मनीषा शर्मा। राजस्थान में मतदाता सूची की SIR (Special Summary Revision) प्रक्रिया के दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सवाई माधोपुर जिले के गंगापुर सिटी में राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात हास्य और व्यंग्य कवि गोपीनाथ ‘चर्चित’ को जीवित होते हुए भी मृत घोषित कर दिया गया। इस गलत प्रविष्टि के आधार पर बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) ने कवि का नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस मामले ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है और अब स्थानीय स्तर पर हड़कंप मचा हुआ है।
नाम वोटर लिस्ट से हटाया, कवि को पता चला तो हक्का-बक्का रह गए
गोपीनाथ ‘चर्चित’ गंगापुर सिटी के वार्ड नंबर 33 नहर रोड स्थित धनवंतरी कॉलोनी में रहते हैं। जब उन्हें भनक लगी कि उन्हें मृत घोषित कर दिया गया है और उनका नाम मतदाता सूची से काटा जा चुका है, तो वे चौंक गए। उन्होंने बताया कि न तो कोई अधिकारी उनके घर आया और न किसी ने उनसे कोई पुष्टि ली, फिर भी उन्हें मृत मान लिया गया।
उनका कहना है कि यह केवल एक गलती नहीं बल्कि पूरी तरह प्रशासनिक उदासीनता और गंभीर नकारात्मक प्रभाव पैदा करने वाली कार्रवाई है। एक जीवित व्यक्ति को मृत घोषित करना न सिर्फ सरकारी दस्तावेजों में भ्रम पैदा करता है बल्कि उसकी पहचान, अधिकारों और सम्मान पर भी प्रश्न खड़े करता है।
राष्ट्रीय स्तर के कवि, कई टीवी कार्यक्रमों में दिया प्रदर्शन
गोपीनाथ ‘चर्चित’ कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। वे राष्ट्रीय मंचों पर अपनी हास्य-व्यंग्य कविता से श्रोताओं को गुदगुदाते रहे हैं। कई टीवी कार्यक्रमों और कवि सम्मेलनों में उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई है। ऐसे व्यक्ति को जीते जी मृत बताकर सूची से बाहर कर देना यह दर्शाता है कि प्रशासन की ओर से सही जांच प्रक्रिया का बिल्कुल पालन नहीं किया गया।
कवि ने अधिकारियों से की न्याय की अपील
अपनी पहचान और सम्मान को ठेस पहुंचने के बाद कवि उपखंड कार्यालय पहुंचे और अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने शिकायत में साफ कहा कि वे पूर्ण रूप से स्वस्थ और जीवित हैं, फिर भी बीएलओ ने बिना किसी तथ्यात्मक जांच के गलत रिपोर्ट दर्ज कर दी है।
उन्होंने यह भी बताया कि वे कई बार इस मामले में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन निरंतर अनदेखी के कारण उन्हें खुद अपने जीवित होने के प्रमाण देने पड़ रहे हैं। यह स्थिति उनके लिए बेहद पीड़ादायक और परेशान करने वाली है।
BLO पर गंभीर आरोप, जांच के आदेश
कवि ने बीएलओ छोटू खान पर उनके साथ घोर लापरवाही करने का आरोप लगाया है। कवि के अनुसार, यह कार्य केवल त्रुटि नहीं बल्कि नियमों और प्रक्रियाओं की अनदेखी का परिणाम है। इस लापरवाही के चलते एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को बार-बार अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
मामले की जानकारी मिलने पर निर्वाचन अधिकारी और SDM बृजेंद्र मीणा ने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने बताया कि कवि की शिकायत पर बीएलओ को नोटिस जारी कर जानकारी मांगी गई है। साथ ही कवि गोपीनाथ ‘चर्चित’ का नाम फिर से मतदाता सूची में दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं, ताकि उन्हें वोटिंग अधिकार से वंचित न होना पड़े।
वोटर लिस्ट में अनियमितताओं का बड़ा उदाहरण
यह मामला इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि देश की मतदाता सूची में अभी भी गंभीर और अप्रत्याशित त्रुटियां होती हैं। एक राष्ट्रीय कवि के साथ ऐसी लापरवाही सामने आने के बाद यह सवाल उठना लाज़मी है कि आम नागरिकों के साथ ऐसी गलतियां कितनी बार होती होंगी और कितने लोग बिना अपनी गलती के अपने democratic rights से वंचित हो जाते हैं।
सुधार की आवश्यकता
इस घटना ने मतदाता सूची संशोधन प्रणाली में पारदर्शिता, सत्यापन और जवाबदेही को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। नागरिकों की पहचान और अधिकारों से जुड़े मामलों में किसी भी स्तर पर लापरवाही अस्वीकार्य है और इसे समय रहते सुधारना प्रशासन की प्रथम जिम्मेदारी होनी चाहिए।


