ब्लॉग्स

बारिश के मौसम में भिंडी की खेती: कैसे कमाएं ₹2 लाख से अधिक मुनाफा

बारिश के मौसम में भिंडी की खेती: कैसे कमाएं ₹2 लाख से अधिक मुनाफा

शोभना शर्मा।  सब्जियों की खेती किसानों के लिए हमेशा से आय का एक भरोसेमंद स्रोत रही है. लेकिन जब बात भिंडी की हो, तो इसकी खेती विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है. भिंडी की मांग पूरे वर्ष बनी रहती है, लेकिन बारिश के मौसम में इसकी कीमतें सबसे ज्यादा होती हैं. यही वह समय है जब किसान भिंडी की खेती कर एक एकड़ में ₹2 लाख से अधिक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.

बारिश में भिंडी की खेती के लिए जरूरी तैयारी

1. उन्नत किस्मों का चुनाव

बारिश के मौसम में भिंडी की फसल को ‘पीत शिरा मोजेक वायरस’ का खतरा सबसे अधिक रहता है, जिसे सफेद मक्खी फैलाती है. इसलिए रोग प्रतिरोधक किस्मों का चुनाव बेहद जरूरी होता है.

बारिश के लिए उपयुक्त प्रमुख किस्में:

  • वर्षा उपहार

  • अर्का अनामिका

  • हिसार उन्नत

  • पूसा ए-4

  • परभणी क्रांति

  • राधिका

ये किस्में न केवल अधिक पैदावार देती हैं बल्कि कीटों व रोगों के प्रति भी सहनशील होती हैं.

2. खेत की तैयारी और जल प्रबंधन

बारिश में जलभराव एक आम समस्या है, जो फसल की जड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए खेत को पहले अच्छी तरह जोतकर समतल करें और उठी हुई मेड़ें या क्यारियां बनाएं, ताकि पानी स्वत: बह सके.

मिट्टी में सुधार के लिए:
प्रति एकड़ 8-10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं. इससे मिट्टी की उर्वरता और जल धारण क्षमता बढ़ती है.

बुवाई का सही समय और तरीका

1. बुवाई का समय:

बारिश के मौसम में भिंडी की बुवाई जून से अगस्त के बीच करना उपयुक्त होता है.

2. बीज की मात्रा:

प्रति एकड़ 3-4 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है.

3. दूरी:

पौधों के बीच 15-20 सेंटीमीटर और कतारों के बीच 40-45 सेंटीमीटर की दूरी रखें.

4. बीज उपचार:

बीजों को फफूंद से बचाने के लिए 3 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित करना जरूरी है.

रोग और कीट प्रबंधन

प्रमुख रोग:

  • पीत शिरा मोजेक वायरस

  • तना व फल छेदक

  • रस चूसने वाले कीट (सफेद मक्खी, माहू, थ्रिप्स)

नियंत्रण के उपाय:

  • संक्रमित पौधों को खेत से हटा कर जलाएं.

  • नीम तेल का शुरुआती छिड़काव फायदेमंद होता है.

  • कीटनाशकों जैसे इमिडाक्लोप्रिड या एसिटामिप्रिड का छिड़काव आवश्यकतानुसार करें.

  • खेत में खरपतवार नियंत्रण रखें.

सिंचाई और निराई-गुड़ाई

बारिश के मौसम में सिंचाई की जरूरत कम होती है, लेकिन लगातार बारिश न होने पर हल्की सिंचाई करें. खरपतवार नियंत्रण के लिए शुरुआती 25-30 दिनों तक 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें, ताकि पौधों को पोषण मिल सके और फसल स्वस्थ रहे.

पैदावार और मुनाफा: भिंडी की खेती का गणित

1. अनुमानित लागत (प्रति एकड़):

  • खेत की तैयारी, बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, श्रम: ₹30,000 से ₹40,000

2. अनुमानित पैदावार:

  • उन्नत किस्मों से प्रति एकड़ 80 से 120 क्विंटल (8 से 12 टन) तक भिंडी की उपज मिल सकती है.

  • औसतन 100 क्विंटल (10 टन) पैदावार मानें.

3. बाजार मूल्य:

  • बारिश में भिंडी की कीमत ₹25 से ₹40 प्रति किलो तक पहुंच जाती है.

  • न्यूनतम ₹25/किलो पर भी, 10,000 किलो × ₹25 = ₹2,50,000

4. शुद्ध लाभ:

  • ₹2,50,000 (आय) – ₹40,000 (लागत) = ₹2,10,000 का शुद्ध लाभ

बारिश के मौसम में भिंडी की खेती किसानों के लिए एक अत्यधिक लाभकारी अवसर है. उन्नत किस्मों का चयन, बीज उपचार, जल निकासी, कीट व रोग नियंत्रण पर ध्यान देकर किसान ₹2 लाख से अधिक का मुनाफा प्रति एकड़ कमा सकते हैं. वर्तमान बाजार की मांग और भिंडी की उच्च कीमतें इसे और भी लाभकारी बना देती हैं. जो किसान कम लागत में अधिक आय की तलाश में हैं, उनके लिए बारिश की भिंडी खेती एक शानदार विकल्प साबित हो सकती है.

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading