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भारत में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी: सरकार ने स्पष्टीकरण मांगा

भारत में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी: सरकार ने स्पष्टीकरण मांगा

शोभना शर्मा।   देश में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में हो रही अप्रत्याशित बढ़ोतरी के बीच, भारत सरकार ने तेल कंपनियों से इसका कारण जानने के लिए स्पष्टीकरण मांगा है। सरकार ने हाल ही में घरेलू तिलहन किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी, लेकिन यह कदम उठाते हुए यह भी सुनिश्चित किया था कि खाद्य तेलों के मूल्य में वृद्धि न हो। इसके बावजूद कीमतों में बढ़ोतरी का रुख देखा जा रहा है, जिसे लेकर सरकार ने कंपनियों से जवाब मांगा है।

14 सितंबर 2024 को सरकार ने सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी के तेलों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) में बढ़ोतरी की थी। इस निर्णय का उद्देश्य था घरेलू तिलहन उत्पादकों को समर्थन देना और आयात पर निर्भरता को थोड़ा कम करना। परंतु आयातित स्टॉक की पर्याप्तता के बावजूद खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण अब सरकार खाद्य तेल कंपनियों से स्थिति का स्पष्टीकरण मांग रही है।

आयात शुल्क में बढ़ोतरी

सरकार ने 14 सितंबर 2024 से कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की घोषणा की थी। कच्चे सोयाबीन तेल, पाम तेल और सूरजमुखी तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को शून्य से बढ़ाकर 20% कर दिया गया। इसके अलावा, इन तेलों पर लागू अन्य करों और अधिभारों को मिलाकर कुल प्रभावी शुल्क 27.5% हो गया है। रिफाइंड तेलों की बात करें तो, रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 12.5% से बढ़ाकर 32.5% कर दिया गया है। इस बढ़ोतरी के बाद रिफाइंड तेलों पर कुल प्रभावी शुल्क 35.75% हो गया है। सरकार ने इन बढ़ोतरी के बावजूद खाद्य तेल उद्योग को निर्देश दिया था कि वे खुदरा कीमतों को स्थिर रखें, क्योंकि देश में अभी भी बड़ी मात्रा में कम आयात शुल्क पर मंगवाए गए स्टॉक उपलब्ध हैं।

कम शुल्क पर आयातित स्टॉक और सरकारी निर्देश

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में लगभग 30 लाख टन खाद्य तेल का स्टॉक देश में मौजूद है, जो 45 से 50 दिनों तक की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है। इसके मद्देनजर मंत्रालय ने खाद्य तेल कंपनियों को कीमतें स्थिर रखने का निर्देश दिया था। सरकार ने स्पष्ट किया कि 0% और 12.5% के आयात शुल्क पर मंगवाए गए स्टॉक की उपलब्धता होने के बावजूद खुदरा कीमतों में तेजी आना समझ से परे है। खासकर जब त्योहारों का मौसम आने वाला है, और मांग बढ़ने की उम्मीद है, इस समय तेल कंपनियों द्वारा कीमतों में अचानक वृद्धि करना अनुचित है। खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कंपनियों से पूछा है कि कीमतों में वृद्धि के पीछे आखिरकार क्या कारण हैं, जब आयातित तेल का स्टॉक बाजार में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस स्थिति का स्पष्टीकरण देने के लिए कंपनियों को निर्देशित किया गया है ताकि त्योहारों के दौरान कीमतों में स्थिरता बनी रहे।

तेल उद्योग के संगठनों के साथ बैठक

मंगलवार को खाद्य मंत्रालय ने विभिन्न तेल उद्योग संगठनों के साथ बैठक की। इस बैठक की अध्यक्षता खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने की। इसमें सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA), इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IBPA), और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (SOPA) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में यह मुद्दा उठा कि आयात शुल्क में वृद्धि के बावजूद घरेलू कीमतों में तेजी क्यों आ रही है। खाद्य मंत्रालय ने इन संगठनों को सलाह दी कि वे अपने सदस्यों के साथ यह सुनिश्चित करें कि आयातित तेलों का उपयोग कर कीमतें स्थिर रहें।

खाद्य तेल पर भारत की निर्भरता

भारत दुनिया में सबसे अधिक खाद्य तेल आयात करने वाले देशों में से एक है। देश की कुल आवश्यकता का लगभग 50% से अधिक खाद्य तेल आयात के जरिए पूरा किया जाता है। इस आयात पर निर्भरता की वजह से भारतीय बाजार की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ सीधी जुड़ी होती हैं। जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है, तो इसका असर भारत के घरेलू बाजार पर भी पड़ता है। हालांकि सरकार ने घरेलू तिलहन उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी आयात पर भारी निर्भरता बनी हुई है। इसीलिए आयातित तेलों के स्टॉक का प्रबंधन और उसकी कीमतों पर निगरानी रखना महत्वपूर्ण है।

सरकार की चिंता और उपभोक्ताओं का हित

त्योहारों का मौसम करीब आने के साथ खाद्य तेलों की मांग में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी। इस समय सरकार चाहती है कि खुदरा कीमतों को नरम रखा जाए ताकि उपभोक्ताओं को त्योहारी सीजन में आर्थिक दबाव का सामना न करना पड़े। सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वे उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखें और खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी से बचें। आयातित तेलों का जो स्टॉक कम शुल्क पर उपलब्ध है, उसका फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचाना कंपनियों की जिम्मेदारी है। अगर खाद्य तेल कंपनियाँ कीमतों को स्थिर नहीं रख पाती हैं, तो इसका असर न केवल उपभोक्ताओं पर पड़ेगा बल्कि त्योहारों के समय मांग पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसीलिए सरकार ने कंपनियों से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है और उम्मीद जताई है कि वे अपने मूल्य निर्धारण की रणनीति में बदलाव करेंगे।
खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी ने त्योहारों के समय उपभोक्ताओं के लिए चिंता बढ़ा दी है। सरकार ने तेल कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए उन्हें कीमतों में स्थिरता बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। आयात शुल्क में वृद्धि के बावजूद पर्याप्त स्टॉक के चलते सरकार चाहती है कि उपभोक्ताओं को राहत मिले और कीमतों में वृद्धि से बचा जाए।

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