शोभना शर्मा। राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायाधीश जी.आर. मूलचंदानी ने शनिवार को ब्यावर स्थित केंद्रीय उपकारागृह (Central Jail) का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने जेल की व्यवस्थाओं, कैदियों की सुविधाओं और प्रशासनिक कार्यप्रणाली का बारीकी से जायजा लिया। निरीक्षण की शुरुआत में ही न्यायाधीश मूलचंदानी को उपकारापाल अशोक कुमार की अनुपस्थिति नजर आई। उन्होंने इस पर कड़ी नाराज़गी जताई और मौजूद कर्मचारियों से अनुपस्थिति का कारण पूछा। उनके अनुसार, जेल प्रशासन में अनुशासन और समयबद्धता सबसे अहम है, और ऐसे समय पर वरिष्ठ अधिकारी की अनुपस्थिति गंभीर लापरवाही है।
कैदियों से सीधी बातचीत
निरीक्षण के दौरान न्यायाधीश ने 106 कैदियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। उन्होंने बिना किसी मध्यस्थ के सीधे उनसे उनकी परेशानियां और समस्याएं सुनीं। कैदियों ने कई शिकायतें रखीं —
कोर्ट तारीखों की सूचना में देरी: कैदियों का कहना था कि उन्हें अदालत से मिलने वाली तारीखों की जानकारी समय पर नहीं दी जाती, जिससे वे मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पाते।
चिकित्सा सुविधा में कमी: बीमार होने पर डॉक्टर समय पर जेल में मौजूद नहीं होते। इससे कई बार बीमारियों का समय पर इलाज नहीं हो पाता।
प्रशासन को चेतावनी
कैदियों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए, न्यायाधीश मूलचंदानी ने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी कि बीमार कैदियों के इलाज में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही, उन्होंने देरी से पहुंचे उपकारापाल को भी फटकार लगाई और कहा कि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई गई तो कार्रवाई की जाएगी।
मुलाकात कक्ष में बदलाव के निर्देश
निरीक्षण के दौरान उन्होंने मुलाकात कक्ष का भी जायजा लिया। वहां मौजूद सुरक्षा जालों (Grills) पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने निर्देश दिया कि इन जालों को हटाया जाए और कैदियों व उनके परिजनों के बीच कांच की दीवार लगाई जाए। उनका कहना था कि इससे मुलाकात के दौरान सुरक्षा भी बनी रहेगी और बातचीत अधिक सहज तरीके से हो सकेगी।
स्थानीय प्रशासन की मौजूदगी
निरीक्षण के समय ब्यावर के उपखंड अधिकारी (SDM) दिव्यांश सिंह, उपतहसीलदार और केंद्रीय उपकारागृह के अन्य अधिकारी मौजूद रहे। न्यायाधीश ने इन सभी को कैदियों की समस्याओं के त्वरित समाधान के निर्देश दिए।
मानवाधिकारों की सुरक्षा पर जोर
न्यायाधीश मूलचंदानी ने कहा कि जेल में बंद कैदी अपनी सजा काट रहे हैं, लेकिन उन्हें मूलभूत अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। स्वास्थ्य, न्याय और सुरक्षित मुलाकात का अधिकार हर कैदी को मिलना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि आयोग की ओर से इन मुद्दों पर लगातार निगरानी रखी जाएगी और जरूरत पड़ने पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।