मनीषा शर्मा, अजमेर। राजस्थान सरकार द्वारा कृषि मंडी परिसर में गैर अधिसूचित कृषि जिंसों के व्यापार पर 0.50 प्रतिशत यूजर चार्ज लगाने के निर्णय ने व्यापारी वर्ग में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। इसी के विरोध में अजमेर मंडी व्यापारी संघ ने गुरुवार को अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। संघ के अध्यक्ष टीकमदास आगनानी ने घोषणा की कि फिलहाल 21 और 22 अगस्त को मंडी बंद रहेगी, लेकिन यदि सरकार ने यूजर चार्ज का निर्णय वापस नहीं लिया तो आंदोलन अनिश्चितकालीन बंद में बदल जाएगा।
व्यापारियों का कहना है कि सरकार ने मंडी परिसर के बाहर व्यापार करने वालों को इस शुल्क से छूट दी है, जबकि मंडी परिसर के भीतर कारोबार करने वालों पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ डाल दिया गया है। यह निर्णय न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि मंडी के अंदर के कारोबारियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को भी प्रभावित करेगा।
यूजर चार्ज से मंडी के व्यापारियों की चिंता
अजमेर कृषि उपज मंडी में करीब 90 बड़े व्यापारी सक्रिय हैं, जो अनाज, दाल, चावल, मैदा और अन्य कृषि जिंसों का व्यापार करते हैं। अब तक गैर अधिसूचित कृषि जिंसों पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाता था, लेकिन हालिया संशोधन के बाद अब इन पर भी यूजर चार्ज वसूला जाएगा।
राजस्थान कृषि विपणन विभाग के निदेशक राजेश कुमार चौहान के अनुसार, राज्य की 337 कृषि उपज मंडी समितियां अधिसूचित कृषि जिंसों के थोक व्यापार को नियंत्रित करने का काम कर रही हैं। लेकिन अजमेर, जयपुर, उदयपुर, बीकानेर और जोधपुर जैसे बड़े शहरों में अधिसूचित जिंसों के साथ-साथ गैर अधिसूचित जिंसों का व्यापार भी तेजी से बढ़ा है। सरकार का तर्क है कि मंडी प्रांगण के रखरखाव और विकास कार्यों के लिए इन व्यापारियों से शुल्क वसूला जाना जरूरी है।
क्या है नया प्रावधान?
सरकार ने राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1961 की धारा 17-ख में संशोधन करते हुए गैर अधिसूचित कृषि जिंसों के व्यापार को अनुमत किया है। इसके तहत अब मंडी परिसर में दाल, चावल, आटा, मैदा, सूजी, तेल, ड्राई फ्रूट्स और पशु आहार जैसे खाद्य पदार्थों के थोक व्यापार पर 0.50 प्रतिशत यूजर चार्ज लगाया जाएगा। इस नियम के अनुसार, 100 रुपए के कारोबार पर 50 पैसे अतिरिक्त शुल्क चुकाना होगा।
हालांकि, यह शुल्क केवल मंडी यार्ड और उप मंडी यार्ड में कारोबार करने वाले व्यापारियों पर लागू होगा। मंडी परिसर के बाहर व्यापार करने वालों को इस शुल्क से पूरी तरह छूट दी गई है। यही कारण है कि व्यापारी सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगा रहे हैं।
मंडी बंद का असर
व्यापारी संघ के अनुसार, इस निर्णय का सीधा असर मंडी की प्रतिस्पर्धा पर पड़ेगा। मंडी के भीतर कारोबार करने वालों के लिए माल महंगा हो जाएगा जबकि बाहर के थोक व्यापारी बिना शुल्क लिए कम दाम पर माल बेचकर बढ़त हासिल कर लेंगे। इससे मंडी के कारोबारियों का मुनाफा घटेगा और उनका व्यापार प्रभावित होगा।
दूसरी ओर, मंडी समितियों की आर्थिक आय में इजाफा होगा जिससे रखरखाव और विकास कार्यों में तेजी आएगी। लेकिन व्यापारी मानते हैं कि सरकार का यह निर्णय उनकी मेहनत और निवेश पर सीधा आघात है।
व्यापारियों की मुख्य आपत्तियाँ
व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि या तो यह शुल्क पूरी तरह से समाप्त किया जाए या फिर इसे मंडी के बाहर व्यापार करने वालों पर भी समान रूप से लागू किया जाए। उनका कहना है कि यदि सरकार वास्तव में मंडी के रखरखाव के लिए राजस्व जुटाना चाहती है, तो इस बोझ को केवल मंडी परिसर के व्यापारियों तक सीमित रखना उचित नहीं है।
व्यापारियों का आरोप है कि सरकार ने निर्णय लेने से पहले उनसे कोई चर्चा नहीं की, जिससे व्यापारी वर्ग में आक्रोश और बढ़ गया है।
आगे क्या होगा?
मंडी व्यापारी संघ ने साफ किया है कि यदि सरकार ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है। फिलहाल दो दिन का बंद बुलाया गया है, लेकिन इसके बाद अनिश्चितकालीन बंद की संभावना से इनकार नहीं किया गया है।
व्यापारी वर्ग का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह इस निर्णय को तुरंत वापस ले और मंडी की वास्तविक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नया समाधान निकाले।