शोभना शर्मा। हनुमान बेनीवाल और IG हेमंत शर्मा में इन दिनों खासी गर्माहट देखने को मिल रही है। वजह है नागौर सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल का एक वायरल वीडियो, जिसमें वे बीदासर इलाके में आयोजित एक कार्यक्रम के मंच से थानेदार पर शराब पीकर ड्यूटी करने का आरोप लगाते नजर आ रहे हैं। इस घटना ने न केवल पुलिस की कार्यशैली बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी हलचल मचा दी है।
मंच से थानेदार को उतारने का आदेश
वायरल वीडियो में बेनीवाल बेहद गुस्से में नजर आ रहे हैं। वे खुले मंच से कहते हैं— “थानेदार जी, नीचे उतरो… सबने नशा कर रखा है। दिमाग खराब है क्या? औकात में रहो… दारू पीकर ड्यूटी कर रहे हो, शर्म नहीं आती।” यही नहीं, उन्होंने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि “आधे पुलिस वाले शराब पीते हैं। अगर पांच मिनट में यहां से नहीं गए तो एसपी-आईजी को बुलाकर सबका मेडिकल करवाऊंगा, पटक-पटक कर।” इस तरह की सार्वजनिक टिप्पणी ने पुलिस महकमे में खलबली मचा दी है।
IG हेमंत शर्मा का पलटवार
अब इस मामले पर बीकानेर रेंज के नए आईजी हेमंत शर्मा का बयान सामने आया है। चूरू जिले के दौरे पर पहुंचे शर्मा ने कहा कि किसी जिम्मेदार व्यक्ति को बिना सबूत के पुलिस पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस की छवि खराब करने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आईजी शर्मा ने यह भी बताया कि पुलिस ने इस घटना को रिकॉर्ड कर लिया है और इसकी जांच की जाएगी। उनका कहना था कि “पुलिस पर इस तरह की सार्वजनिक टिप्पणी उचित नहीं है। अगर किसी को शिकायत है तो उचित मंच पर पेश करनी चाहिए, न कि भीड़ के सामने।”
क्राइम मीटिंग में सख्त तेवर
आईजी शर्मा ने चूरू पुलिस लाइन में अपनी पहली क्राइम मीटिंग भी की। इसमें एसपी जय यादव, एएसपी लोकेंद्र दादरवाल सहित कई पुलिस अधिकारी मौजूद थे। बैठक में उन्होंने साफ निर्देश दिए कि अपराधियों को संरक्षण देने वालों पर भी संगठित अपराध की धाराओं में केस दर्ज होंगे।
उन्होंने कहा कि चूरू जिला अपराध नियंत्रण में बेहतर काम कर रहा है, लेकिन तस्करी का रूट होने के कारण पुलिस को और सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि पुलिस बल में 174 खाली पदों को पदोन्नति के जरिए भरा जाएगा और नई भर्ती से भी फोर्स को मजबूत किया जाएगा।
वायरल वीडियो से गरमाई सियासत
बीदासर का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। समर्थक और विरोधी दोनों ही खेमों में इस पर तीखी बहस छिड़ गई है। एक ओर बेनीवाल ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, तो दूसरी ओर आईजी शर्मा ने जिम्मेदारी और सबूत की बात रखकर सांसद को अप्रत्यक्ष रूप से नसीहत दे डाली है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेनीवाल का यह कदम उनकी सख्त छवि को और मजबूत करता है, लेकिन पुलिस महकमे के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है। सवाल यह है कि क्या वास्तव में थानेदार शराब पीकर ड्यूटी कर रहा था या फिर यह आरोप महज सियासी बयानबाजी है।
पुलिस और राजनीति की टकराहट
राजस्थान की राजनीति में पुलिस विभाग पर आरोप-प्रत्यारोप नए नहीं हैं। लेकिन इस बार मामला इसलिए खास है क्योंकि यह विवाद सीधे जनता के सामने मंच से शुरू हुआ और तुरंत सोशल मीडिया पर छा गया। इससे पुलिस की छवि और राजनीतिक संवाद दोनों पर सवाल खड़े हुए हैं।
आईजी शर्मा ने अपने बयान में यह साफ कर दिया कि पुलिस की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली कोई भी हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि मामले की गहन जांच होगी और यदि आरोप गलत साबित हुए तो पुलिस की ओर से भी कड़ा रुख अपनाया जा सकता है।
आगे की राह
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जांच के बाद इस विवाद का अंजाम क्या होगा। अगर आरोप सही साबित होते हैं तो संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना तय है। वहीं, अगर यह आरोप आधारहीन साबित होते हैं, तो बेनीवाल के लिए यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों ही स्तरों पर मुश्किलें खड़ी कर सकता है।


