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IIT जोधपुर ने बनाई सुपर हल्की और मजबूत मिश्र धातु, भविष्य के विमानों और रक्षा तकनीक में आएगा बड़ा बदलाव

IIT जोधपुर ने बनाई सुपर हल्की और मजबूत मिश्र धातु, भविष्य के विमानों और रक्षा तकनीक में आएगा बड़ा बदलाव

शोभना शर्मा।  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) जोधपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी अत्याधुनिक मिश्र धातु (Advanced Alloy) विकसित की है, जो भारत को विमानन और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा सकती है।
यह नई धातु पारंपरिक सुपरएलॉय की तुलना में लगभग आधी हल्की, लेकिन उतनी ही मजबूत है। इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में बने विमान अधिक तेज़, हल्के और ईंधन-कुशल होंगे। यह शोध प्रोफेसर एस.एस. नेने, शोधार्थी ए.आर. बालपांडे और ए. दत्ता की टीम ने मिलकर किया है। टीम ने इस नई धातु को “TiAl-CA” (Titanium Aluminide–Composite Alloy) नाम दिया है।

अत्यधिक तापमान पर भी रहती है मजबूत

TiAl-CA मिश्र धातु की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह 900 डिग्री सेल्सियस तक के उच्च तापमान पर भी अपनी ताकत नहीं खोती। जहां आम सुपरएलॉय का घनत्व 7.75 से 9.25 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर होता है, वहीं यह नई मिश्र धातु केवल 4.13 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर घनत्व वाली है। इस हल्केपन के कारण विमान के इंजन, टर्बाइन और ढांचे का वजन कम होगा, जिससे ईंधन की खपत घटेगी, गति बढ़ेगी और कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी।

शोध का नया दृष्टिकोण: बिना बोरोन, पर ज्यादा मजबूती

इस मिश्र धातु को बनाने में वैज्ञानिकों ने एक अनोखा तरीका अपनाया है। पारंपरिक टाइटेनियम-एल्युमिनाइड मिश्र धातुओं में बोरोन (Boron) का उपयोग किया जाता था, जो धातु को भंगुर (Brittle) बना देता था।
लेकिन IIT जोधपुर की टीम ने बोरोन का इस्तेमाल न करके, इसके स्थान पर नियोबियम (Nb), मोलिब्डेनम (Mo), टैंटलम (Ta), टंगस्टन (W) और वैनाडियम (V) जैसे रिफ्रैक्टरी एलिमेंट्स को संयोजित किया है। इन धातुओं के सटीक अनुपात ने TiAl-CA को न केवल अधिक मजबूत और लचीला बनाया है, बल्कि इसे ऑक्सीकरण-रोधी (Oxidation Resistant) भी बना दिया है। यह विशेषता इसे अत्यधिक तापमान और दबाव की स्थितियों में भी स्थिर बनाए रखती है, जो एयरोस्पेस इंजनों और रक्षा उपकरणों के लिए आवश्यक है।

3डी प्रिंटिंग और आधुनिक निर्माण तकनीकों के लिए उपयुक्त

TiAl-CA मिश्र धातु की एक और खासियत यह है कि यह आधुनिक निर्माण तकनीकों के साथ पूरी तरह अनुकूल है। यह धातु 3डी प्रिंटिंग (Additive Manufacturing) तकनीकों जैसे —

  • इलेक्ट्रॉन बीम मेल्टिंग (EBM)

  • लेज़र पाउडर बेड फ्यूजन (LPBF)
    के लिए उपयुक्त है।

इससे जटिल और सटीक घटकों का निर्माण किया जा सकता है, जो विमान इंजनों और रक्षा प्रणालियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इन तकनीकों के माध्यम से कम समय में अधिक मजबूत और हल्के पुर्ज़े तैयार किए जा सकेंगे।

‘मेक इन इंडिया’ में नई तकनीकी छलांग

इस शोध को प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल ‘Materials Horizons’ में प्रकाशित किया गया है। यह भारत के लिए एक टेक्नोलॉजिकल ब्रेकथ्रू (Technological Breakthrough) माना जा रहा है।भारत लंबे समय से एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में उच्च तापमान सुपरएलॉय के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहा है। IIT जोधपुर की यह खोज ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को नई गति देगी। अब भारत अपने विमान इंजनों, मिसाइलों और रक्षा उपकरणों के लिए देश में ही विकसित मिश्र धातुओं का इस्तेमाल कर सकेगा। इससे आयात पर निर्भरता घटेगी और भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता मजबूत होगी।

भविष्य में उपयोग की असीम संभावनाएं

इस नई मिश्र धातु का उपयोग न केवल विमानन क्षेत्र में, बल्कि कई अन्य उच्च तकनीकी क्षेत्रों में भी किया जा सकता है, जैसे —

  • रॉकेट इंजन और टर्बाइन ब्लेड निर्माण

  • रक्षा वाहनों और आर्मर प्लेटिंग

  • उच्च तापमान औद्योगिक उपकरण

  • ऊर्जा उत्पादन संयंत्रों में टर्बाइन घटक

इस धातु का हल्कापन और ताप-प्रतिरोध क्षमता इसे आने वाले हाइपरसोनिक विमानों और स्पेस लॉन्च सिस्टम्स के लिए भी आदर्श बनाती है।

वैज्ञानिकों की उपलब्धि पर गौरव

प्रोफेसर एस.एस. नेने ने बताया कि यह उपलब्धि भारतीय वैज्ञानिक क्षमता और नवाचार का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि TiAl-CA मिश्र धातु न केवल तकनीकी रूप से श्रेष्ठ है, बल्कि यह भारत को भविष्य के एयरोस्पेस उद्योग में अग्रणी स्थान दिलाने में मदद करेगी। उनके अनुसार, “हमारा लक्ष्य ऐसी सामग्री तैयार करना था जो हल्की, सस्ती, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल हो — और हमने यह हासिल कर लिया है।”

IIT जोधपुर की नई टाइटेनियम-एल्युमिनाइड मिश्र धातु TiAl-CA भारत की वैज्ञानिक प्रगति और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह मिश्र धातु भविष्य के विमानों, रॉकेटों और रक्षा प्रणालियों को अधिक हल्का, शक्तिशाली और टिकाऊ बनाएगी। इससे न केवल भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बल्कि यह शोध आने वाले वर्षों में भारत को सुपरमेटल्स की वैश्विक तकनीक में अग्रणी बना सकता है।

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