शोभना शर्मा। राजधानी जयपुर के आमेर स्थित नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक नई खुशखबरी जुड़ गई है। करीब नौ साल बाद पार्क में हिमालयन ब्लैक बियर का जोड़ा लाया गया है, जिसकी वजह से पार्क का आकर्षण और भी बढ़ गया है। यह जोड़ा जम्मू-कश्मीर के जंबो चिड़ियाघर से एक विशेष वन्यजीव एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जयपुर पहुंचा। देर रात सुरक्षित रूप से पहुंचाए गए इन भालुओं का स्वागत वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर और उनकी टीम की निगरानी में किया गया।
डॉ. माथुर के नेतृत्व में टीम ने हिमालयन ब्लैक बियर के जोड़े को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) के सख्त दिशानिर्देशों के तहत ट्रांसपोर्ट किया। परिवहन के दौरान जानवरों को किसी तरह का तनाव या शॉक न मिले, इसके लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए पिंजरों का उपयोग किया गया। लंबी दूरी की यात्रा में उनकी सेहत, व्यवहार और खानपान का ध्यान रखने के लिए टीम लगातार मॉनिटरिंग करती रही। जयपुर पहुंचते ही दोनों भालुओं ने अपनी नियमित डाइट जिसमें रोटी, दूध, सेब और शहद शामिल है, संतोषपूर्वक ग्रहण की।
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में हिमालयन ब्लैक बियर की वापसी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। लगभग नौ वर्ष के अंतराल के बाद इस प्रजाति का प्रवेश होने से पर्यटकों और रिसर्चर्स की उत्सुकता बढ़ी है। हिमालयन ब्लैक बियर, ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों की एक दुर्लभ प्रजाति मानी जाती है, और इसे किसी अन्य वातावरण में एडजस्ट कराना वन विभाग के लिए चुनौती भी होता है और उपलब्धि भी।
राजस्थान से अन्य वन्यजीव भेजे गए
यह वन्यजीव एक्सचेंज प्रोग्राम दोनों चिड़ियाघरों की आनुवंशिक विविधता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। इस विनिमय के तहत नाहरगढ़ से तीन मादा जरख (हाइना), दो मादा घड़ियाल और दो मादा मगरमच्छ जम्मू-कश्मीर के जंबो चिड़ियाघर भेजे जा रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आदान-प्रदान से न केवल संरक्षण कार्य मजबूत होता है बल्कि वन्यजीवों की प्रजातीय विविधता भी बढ़ती है।
नए मेहमानों के कुनबा बढ़ने की उम्मीद
वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर के अनुसार नर भालू की उम्र करीब ढाई साल और मादा भालू की उम्र लगभग पौने दो साल है। दोनों को अभी अगले तीन सप्ताह तक क्वॉरेंटाइन में रखा जाएगा। यह समय उनके स्वास्थ्य परीक्षण, वातावरण के अनुकूलन और व्यवहार की निगरानी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान 24 घंटे मॉनिटरिंग की जाएगी, साथ ही ब्लड, मल और अन्य बायोलॉजिकल सैंपल लेकर स्वास्थ्य स्थिति पर नजर रखी जाएगी।
पार्क प्रबंधन को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इन हिमालयन ब्लैक बियर का सफल प्रजनन संभव होगा। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहले भी स्लॉथ बियर के तीन सफल प्रजनन कर चुका है, जिसके आधार पर इस नए जोड़े से भी अच्छे परिणाम की आशा है। प्रजनन सफल होने पर न केवल पार्क की जैव विविधता बढ़ेगी, बल्कि संरक्षण प्रयासों को भी नई दिशा मिलेगी।


