मनीषा शर्मा। रविवार को राजस्थान जैन सभा की ओर से आयोजित सामूहिक क्षमावाणी पर्व समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगी। इस अवसर पर उन्होंने जैन धर्म और समाज की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि क्षमा से आत्मा की शुद्धि होती है और समाज में शांति एवं सद्भाव का संदेश प्रसारित होता है। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि गलती होना स्वाभाविक है, लेकिन उस गलती को स्वीकार करके क्षमा मांगना एक बड़ा मानवीय गुण है। उन्होंने आगे कहा कि सामने वाले को क्षमा करना उससे भी बड़ा कार्य है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि जैन समाज क्षमा याचना के महत्व को समझता है और इससे समाज में द्वेष और कटुता समाप्त हो जाते हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपने जापान-कोरिया यात्रा का एक अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि जब वे इस यात्रा पर गए थे, तो उनके भोजन की व्यवस्था को लेकर कई लोगों ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पुराने समय में हमारे पूर्वज तीर्थ यात्राओं पर जाते थे और अपने साथ भोजन लेकर जाते थे। उसी परंपरा को निभाते हुए, उन्होंने भी 6 दिन की यात्रा के दौरान घर से बना खाना अपने साथ रखा और वही भोजन किया। उन्होंने यह भी कहा कि वह तेल या अन्य सामग्री, जो उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप न हो, का उपयोग नहीं करते हैं।
मुख्यमंत्री ने इस आयोजन के अवसर पर जैन संतों और मुनियों को राज्य में स्टेट गेस्ट का दर्जा देने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि संत-मुनियों ने देश की संस्कृति को बचाने और सनातन धर्म को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री भजनलाल ने बताया कि वे अध्यात्म से जुड़े व्यक्ति हैं और उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश में आने वाले संत-मुनियों को स्टेट गेस्ट का दर्जा देने के आदेश जारी किए थे। इस दौरान उन्होंने मुनि शशांक सागर, पावन सागर, और समत्व सागर महाराज सहित अन्य संतों को स्टेट गेस्ट का दर्जा न मिलने पर क्षमा भी मांगी।
इस मौके पर जैन मुनियों ने अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सादगी और सहृदयता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक सेवाभावी व्यक्ति हैं, और उनके कार्यों और व्यक्तित्व से यह स्पष्ट झलकता है। संतों ने मुख्यमंत्री की सेवाभावना और जैन समाज के प्रति उनके योगदान की सराहना की। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आगे कहा कि क्षमावाणी पर्व एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब लोग अपने द्वारा जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं। उन्होंने कहा कि क्षमा मांगने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और समाज में शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है।
जैन समाज के इस सामूहिक क्षमावाणी पर्व पर मुख्यमंत्री का यह वक्तव्य समाज में एक सकारात्मक संदेश लेकर आया है। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज में शांति और सद्भाव की भावना को प्रबल करता है। इस पर्व के माध्यम से मुख्यमंत्री ने समाज में क्षमा के महत्व को समझाने के साथ-साथ अपने निजी अनुभवों को साझा करते हुए समाज के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।


