रों का कहना है कि ईरान इन हमलों का बदला लेने के लिए अपने क्षेत्रीय सहयोगियों जैसे इराक, सीरिया, यमन और लेबनान को घातक हथियार देकर जवाबी हमले कर सकता है। ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम में पिछले वर्ष 60 प्रतिशत से ज्यादा यूरेनियम का संवर्धन किया है, लेकिन वह अभी तक परमाणु हथियार बनाने के स्तर तक नहीं पहुंच सका है।
संभावित युद्ध और क्षेत्रीय सुरक्षा
हालांकि, इजरायल का कहना है कि ईरान इस हमले के बदले में क्षेत्रीय सहयोगियों के माध्यम से हमला कर सकता है, लेकिन इजरायली अधिकारियों का यह भी मानना है कि ईरान और इजरायल के बीच प्रत्यक्ष युद्ध की संभावना फिलहाल कम है। फिर भी, क्षेत्रीय तनाव और सैन्य संघर्ष के बढ़ने की संभावना से इजरायल अपनी सुरक्षा रणनीतियों को निरंतर अपडेट कर रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप के पुनः राष्ट्रपति बनने के बाद, इजरायल और ईरान के बीच तनाव और भी बढ़ सकता है। ट्रंप की ईरान नीति और उनके द्वारा उठाए गए कदमों का इजरायल की सुरक्षा पर गहरा असर पड़ेगा। इस समय, इजरायल अपनी सुरक्षा योजनाओं को और अधिक मजबूत बनाने और ईरान के संभावित खतरों से निपटने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है।
इजरायल की प्राथमिकता ईरान की परमाणु योजनाओं और सैन्य गतिविधियों को रोकना है, जबकि ट्रंप के संभावित मार्गदर्शन में क्षेत्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करना है। इन दोनों देशों के बीच के इन प्रयासों के परिणाम आगामी वैश्विक सुरक्षा स्थिति को प्रभावित करेंगे।